प्रवीण दुबे
समय अपनी गति से चलायमान है वो न रुकता है न थमता इस गतिमान स्वरूप समय के सतत प्रवाह में जीवन भी लगातार चलता जाता है, ऐसा लगता है समय और जीवन के बीच एक अदृश्य सी प्रतिस्पर्धा जारी है यह प्रतिस्पर्धा जीत और हार की नहीं बल्कि आपसी सामंजस्य का प्रगटीकरण है समय से ही जीवन मुस्कराता है तो वह समय ही है जो इस जीवन में दुख अवसाद का कारक है लेकिन यह स्थाई नहीं है इसी को दृष्टिगत रखकर प्रसिद्ध साहित्यकार हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने क्या खूब संदेश दिया है।
“अंतरतम का नेह निचोड़ें बुझी हुई बाती सुलगाएँ आओ फिर से दीया जलाएं”
और जीवन में इसी सकारात्मक संदेश को चरितार्थ करती है दीपावली अंधेरा कितना ही घना क्यों न हो लेकिन प्रकाश ने उसे सदैव चुनौती दी है।
ध्यान से देखिए आज अमावस की घनघोर काली रात को कैसे ये करोड़ों टिमटिमाते दीपक ललकार रहे हैं।
कैसे इस घनघोर कालिमा को हमने नन्हे नन्हे दीपकों के सहारे परास्त कर दिखाया है। बस जीवन में इसी सकारात्मकता के प्रगटीकरण का संदेश देती जगमगा रही है दीपावली।
जरा याद करिए दो साल तक चली कोरोना रूपी कालरात्रि में जब निराशा और भय के अंधकार ने हम सबको घेर लिया था, यह दीपावली जैसे त्योहारों की ही सीख और संस्कारों का परिणाम ही था कि जब पूरी दुनिया जानलेवा अदृश्य वायरस के भय से घरों में दुबकी थी हम इस अदृश्य वायरस के खात्मे की जंग का थाली घण्टी बजाकर शंखनाद कर रहे थे। नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग भले ही इसका मजाक बना रहे थे लेकिन पूरी दुनिया देख रही है कि भारत ने कोरोना रूपी अंधकार पर कैसे विजय प्राप्त की प्रकाश की एकबार पुनः जीत हुई अंधियारा हार गया आज कोरोना रूपी अंधकार समाप्त हो चुका है
आज जब अरब से लेकर यूरोप तक तमाम देश वर्चस्व की जंग में जल रहे हैं भारत तेजी से विकास कर रहा है।
भारत पूरी ताकत से विकासपथ की और अग्रसर है हमने चांद को जीत लिया है ओर सूर्य की ओर बढ़ चले हैं गगन की उत्तंग शिखा पर भारत के विजय घोष से पूरी दुनिया स्तब्ध है लेकिन हमें नहीं भूलना है आज तमाम दृश्य अदृश्य खतरे भी हमें ललकार रहे हैं अर्थात हमें सावधान रहने की जरूरत है।
हमें विश्वास है कि विविध मोर्चों पर मंडराते इन खतरों को भारत परास्त करके विश्व विजय की भूमिका को चरितार्थ करेगा और भारत माता एकबार पुनः विश्वगुरु के सिंहासन पर आसीन होगी।
माना कि अंधेरा घना है
लेकिन दीपक जलाना कहां मना है
दीपावली पर इसी सकारात्मकता को शिरोधार्य कर नैराश्य को तिलांजलि देते हुए हम उन सभी अच्छे कार्यों का समर्थन करने की मानसिकता को अंगीकार करेंगे जिससे हमारा देश विकास पथ पर आगे बढ़ने वाला है यही सम्पूर्ण विपत्तियों और अंधकार पर प्रकाश के विजय का सार है।
सभी पाठकों शुभचिंतकों मित्रों व विज्ञापनदाताओं को शब्दशक्तिन्यूज़ की ऒर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Praveen dubey @shabdshaktinews.in