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अंधेर नगरी चौपट राजा : आखिर किसे दी जाए इस जघन्य अपराध की सजा

प्रवीण दुबे
एक तरफ सकरी होती सड़कें तथा घटते रोड सेंस और यातायात नियमों की अनदेखी के कारण बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं तो दूसरी ओर ऑटो मोबाइल सेक्टर के माध्यम से ज्यादा राजस्व बटोरने के फेर में नियमों को शिथिल करती सरकारें जिससे ज्यादा से ज्यादा वाहन बेचे जा सकें।
यह ठीक उसी प्रकार है जैसे की शराब की बिक्री को सरकारी प्रोत्साहन यह जानते हुए भी कि शराब एक नशा है और कई सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है फिर भी सरकार शराब के ठेके बांटती है और खुलेआम शराब की दुकानें खुलवाई जाती हैं।
यही मानसिकता बिना सोचे समझे ऑटो मोबाइल सेक्टर को बढ़ाने के पीछे भी काम कर रही है। क्या धड़ाधड़ वाहनों की बिक्री से पहले किसी भी शहर के परिवहन विभाग को यह जांचना परखना आवश्यक नहीं है कि वास्तव में वह शहर कितनी वाहन क्षमता को संचालित कर सकता है। उसकी सड़कें हजारों लाखों वाहनों के संचालन का बोझा वहन करने लायक हैं भी या नहीं, सड़कों पर इतनी जगह है या नहीं कि लाखों चार पहिया वाहन सुगमता से चल सकें या खड़े किए जा सकें।
ग्वालियर की बात की जाए तो यहां चल रहे व्यापार मेले में ऑटो मोबाइल सेक्टर को बढ़ावा मिले अर्थात ज्यादा से ज्यादा वाहनों की बिक्री हो इस कारण राज्य सरकार ने रोड टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की है। इसी प्रकार की छूट 1 मार्च से उज्जैन में शुरू हो रहे व्यापार मेले में भी दिए जाने की घोषणा सरकार ने कर दी है। उद्देश्य साफ है । ज्यादा से ज्यादा वाहन खरीदने के लिए  लोगों को आकर्षित करके बड़ा राजस्व बटोरा जा सके।
साफ है सरकार को इस बात की कोई चिंता नहीं की वह यातायात विभाग  अथवा किसी अन्य एजेंसी के माध्यम से प्रदेश के शहरों की वाहन संचालन सहित उससे जुड़ी अन्य   क्षमताओं  का पता लगाए और उसी आधार पर वाहन बिक्री और उनके चलाने के लायसेंस की संख्या तय की जाए।

ग्वालियर व्यापार मेले में गुरुवार को 1250 वाहन बेचे जाने की खबर सामने आई है,इसमें 660 कारें और 550 दो पहिया वाहनों की बिक्री की गई। पिछले वर्ष मेले में 22 हजार वाहन बिके थे इस साल अभी तक 19 हजार वाहनों की बिक्री हुई है ,जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष की संख्या तक पहुंचने के लिए मेले की अवधि को चार दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ग्वालियर शहर की सड़कें इतने वाहन के संचालन लायक हैं ? महाराज बाड़ा ,मुरार,हजीरा आदि से लगे तमाम बाजारों में तिल रखने लायक जगह भी नहीं रहती है। कई बार सड़कों पर लगे जाम के कारण एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं मिल पाता,फायर ब्रिगेड की गाड़ी तक फंस जाती है।
बावजूद इसके शहरवासी प्रतिदिन चार पहिया वाहन खरीदकर ला रहे हैं,हालत यह है कि अचलेश्वर सहित शहर के तमाम प्रमुख मंदिरों में नई कारों के पूजन कराने वालों की कतार लगी देखी जा सकती है। कारें खरीदकर लाने वालों के पास इन्हें रखने तक की जगह नहीं है फिर भी बैंकों और ऑटो मोबाइल सेक्टर के गठजोड़ से धड़ाधड़ कारें फाइनेंस कराकर लाई जा रहीं है। दूसरी ओर शासन प्रशासन सहित यातायात विभाग मुंह पर मुसीका और आंखों पर पट्टी बांधकर शहरवासियों की परेशानी से बे परवाह है।

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