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अखाड़ा परिषद ने कहा आरएसएस भाजपा और विहिप मंदिर मसला संतों को सौंपे

आरएसएस के सर संघ चालक मोहन भागवत की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को शुरू हुई विहिप की दो दिवसीय धर्म संसद से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ऐन वक्त पर किनारा कर योगी आदित्यनाथ सरकार को तगड़ा झटका दिया। इससे मंदिर निर्माण के मसले पर साधु-संतों को साधने की केंद्र की नरेंद्र मोदी और सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकारों की कोशिशों पर एक बारगी पानी फिर गया है।
कुंभ में हर मौके पर सीएम योगी के साथ नजर आने वाले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बाघंबरी गद्दी मठ के महंत नरेंद्र गिरि के सुर बदल गए। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के मुद्दे को सियासी रंग देना ठीक नहीं है।  निर्माण का मसला संतों को सौंप कर बैक हो जाना चाहिए। चार मार्च को कुंभ मेला के बाद अखाड़ा परिषद साधु-संतों के साथ अयोध्या कूच करेगा। 

मंदिर निर्माण के मसले पर सरकार और संतों के बीच सामंजस्य बनाने की पिछले चार महीने से सरकार के स्तर पर किए जा रहे प्रयास अंतत: अर्थहीन साबित हुए। देश में संतों का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े आध्यात्मिक संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मंदिर निर्माण की तिथि तय करने को लेकर कुंभ में शुरू हुई विहिप की धर्म संसद का बहिष्कार कर सबको चौंका दिया। घंटों इंतजार के बाद भी अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी व अखाड़ों के महंत, पीठाधीश्वर धर्म संसद में नहीं पहुंचे।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने मीडिया को बताया कि संत समाज किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं होता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को मंदिर निर्माण का मुद्दा संतों को सौंप कर वापस हो जाना चाहिए। उन्होंने तर्क किया कि आरएसएस, विहिप और भाजपा के मंदिर मसले पर आगे आने से विपक्षी पार्टियां विरोध में खड़ी होने लगी हैं और इस मसले को राजनीतिक हवा दी जाने लगी है। ऐसा होने से मंदिर निर्माण में बाधा खड़ी होना तय है। उन्होंने  कहा कि साधु-संत ही मंदिर निर्माण कराएंगे। द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की परम धर्म संसद में पारित प्रस्तावों का उन्होंने समर्थन किया,लेकिन कहा कि अखाड़ा परिषद के अयोध्या जाने की तिथि अलग होगी। उन्होंने विहिप की धर्म संसद में शामिल होने वाले संतों, महामंडलेश्वरों को सलाह दी कि वह भविष्य में ऐसे राजनीतिक आयोजनों से बचने की कोशिश करें,ताकि संत समाज की गरिमा बनी रहे। 

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने बताया कि, साधु-संत न कभी किसी दल के थे न हैं और न रहेंगे। अखाड़ा परिषद रामलला की जन्मभूमि पर ही मंदिर निर्माण चाहता है। परिषद के अध्यक्ष के फैसले को जल्द ही बैठक बुलाकर अमली जामा पहनाया जाएगा।
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