सम्पादकीय
वर्तमान समय के दलदल भरे राजनीतिक माहौल में संगठन से लेकर सत्ता तक श्री तोमर ने अनेक बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और जब इन्हें पूर्ण करके बाहर आये तो जस की तस धर दीनी रे चदरिया को चरितार्थ कर दिया। न कोई आरोप, न कोई विवाद न किसी से कोई बैर संगठन ने जो काम सौंपा उसे न केवल सफलतापूर्वक पूर्ण किया बल्कि अपने व्यक्तित्व और कार्य कुशलता की ऐसी छाप छोड़ी की विरोधी भी उसके कायल हो गए। नरेंद्र सिंह वो नेता हैं जिन्होंने फर्श से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की और आज शिखर तक जा पहुंचे हैं
निःसंदेह आजादी के बाद से लेकर आज तक कांग्रेस पार्टी को देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त है लेकिन यह भी उतना ही अकाटय सत्य है की वैचारिक रूप से कांग्रेस एक विचार शून्य राजनीतिक दल रही है और उसका अपना कभी कोई मार्गदर्शी सिद्धांत नहीं रह वह सदैव वामपंथियों या फिर भारत के मूल सिद्धांतों से इतर अपनी रोटियां सेंकने वाले मुस्लिम लीग जैसे दलों के विचार की वेशाखियों का सहारा लेती रही है। इस दृष्टि से वैचारिक रूप से यदि कोई राजनीतिक दल है जिसने इस देश की मूल भावना को केंद्र में रखकर कार्य किया है तो वह है भारतीय जनता पार्टी। जनसंघ की स्थापना फिर उसके मूल सिद्धांत एकात्म मानववाद का बीजारोपण करने वाले मनीषी पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने गहन चिंतन मनन के बाद एकात्म मानववाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया और इसके लिए उन्होंने ग्वालियर की पावन धरा का चयन किया। यही वजह है की ग्वालियर की धरती ने गैर कांग्रेसी राजनीति के क्षेत्र में एक नही अनेक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञों को जन्म दिया । ये राजनीतिज्ञ देश में सूर्य की तरह चमकते रहे,प्रधानमंत्री से लेकर राज्यपाल ओर राज्य से लेकर केंद्र की सरकार में मंत्री रहे हैं। तमाम ऐसे भी रहे जिन्होंने सँगठनात्मक स्तर पर भी कुशल संगठक होने का आदर्श स्थापित किया है। वर्तमान की बात करें तो ग्वालियर की इस श्रेष्ठ राजनीतिक परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बखूबी कर रहे हैं।