अनंगपाल सिंह भदौरिया “अनंग” की नवीन कृतियों ” लंका की रक्ष संस्कृति”, “समय समय की बात “, इक्यावन आहुतियां अंतर्व्यथा आदि पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
ग्वालियर/ ग्वालियर स्थित एक निजी होटल में आयोजित अनंग पाल सिंह भदौरिया अनंग के द्वारा विरचित पांच पुस्तकें लंका की रक्ष संस्कृति, समय समय की बात, इक्यावन आहुतियां ,अंतर्व्यथा (गीत संग्रह) एवं कड़वी कविताऐं आदि का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर, पूर्व निदेशक प्रेम चंद सृजन पीठ उज्जैन,ने की। मुख्य अतिथि डॉ .केशव पांडेय वरिष्ठ पत्रकार , अध्यक्ष अध्यक्ष उद्धव क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक संस्थान रहे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि प्रकाश मिश्र एवं डॉ सुरेश सम्राट, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार मंचासीन रहे।
प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया।
सरस्वती वंदना आरती “अक्षत” ने प्रस्तुत की। तत्पश्चात् अतिथियों का स्वागत अक्षत -चंदन ,शाॅल ,श्रीफल आदि से किया गया।
स्वागत करने वालों में आशा पांडेय, अंशु भदौरिया, डॉ ज्योत्सना सिंह , एस एन पांडेय, हरीओम गौतम ,डॉ किंकर पाल सिंह भदौरिया आदि ने किया। इस बीच समीक्षकों में डॉक्टर लोकेश तिवारी ,अखिल शर्मा ,सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाहा ,राम लखन शर्मा एवं डॉ सुरेश सम्राट का भी स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में अतिथि परिचय हरिओम गौतम ने प्रस्तुत किया।
इसके पश्चात् पुस्तक समीक्षा करने वाले डॉ लोकेश तिवारी ने पुस्तक “इक्यावन आहुतियों ” को पराधीन भारत के जागरण का संग्रह कहा। इसमें क्रांतिकारियों के त्याग,संघर्ष और बलिदान के भाव अंतर्निहित है। जो हमें स्वाधीनता के प्रति जाग्रत रहने को सचेत करते हैं। अखिल शर्मा ने समय समय की बात पुस्तक की समीक्षा की।समीक्षक व कार्यक्रम संचालक राम लखन शर्मा ने “लंका की रक्ष संस्कृति “की समीक्षा करते हुए कहा, आनंदपाल जी ने इस पुस्तक में लंका की विशिष्ट स्थिति को दर्शाते हुए उसमें कृति में शब्द विन्यास का यथेष्ट प्रयोग करते हुए शिल्प के नए आयाम स्थापित किए हैं।
सुरेन्द्र पाल सिंह कुशवाहा ने कड़वी कविताओं की समीक्षा करते हुए का मुनि तरुण सागर की तरह उनकी रचनाएं भी कड़वी एवं यथार्थ बात करने जैसी हैं । यथा अग्नि सभी शक्तियों को जोड़ती है। ऋग्वेद की प्रथम रिचा से प्रारंभ करते हुए प्रथम रचना शारदे की वंदना से किया, जो की रोला है। जिसमें 62 कविताएं हैं, उन्होंने इस पुस्तक की एक रचना प्रस्तुत करते हुए कहा ” पेड बेल का हुआ सशंकित सावन आया है”।
अनंगपाल भदौरिया की पुस्तकों में संबंध में सविस्तार डॉ किंकर पाल सिंह जादौन ने विवरण प्रस्तुत किया।
तत्पश्चात् मंचासीन डॉ सुरेश सम्राट ने” अंतर्व्यथा “पुस्तक की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त किए ।
उन्होंने कहा “अंतर्व्यथा अंतर्प्रेरणा से ही होती है, अनुभूति से लय और प्रभाव देना ही शब्दों से कविता बनती है।
इसके पश्चात कार्यक्रम में पांच पुस्तकों का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।अगले क्रम में प्रकाश मिश्र ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए कहा, कि बड़ा साहित्यकार होने के लिए बड़ा आत्मविश्वास एवं बड़ा व्यक्तित्व होना चाहिए तभी बड़ा आदमी होना संभव हो पता है। अनंगपाल भदौरिया ने अपनी रचना धर्मिता का पूर्णत: सही निर्वहन किया।
अगले क्रम में मुख्य अतिथि डॉक्टर केशव पांडे ने अनंगपाल भदोरिया की 65 पुस्तकों पर उनके अवदान को विश्वविद्यालय स्तर पर सम्मानित करने की बात करते हुए कहा, इन पर तो विशिष्ट रूप से पीएचडी होनी चाहिए एवं सम्मान समारोह आयोजित करते हुए मानस डीलिट की उपाधि प्रदान की जानी चाहिए। ऐसी रचना धर्मी जिन्होंने एक साथ पांच पुस्तकों का लोकार्पण आज कराया हो, यह ग्वालियर के लिए गौरव का विषय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगदीश तोमर ने कहा ,आज का आयोजन अनेक दृष्टि से महत्वपूर्ण हुआ है जिसमें पांच पुस्तकों का लोकार्पण किया जाना प्रदेश भर के साहित्यकारों के लिए भी एक बहुत उदाहरण है ।सीधा सरल व्यक्ति ही सीधा बोलता है सीधा चलता है एवं सीधा लिखना है ,उन्होंने कहा अनंगपाल जी का सृजन प्रातः काल से प्रारंभ हो जाता है ,और रात्रि विश्राम तक चलता रहता है ।वह प्रत्येक दिन एक अपनी कुंडलिया प्रातः 5:00 बजे व्हाट्सएप एवं अन्य माध्यमों से जारी करते हैं ।
उनके व्यक्तित्व को समझने का आज अवसर मिला है। उनके उपन्यास पूर्व में जो हुए प्रकाशित हैं, वह समाज जीवन को सही दशा एवं दिशा को देने में समर्थ रहे हैं ।इन्होंने” जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ” की भावनाओं को अपनी पुस्तकों में समाहित किया है । श्रम और साधना व्यर्थ नहीं जाती । यह आज इन्होंने अपनी कर्तव्य निष्ठा से सुनिश्चित कर दिया है। समय का निर्धारण बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उचित ढंग से हो तो कार्य में सफलता मिलना सुनिश्चित रहता है। कार्यक्रम में पर रामचरण “रुचिर” आदित्य “अंशुधर “एवं राम अवतार “रास” ने अतिथियों को पौधे युक्त गमले सम्मान स्वरूप भेंट किये । इस अवसर पर आनंदपाल भदोरिया एवं चेतराम सिंह भदोरिया ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे राम लखन शर्मा ने भी सभी को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर महेंद्र मुक्त,
लालता प्रसाद दोहरे, डॉ सुधीर चतुर्वेदी,रामचरण “रुचिर” , जगदीश गुप्त ,दिनेश विकल, राजेश अवस्थी “लावा” , गीतकार राजेश शर्मा, राम अवतार सिंह रास, आलोक शर्मा ,जगमोहन श्रीवास्तव, राम अवध विश्वकर्मा,पुष्पा मिश्रा ,पुष्पा सिसोदिया, सरिता चौहान, एस एन पांडेय, आशा पांडेय, अशोक मस्तराज, रोशन मनीष, राजेंद्र मुद्गल सहित अनेक गणमान्य जन एवं साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अनंगपाल सिंह भदौरिया द्वारा लिखित 65 पुस्तकों को मुक्त में प्राप्त करने हेतु स्टॉल लगाया गया। सभी ने पुस्तक चयनित कर प्राप्त कीं।
कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन आशा पांडेय ने व्यक्त किया । तत्पश्चात् सभी ने सुरुचि भोज ग्रहण किया।