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अपना ही आदेश वापस लेकर जग हंसाई का पात्र क्यों बनी शिवराज सरकार ?

भोपाल / क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बिना सोचे समझे कोई भी आदेश जारी कर देते हैं? क्या प्रदेश के उच्च प्रशासनिक पदों पर विराजमान नौकर शाही , कानूनी सलाहकार व आर्थिक विशेषज्ञ किसी भी विषय पर कोई सलाह नहीं देते? या फिर मुख्यमंत्री खुद बिना किसी से चर्चा किए कोई भी आदेश जारी करवा देते हैं अथवा मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखकर कोई भी आदेश जारी कर दिया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वयं  फिल्म ‘द केरल स्टोरी’  को टैक्स फ्री किये जाने के ऐलान के बाद महज चार दिनों में आदेश निरस्त किये जाने को लेकर अब यह सारे सवाल जोर शोर से उठ रहे हैं साथ ही मुख्यमंत्री की जग हंसाई  भी हो रही है।

बहुचर्चित और विवादित फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ अब मध्यप्रदेश में टैक्स फ्री नहीं होगी। शिवराज सरकार ने चार दिन पहले फिल्म को टैक्स फ्री किये जाने का आदेश बुधवार को निरस्त कर दिया । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वयं फिल्म को टैक्स फ्री किये जाने के ऐलान के बाद महज चार दिनों में आदेश निरस्त किये जाने से सरकार की किरकिरी हो रही है।

प्रदेश सरकार ने छह मई को आदेश जारी कर फिल्म को टैक्स फ्री किया था। अब दस मई को नया आदेश जारी कर पुराने आदेश को निरस्त कर दिया गया है। वाणिज्यिक कर विभाग में उप-सचिव आरपी श्रीवास्तव ने दस मई को आदेश जारी कर कहा कि विभाग के आदेश क्रमांक 1145/2023/05 (सेक्शन-1) दिनांक 06.05.2023 को राज्य शासन 10 मई 2023 के प्रभाव से निरस्त करता है।

सरकार ने चार दिन में ही अपने आदेश को क्यों निरस्त किया इसका साफ़ कारण भी सामने नहीं आया है। अधिकारियों ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। बताया जा रहा है कि फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को टैक्स फ्री कर सरकार कानूनी दांवपेंच में फंस रही थी।

बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिल्म को टैक्स फ्री करते हुए कहा था कि यह फिल्म जागरुकता पैदा करती है, इस वजह से सभी को यह फिल्म देखनी चाहिए। माता-पिता, बच्चों और बेटियों को इसे देखना चाहिए। इस वजह से मध्य प्रदेश सरकार फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को कर मुक्त करने जा रही है। फिल्म बताती है कि कैसे क्षणिक भावुकता के कारण ‘लव जिहाद’ के जाल में फंसकर बेटियां अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेती हैं। फिल्म आतंकवाद के विभिन्न रूपों को भी उजागर करती है।

आर्थिक नुकसान के साथ सिर पर इलेक्शन
गौरतलब है कि फिल्म की टिकटों पर जीएसटी लगता है, जिसका आधा भाग राज्य शासन के पास आता है, जबकि आधा भाग केंद्र सरकार को मिलता है. जब सरकार किसी फिल्म को टैक्स फ्री करती है तो राज्य शासन का जीएसटी माफ हो जाता है, अर्थात टिकटों की कीमत में थोड़ी कमी देखने को मिलती है. हालांकि इसका फायदा थिएटर या फिल्म के प्रोड्यूसर को नहीं मिलता है. टैक्स फ्री करने का मकसद यह होता है कि टिकटों की कीमत थोड़ी कम हो जाए और दर्शकों का फिल्म की ओर आकर्षण बढ़ जाए. सरकार ने जो आदेश बदला है उसे लेकर दो बातें सामने आ रही हैं एक तो सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ यह इलेक्शन का साल है.

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