काबुल हवाई अड्डे के बाहर हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ली है। इस हमले में कम से कम 13 लोगों की मौत हुई है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि दूसरे घमाके में एयरपोर्ट के गेट के बाहर तैनात अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने भी पुष्टि की है कि इस हमले में अमेरिकी सैनिक भी घायल हुए हैं। इस बीच सभी विदेशी दूतावासों ने अपने नागरिकों को एयरपोर्ट से दूर रहने की सलाह दी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अफगानिस्तान में अब नई जंग शुरू हो गई है।
तालिबान की बुराई कर रहे आईएस समर्थक
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही आईएसआईएस चिढ़ा हुआ था। इस आतंकी समूह ने अपने समर्थन वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए तालिबान के खिलाफ बड़ा अभियान भी चलाया था। अपने पोस्ट के जरिए आईएसआईएस के ये समर्थक तालिबान की लगातार बुराई कर रहे हैं। आईएसआईएस के समर्थन वाले मीडिया समूहों ने 16 अगस्त से 22 अगस्त के बीच में कुछ 22 प्रॉपगैंडा लेख प्रकाशित किए हैं। इनमें से अधिकतर पोस्टर की शक्ल में हैं।
ख़ुफिया एजेंसियों ने दी थी चेतावनी
बीबीसी के सुरक्षा मामलों के संवाददाता फ्रैंक गार्डनर ने बताया है कि इस हमले में धमाके और गोलीबारी का इस्तेमाल किया गया है जो कि चरमपंथियों की एक पारंपरिक रणनीति है.
उन्होंने बताया हैकि पिछले कई सालों और हालिया महीनों में अफ़ग़ानिस्तानी शहरों में होने वाले कई हमलों में इस रणनीति का इस्तेमाल किया गया है, इसके तहत पहले एक आत्मघाती हमलावर धमाका करता है.
ख़ुफिया एजेंसियां बिल्कुल इसी तरह के हमले की चेतावनी दे रही थीं.
अफ़ग़ान लोगों ने नहीं सुनी चेतावनी
इस हमले से कुछ समय पहले ब्रिटेन, अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया ने इस तरह के हमले की चेतावनी जारी की थी.
हालांकि, बस किसी तरह काबुल छोड़ने की कोशिशों में लगे अफ़ग़ान लोगों ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और वे गेट पर डटे रहे.