हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है.वैसे तो हर महीने में दो एकादशी तिथि होती है. एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में, लेकिन मोहिनी एकादशी का खास महत्व माना जाता है. मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई को रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं.
मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला और व्रतों में उत्तम व्रत है. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल से छुटकारा पाकर विष्णु लोक को प्राप्त करता है. मोहिनी एकादशी के दिन पूजा अर्चना करने से मन को शांति मिलती है और धन, यश और वैभव में वृद्धि होती है. वैसे तो सभी एकादशी महत्वपूर्ण मानी गई है लेकिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है. भक्त अपने पिछले पापों से छुटकारा पाने और विलासिता से भरा जीवन जीने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत रखते हैं. इस दिन व्रत-पूजा करने से साधक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है. इस बार मोहिनी एकादशी पर 3 शुभ योग बन रहे है.
मोहिनी एकादशी तिथि
वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि आरंभ: 18 मई, 2024, प्रातः 11 : 23 मिनट परवैशाख शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त:19 मई, 2024, दोपहर 01:50 मिनट परउदयातिथि के आधार पर मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई 2024 को रखा जाएगा.
मोहिनी एकादशी पर शुभ योग
इस बार मोहिनी एकादशी पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इन योगों को ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ माना जा रहा है. इन योगों में मोहिनी एकादशी व्रत रखना और विष्णु जी की पूजा करना बहुत लाभ प्रदान करता है.
अमृत योग: 19 मई प्रातः 05:28 से 20 मई तड़के 03:16 मिनट तकवज्र योग: 18 मई प्रातः 10:25 से 19 मई प्रातः 11:25 मिनट तक
सिद्धि योग: 18 मई प्रातः 11:25 मिनट से 19 मई दोपहर 12:11 तक
भद्रावास योग मोहिनी एकादशी पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन भद्रा दोपहर 01:50 मिनट तक पाताल लोक में रहेंगी. भद्रा के पाताल में रहने के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं. साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट भी दूर हो जाते हैं. इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 05:28 मिनट से हो रहा है, जो 20 मई को देर रात 03:16 मिनट तक है साथ ही मोहिनी एकादशी पर सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है.
यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत
पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है. विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है. पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है. स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है.इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं.
पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत
स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती. पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकादशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परम धाम वैकुंठ धाम प्राप्त करता है. कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है.
पूजा के साथ इस मंत्र का करें जाप
मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. उसके बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और पूजा करें. फिर ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप जरूर करें. उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों के साथ करें और रात को दीपदान करें.