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आरएसएस ने विजयादशमी कार्यक्रम मेंआईटी कंपनी एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर को बुलाकर दिया संदेश रूढ़िवादी नहीं है संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) की ओर से आठ अक्टूबर को आयोजित होने वाले विजयादशमी कार्यक्रम में इस बार आईटी कंपनी एचसीएल के संस्थापक एवं अध्यक्ष शिव नाडर मुख्य अतिथि होंगे. यह कार्यक्रम सुबह सात बजकर 40 मिनट पर रेशीमबाग नागपुर में आयोजित होगा. पिछले साल इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी थे.संघ हर साल छह बड़े कार्यक्रम आयोजित करता है. जिसमें विजयादशमी का कार्यक्रम बेहद खास होता है. संघ इस दिन अपना स्थापना दिवस कार्यक्रम मनाता है. संघ की स्थापना यूं तो वर्ष 1925 में 27 सितंबर को हुई थी. मगर संघ अपना स्थापना दिवस हर साल विजयादशमी के दिन ही आयोजित करता है. वर्ष 1925 में 27 सितंबर को विजयादशमी थी. हर साल संघ की ओर से होने वाले इस कार्यक्रम की अहमियत का पता इसी से चलता है कि आरएसएस इस समारोह में किस बाहरी हस्ती को बुलाने वाला है, बहुत पहले से इसको लेकर अटकलें लगने लगतीं हैं.

नडार को बुलाने के मायने

संघ सूत्रों का कहना है कि आरएसएस संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जमाने से ही संघ के वार्षिक कार्यक्रमों में बाहरी प्रतिष्ठित व्यक्तियों को बुलाने की परंपरा रही है. वर्ष 2018 में तीसरे वर्ष के प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह में संघ ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बुलाया था. संघ का मानना है कि अपने कार्यक्रमों में बाहरी गणमान्य व्यक्तियों को बुलाने से विस्तार का दायरा बढ़ता है. बाहरी व्यक्ति को संघ की कार्यपद्धति समझाने में आसानी होती है. इस बहाने संघ को लेकर फैलाई गई तमाम गलत धारणाएं भी दूर की जाती हैं.

जब कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति संघ के मंच से बोलता है तो एक बड़ा संदेश जाता है. यह पहल संघ की सर्वस्वीकार्यता और बढ़ाने में सहायक होती है. संघ विचारक दिलीप देवधर कहते हैं कि आरएसएस आज जिस ऊंचाई पर पहुंचा है, उसके पीछे ऐसी ही सबको साथ लेकर चलने की पहल जिम्मेदार है. संघ बाहर के लोगों को आदर देकर संगठन को जानने-समझने के लिए आमंत्रित करता है. जिससे संघ से लोगों को जुड़ाव बढ़ता जाता है.

संघ हो रहा हाईटेक

शिव नाडर को बुलाने के पीछे और भी वजह है. डिजिटल युग में संघ जरा भी पीछे नहीं है. इंटरनेट की उपयोगिता समझते हुए संघ पिछले दो दशक से हाईटेक होने की राह पर तेजी से चल रहा है. अब स्वयंसेवकों के ऑनलाइन जुड़ने की भी व्यवस्था है. ऑनलाइन शाखाएं भी लगतीं हैं. संघ के देश भर में फैले कार्यालय भी हाईटेक हो रहे हैं. संघ भी समझता है कि जमाना तकनीक है तो इसके साथ कदमताल करना जरूरी है. संघ के सहयोगी संगठनों की ओर से संवाद के लिए अब ट्विटर, फेसबुक, वेबसाइट आदि मंचों का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में देश में सूचना एवं तकनीक के क्षेत्र के दिग्गज, जिसने देश में एचसीएल जैसी कंपनी खड़ी की, उन शिव नाडर को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाने के खास मायने हैं.

क्यों खास है विजयादशमी का कार्यक्रम

विजयादशमी के दिन होने वाले संघ के इस कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत का अहम उद्बोधन होता है. जिस पर देश की निगाह होती है. दरअसल, इस उद्बोधन के जरिए अगले एक साल के लिए संघ प्रमुख देश के हालात पर अपनी राय व्यक्त करते हैं. अगले वर्ष के लिए संघ व सभी 36 सहयोगी संगठनों के एजेंडे के संकेत भी इस भाषण से मिलते हैं.

 

सरकार से संघ अपनी अपेक्षाएं भी इस भाषण के जरिए जाहिर करता है. लिहाजा संघ की स्थापना दिवस पर होने वाले इस भाषण पर राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें टिकीं होती हैं. बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी. तब से आरएसएस हर साल विजयादशमी के दिन ही स्थापना दिवस मनाता है. जिसे विजयादशमी उत्सव कहते हैं. इस मौके पर संघ देश की एक प्रमुख हस्ती को आमंत्रित करता है.

साभार

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