दाल भारतीय आहार का जरूरी हिस्सा है। लोग प्रोटीन और कई पोषक तत्वों से भरपूर दाल को अलग-अलग तरीके से बनाते हैं। कुछ लोग दाल को पकाने से पहले भिगोते हैं, तो कुछ इसे तुरंत कुकर में उबलने के लिए रख देते हैं। जिससे दाल कभी गाढ़ी, तो कभी पतली हो जाती है।
कई बार उबलने के बाद भी दाने कच्चे रह जाते हैं, जिसके बाद कई सीटी लेकर इसे फिर से उबाला जाता है। हालांकि, ICMR ने हाल ही में नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। इसमें बताया गया है कि खाना पकाने की विधि और समय खाने की न्यूट्रिशनल क्वालिटी को प्रभावित करता है। दाल के साथ भी कुछ ऐसा ही है। दाल को गलत तरीके से पकाने से इसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
पहले के जमाने में लोग मिट्टी के बर्तन या गहरे बर्तन में दाल उबालते थे। आज भी कुछ लोग यह तरीका अपनाते हैं। के दाल पकाने के लिए बॉइलिंग और प्रेशर कुकिंग दाल की गुणवत्ता को बरकरार रखने के बेहतर तरीके हैं ।
ये दो तरीके फाइटिक एसिड को कम करते हैं। बता दें कि फाइटिक एसिड कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन जैसे मिनरल्स को अवशोषित होने से रोकते हैं।
कई लोग दाल को बहुत ज्यादा उबाल लेते हैं। पर ऐसी दाल में न तो स्वाद होता है और न ही ये हेल्दी होती है। इसलिए दालों को ओवर बॉइल करने से बचना चाहिए। ज्यादा उबालने से दालों में मौजूद प्रोटीन की क्वालिटी खराब हो सकती है।