प्रवीण दुबे
अंततः कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए 84 के सिक्ख दंगों में उनकी सहभागिता उनके भाजपा में जाने के रास्ते का बड़ा रोड़ा बन गया । जैसी की आशंका व्यक्त की जा रही थी भाजपा द्वारा इस महत्वपूर्ण वैचारिक मुद्दे को दृष्टिगत रखते हुए कमलनाथ को पार्टी में शामिल किए जाने से इंकार के बाद आज खुद कमलनाथ ने अपने समर्थकों बीच बीजेपी ज्वाइन करने संबंधी किसी भी संभावना पर पर विराम लगा दिया।
दिल्ली में कमलनाथ द्वारा अपने समर्थकों के साथ की गई बैठक के बाद उनके कट्टर समर्थक सज्जन सिंह वर्मा ने मीडिया से बातचीत में खुलासा किया कि कमलनाथ भाजपा में नहीं जा रहे हैं हालांकि सज्जन सिंह वर्मा ने कमलनाथ के कुछ विषयों को लेकर नाराजगी से इंकार नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि नकुलनाथ भी कांग्रेस में रहकर छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लडेंगे।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व कमलनाथ अचानक अपने सारे कार्यक्रम छोड़कर दिल्ली पहुंचे थे और नाराजगी के चलते बीजेपी में शामिल होने की बात सामने आई थी।
उधर बीजेपी में भी कमलनाथ को भाजपा में लिए जाने पर मंथन प्रारंभ हुआ था,सूत्रों के मुताबिक बीजेपी में बहुत बड़े धड़े ने कमलनाथ को भाजपा में लाने की बात पर असहमति व्यक्त कर दी थी इनमें पार्टी का सिक्ख नेतृत्व तो खासा नाराज दिखा।
इन सभी का मानना था कि कमलनाथ की सहभागिता 84 के सिक्ख दंगों में रही है और यह विषय पार्टी का मुख्य वैचारिक मुद्दा भी रहा है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ को बीजेपी में लाने से पार्टी को नुकसान होगा।
उधर मध्यप्रदेश का वरिष्ठ बीजेपी नेतृत्व भी इसको लेकर सहमत नहीं था। कैलाश विजयवर्गीय ने तो खुलकर इसके खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए थे यही कारण था कि भाजपा ने फिलहाल कमलनाथ के बीजेपी में आने के विषय पर अपनी हरी झंडी प्रदान नहीं की।
उधर दूसरी ओर कांग्रेस ने भी कमलनाथ को रोकने के लिए भरपूर प्रयास किए सोनिया से लेकर राहुल गांधी तक ने उनसे बात की और उनकी नाराजगी से जुड़े मुद्दों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। इसके बाद आज कमलनाथ ने दिल्ली में डटे अपने समर्थकों के साथ लंबी बैठक करके सारी बातों से अवगत कराया और खुद के बीजेपी में जाने से इंकार करते हुए मामले का पटाछेप कर दिया।