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उच्च शिक्षा विभाग : भारतीय ज्ञान परम्परा, विविध संदर्भ विषय पर संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित

ग्वालियर/शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के तत्वावधान में *भारतीय ज्ञान परम्परा, विविध संदर्भ* विषय पर संभाग स्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन आज गालव सभागार, जीवाजी विश्वविद्यालय में हुआ. कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ आलोक शर्मा, निदेशक आईआईटीटीएम ग्वालियर, मुख्य अतिथि माननीय श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, कैबिनेट मंत्री, ऊर्जा विभाग, मप्र शासन, विशिष्ट अतिथि डॉ धीरेन्द्र शुक्ला, विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, उच्च शिक्षा मप्र, डॉ दौलत सिंह चौहान, चांसलर, आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर एवं डॉ स्मिता सहस्त्रबुद्धे, कुलगुरु, संगीत विश्वविद्यालय ग्वालियर थे. क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, ग्वालियर-चंबल संभाग डॉ कुमार रत्नम ने विषय प्रवर्तन के साथ सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ बीपीएस जादौन ने सभी को कार्यशाला के उद्देश्यों और रूपरेखा से परिचित कराया. बीजवक्ता के रूप में डॉ रुद्रेश मूलशंकर व्यास, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, एमटीबी आर्ट्स महाविद्यालय सूरत ने भारतीय ज्ञान परंपरा में मानव जीवन में गर्भाधान से आरंभ कर जन्म, शरीर, बुद्धि, कर्तव्य एवं मुक्ति, पुनर्जन्म, चारों आश्रम, चौंसठ कलाओं और चौदह विधानों की जानकारी दी. बीजवक्ता डॉ राकेश ढा़ंड, प्राध्यापक वाणिज्य, अध्यक्ष शि. सं. उन्नयन न्यास, मध्य भारत प्रान्त ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा में अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, ज्यामिति, अंक संकेत, त्रिकोणमिति, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, अणु विज्ञान, ज्योतिष एवं काल विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियों पर प्रकाश डाला.
मुख्य अतिथि माननीय श्री प्रद्युम्न तोमर जी ने अपने सम्बोधन में गुरुजनों से अपेक्षा की कि वे छात्रों को भावना युक्त होकर शिक्षा प्रदान करें साथ ही छात्रों के लिए उनका संदेश था कि वे अपने माता-पिता के साथ गुरू जनों को सदैव सम्मान दें. श्री तोमर ने स्वयं शिक्षकों के सम्मुख झुक कर उन्हें सम्मान दिया. कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ अशोक शर्मा ने अपने उद्बोधन में सभी वक्ताओं के विचारों को समन्वय करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा अपने आप में पूर्ण और अद्वितीय थी. वर्तमान काल में भी इस अन्तर्ज्ञान परंपरा का अनुसरण कर भारत विश्वगुरू बन सकता है
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ अनीश पांडे एवं डॉ सीमा शर्मा ने किया
शा. विज्ञान महाविद्यालय में आयोजित समानांतर तकनीकी सत्रों में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा मे अपने विषयों की उपलब्धियों पर चर्चा की और उसे किस प्रकार पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए इस पर विचार किय। समापन समारोह में प्रो अरविंद कुमार शुक्ला कुलपति विजया राजे सिंधिया कृषि विश्वविवाधल,ग्वालियर ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा अत्यंत समृद्ध रही है जो ओपनिवेशवाद के कारण विकृत हुई। वर्तमान में भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल्य पुनर्स्थापित हो रहे है और आज शिक्षक वर्ग से सबसे अधिक अपेक्षा है कहते हुए महाभारत के अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए।विषय विशेषज्ञों ने चर्चा का सार सभी के सम्मुख प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के अंत में डॉ धीरेन्द्र शुक्ला ने सभी का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में सभी शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, ई कंटेंट क्रिएटर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नोडल अधिकारी, हिन्दी ग्रंथ अकादमी के लेखक, अध्ययन मंडल के अध्यक्ष, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रशासनिक अधिकारी डॉ एसएस सेंगर, मीडिया प्रभारी डॉ सुयश कुमार सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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