Homeश्रद्धाजंलिएक जिंदादिल व्यक्तित्व का वैकुण्ठ गमन

एक जिंदादिल व्यक्तित्व का वैकुण्ठ गमन

 
ग्वालियर।जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव एवं राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ एपीएस चौहान का बुधवार की तड़के  मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। दो दिन पूर्व तबीयत बिगड़ने पर एअरलिफ्ट के जरिए वे मेदांता में भर्ती कराए गए थे वे किडनी एवं अन्य रोगों से थे पीड़ित। उनके निधन की खबर से विश्वविद्यालय सहित शुभचिंतकों में शोक है उनके   ऐसे  ही  शुभचिंतक व मित्र विवेक जोशी ने श्रद्धाजंलि स्वरूप अपने विचार कुछ इस प्रकार व्यक्त किए

पीएस” नहीं रहे सुनकर मन बैचेन सा हो गया । सोचने लगा मेरे साथ क्या संबंध थे …? विचारधारा से तो विरोधी (ऐसा लोग कह सकते थे ) फिर मन में इतनी बैचैनी क्यो आयी ?
एक सुदर्शन व्यक्तित्व , जब अस्सी के दशक में(शायद 1978) विश्वविद्यालय अध्यक्ष बने तो देखने लायक युवा थे ।
‘ चे गैवेरा ‘ का पोस्टर “एपीएस” के विश्वविद्यालय के विभागीय कक्ष में चीखता सा इस आदमी के व्यक्तित्व को कमरे में घुसते ही बखान कर देता था कि सम्हलकर रहना इससे किसी सैध्दांतिक वाक्- विलास से पहले ..।
लेकिन व्यवहार में कभी कांग्रेसी , कभी सामंती , कभी लोहियावादी समाजवादी और जाने क्या क्या ..।
इस सबके उपर एक यारबाज , राजनीति से जुडे ग्वालियर संभाग के सभी नेताओं में ज्यादा पढा लिखा और अपने घोषित वैचारिक विरोधियों को भी राजनीतिक जानकारी देने को तत्पर और सहजता से उपलब्ध व्यक्ति का ऐसे जल्दी जाना एक शून्य तो बना देता ही है । पूर्णतया धुर विरोधी के कार्यालय में जेएनयू की फितरत उन दिनों समझाते हुए जब जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारे उमर खालिद और कन्हैया कुमार लगा फरार थे, देखे जा सकते थे । कुछ समझ में आने वाली बातें भी उन्होनें रखी थी। ये इसलिए लिख रहा हूँ कि वो एक एनसायक्लोपीडीया से थे और हम जैसे काफी लोग कुछ जानकारी लेने के लिए “एपीएस” है ही , पूछ लेंगे-वाले भाव से निश्चिंत थे ,जो शायद फिलहाल तो निश्चिंत नहीं रहेंगे .. शायद यही कारण “एपीएस” के जाने से हो रही बैचैनी का है ।
इस लेख के शीर्षक को सनातनी बनाने की धृष्टता “एपीएस” के जाने बाद ही कोई कर सकता था जो इस लेखक ने केवल आज इसे लिखते वक्त की मात्र तिथि ही के कारण की है शायद “एपीएस” बुरा नहीं मानेंगे ।
आखिर में अंग्रेजी सिनेमा “बेट्समेन” में बुलवाई गई ये उक्ति लिख रहा हूं….” यु आइदर डाय एज हीरो , आँर लिव्ह लांग इनफ टु सी यौरसेल्फ बीकम ए विल्हैन ” यानि आप या तो हीरो समान मर जायें या अपने आप को खलनायक बनते देखने के लिए पर्याप्त लंबा जिये “
एपीएस” दौस्तो- दुश्मनों , समर्थक- विरोधियों सिर्फ़ दूर से देखने वालों और सीधे संबंधित लोगों को याद तो आयेंगे ।

लेखक  मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हैं

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