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एक तरफ हाईकोर्ट का सख्त निर्देश 24 घण्टे में हड़ताल वापस लो दूसरी तरफ प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टर का इस्तीफा

हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर अगर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

भोपाल / ग्वालियर /अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर्स को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने निंदा करते हुए असंवैधानिक बताया और तत्काल हड़ताल को वापस लेने के आदेश दिए. जिसके बाद से प्रदेशभर के तकरीबन 3000 से अधिक जूनियर डॉक्टर्स ने अपना सामूहिर इस्तीफा दे दिया.

हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
जूनियर डॉक्टरों हड़ताल पर हाईकोर्ट में पहले से लंबित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान जब डॉक्टरों की सबसे ज्यादा जरूरत है, ऐसे नाजुक हालातों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को उचित नहीं ठहराया जा सकता. हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे के भीतर अगर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

ग्वालियर से 330 डॉक्टरों का इस्तीफा
ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज के 330 जूडा ने सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाते हुए सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया. डॉक्टरों का कहना है कि हम चार दिन से हड़ताल पर थे, सरकार से संवाद की कोशिश कर रहे थे, कम से कम चिकित्सा मंत्री ही हमारे प्रतिनिधियों से बात करें लेकिन कर ही नहीं रहे है.

इंदौर में भी सामूहिक इस्तीफा
हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदौर में भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन को 476 जूनियर डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा डीन को सौंप दिया. जूनियर डॉक्टरों के फैसले के बाद अब एमवाय अस्पताल और अन्य व्यवस्थाओं की हालत बिगड़ती नजर आ रही है.

जबलपुर में भी सामूहिक इस्तीफा
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडीकल कॉलेज अस्पताल के क़रीब 400 जूनियर डॉक्टरो ने दिया सामूहिक इस्तीफ़ा दिया है. डॉक्टरों ने खुद को सरकार द्वारा अपमानित किये जाने का हवाला दिया है.

इधर स्टूडेंट्स के नामांकन भी कैंसिल
जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने मेडिकल कॉलेज के पीजी के फाइनल ईयर के 450 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल कर दिए हैं. प्रदेश में करीब एक हजार पीजी के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स हैं. इसके बाद अब फाइनल ईयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे.

डॉक्टरों की ये है मांग
– जूनियर डॉक्टरों की स्टायफण्ड में 24 प्रतिशत करके 55000 से बढ़ाकर 68,200 एवं 57,000 से बढ़ाकर 70680 व 59,000 से बढ़ाकर 73,160 किया जाए.
– हर साल वार्षिक 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए.
– पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बांड को कोविड की ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाएं.
– कोरोना ड्यूटी में कार्यरत जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक सर्टिफिकेट दिया जाए, उसे सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दें.
– कोविड में काम करने वाले जूनियर डॉक्टर और उनके परिवार के लिए अस्पताल में एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए.
-कोरोना में काम करने वाले डॉक्टरों के परिजनों का नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाए.

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