भोपाल /मध्य प्रदेश में सूचना आयुक्त रहे विजय मनोहर तिवारी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) के नए कुलगुरु (कुलपति) बनाए गए हैं। अगले 4 साल तक वह बतौर कुलपति सेवाएं देते रहेंगे। मप्र जनसंपर्क विभाग के उपसचिव डॉ कैलाश बुंदेला ने मंगलवार शाम नियुक्ति संबंधी आदेश जारी किया है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) में कुलपति पद के चयन के लिए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। इस पद के लिए वरिष्ठ पत्रकार आशीष जोशी, विकास दवे और प्रो. अनिल सौमित्र सहित अन्य नाम चल रहे थे। चयन समिति ने विजय मनोहर तिवारी के नाम पर अंतिम मुहर लगाई।
कौन हैं विजय मनोहर तिवारी?
एमसीयू के कुलपति बनाए गए विजय मनोहर तिवारी करीब 25 साल तक विभिन्न मीडिया समूहों में अपनी सेवाएं दी है। भारतीय पत्रिकारिता में उनका बड़ा नाम है। मध्य प्रदेश में वह सूचना आयुक्त के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। कुलगुरु के तौर पर उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय महापरिषद के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री मोहन यादव की सहमति से हुई है। यूनिवर्सिटी के कुलगुरु का पद करीब छह महीने से खाली था। इसपर काबिज होने के लिए कई पत्रकार अपने स्तर पर लॉबिंग कर रहे थे।
पत्रकारिता, प्रशासन और साहित्य में 25 वर्षों का अनुभव
विजय मनोहर तिवारी वर्ष 2018-2023 तक राज्य सूचना आयुक्त के पद पर रहे है। 2022-2024 तक बहुकला केंद्र भारत भवन के न्यासी रह चुके हैं। वहीं उन्होंने राष्ट्रीय सहारा (दिल्ली), नईदुनिया (इंदौर), सहारा समय न्यूज चैनल और दैनिक भास्कर (भोपाल) में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया। विशेष रूप से 2010 से 2015 के बीच दैनिक भास्कर के नेशनल न्यूज रूम में विशेष संवाददाता के रूप में कार्य करते हुए देश की लगातार आठ यात्राएँ कीं। इसी अनुभव पर केंद्रित उनकी पुस्तक ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त हुआ।
उनकी अब तक 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। इनमें ‘भारत में इस्लाम’ एक चर्चित श्रृंखला है। यात्रा वृत्तांत और डायरी लेखन की कई रचनाएं पुरस्कृत हो चुकी हैं। भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को समझने के लिए उन्होंने आठ बार संपूर्ण भारत की परिक्रमा की है।
शहरों से गांवों की तरफ लौटने के मॉडल पर काम किया
2018 में उन्होंने “रिवर्स माइग्रेशन” के तहत अपने पैतृक गांव (विदिशा जिला) में शहरों से गांवों की ओर लौटने के एक जमीनी मॉडल पर कार्य शुरू किया। यह पहल ग्रामीण पुनर्विकास के लिए एक प्रेरणास्रोत बनी