प्रवीण दुबे
जिसका डर था वही होता दिख रहा है कांग्रेस के भीतर मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की दशकों पुरानी गुटबाजी एकबार फिर सड़कों पर आ गई है। पहले अपने चहेतों को टिकिट की भरमार फिर उसपर कमलनाथ का दिग्विजय सिंह के खिलाफ बेहूदा सार्वजनिक बयान और अब दिग्विजय सिंह की कमलनाथ को समझदारी दिखाने वाली सार्वजनिक। नसीहत ने चुनाव के मुहाने पर खड़ी कांग्रेस को दो फाड़ कर दिया है।
भाजपा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का एक वीडियो सोमवार रात सोशल मीडिया पर जारी किया था। कमलनाथ इस वीडियो में वीरेंद्र रघुवंशी के समर्थकों कहते दिख रहे हैं, दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ो। इस वीडियो को देख दिग्विजय सिंह अपना आपाखो बैठे और चंद घंटों बाद ही
कमलनाथ जी द्वारा कपड़े फड़वाने के बयान के बाद दिग्विजय सिंह जी का ट्वीट “धैर्यपूर्वक निकालें समाधान
https://x.com/Ashish_HG/status/1714146440719827290?t=8p7Si6TwxpzlrtxudD3BcA&s=08
मंगलवार को दिग्विजय ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की है। उन्होंने लिखा- जब परिवार बड़ा होता है तो सामूहिक सुख और सामूहिक द्वंद्व दोनों होते हैं। समझदारी यही कहती है कि बड़े लोग धैर्यपूर्वक समाधान निकालें। इस पूरे मामले में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा- यह शक है कि ये वीडियो फेक है। इसकी हम जांच करवाएंगे।
यहां बताना लाजिमी होगा कि कांग्रेस द्वारा हाल ही में जारी की गई 144 प्रत्याशियों की सूची को लेकर कांग्रेस की खासी किरकिरी हो रही है। कहा यह जा रहा है कि इस सूची में दागी चेहरों की भरमार है भाजपा ने इसके प्रमाण भी दिए हैं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने तो बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा है कि इसमें 54 नेता दागदार हैं इनमें 14 पर गंभीर और 38 पर आपराधिक मामले हैं। दूसरी ओर इस सूची में दिग्विजय सिंह के पूरे परिवार सहित तमाम अन्य समर्थकों को टिकिट देने के बाद कांग्रेस में बवाल खड़ा हो गया।
चूंकि पार्टी हाईकमान ने टिकटों के बटवारे की जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह को दी थी अतः जब नाराज कांग्रेसी कमलनाथ के पास पहुंचे तो उनके कपड़े फाड़ बयान और अब दिग्विजय की उन्हें नसीहत ने कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को सड़कों पर ला दिया है। फिलहाल मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास गुटबाजी से परे ऐसा कोई नेता नहीं जो इस झगड़े को शांत करा सके। जहां तक दिल्ली में बैठे कांग्रेस नेतृत्व की बात है वह भी सूची जारी होने के 48 घंटे बाद भी स्थिति को संभालने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिग्विजय सिंह को शुरुआत में प्रत्याशी चयन जैसे संगठनात्मक काम को देकर पार्टी नेतृत्व ने बहुत बड़ी गलती कर दी है अब उसकी भरपाई बहुत मुश्किल होगी।