Homeप्रमुख खबरेंकहीं भाजपा के लिए टेंशन न बन जाए आरएसएस पूर्व प्रचारकों की...

कहीं भाजपा के लिए टेंशन न बन जाए आरएसएस पूर्व प्रचारकों की यह पार्टी ? एक साल में ही देशभर से जुड़े कार्यकर्ता

प्रवीण दुबे 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारकों द्वारा गठित राजनीतिक दल जनहित पार्टी  अब भाजपा के लिए चुनौती बनने लगी है, एक वर्ष के अल्प समय में ही सीमित संसाधनों के बावजूद इस राजनीतिक दल ने देशभर खासकर उत्तर भारत के कुछ राज्यों में जमीनी स्तर पर अपना आधार खड़ा करने में सफलता हासिल कर ली है हालांकि अभी इसे केवल बीजारोपण ही कहा जा सकता है। लेकिन इस पार्टी को खड़ा करने वाले आरएसएस के तीन पूर्व प्रचारकों ने एक वर्ष में संघर्ष और सिद्धांत  का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है वास्तव में वो काबिले तारीफ कहा जा सकता है।
इसी बात का यह प्रमाण है कि डेढ़  वर्ष पूर्व 10 सितंबर 2023 में कुछ गिने चुने  चंद लोगों के बीच जो  राजनितिक दल खड़ा किया गया था उसने देशभर में अपना ताना बाना खड़ा करके दिखा दिया है।
 अब यह राजनितिक दल 8 और 9 मार्च को ग्वालियर में अपना राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने जा रहा है।
पार्टी प्लेटफार्म पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 8 – 9 मार्च 2025 को जनहित पार्टी का ग्वालियर में राष्ट्रीय अधिवेशन है। इसमें विभिन्न राज्यों आसाम ,बंगाल, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि  से लगभग एक हजार प्रतिनिधि आने की संभावना है।
अधिवेशन को  देश की ( चिति) आत्मा के पुनर्जागरण का एक महायज्ञ बताया गया  है। इस महायज्ञ  में  5 लाख रु खर्च होने की बात भी कहीं गई  है और   इस राष्ट्र जागरण के पुनीत कार्य में बढ़-कर कर सहयोग किए जाने का आव्हान पार्टी ने किया है।
यहां बताना उपयुक्त होगा कि संघ पृष्ठ भूमि से निकले तीन लोगों द्वारा खड़े किए गए इस राजनितिक दल ने अपनी स्थापना के बाद से कई महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों को लेकर देशभर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है इनमें पार्टी ने स्थापना के बाद से ही जनता के हित के कई विषयों पर जनजागरण शुरू किया। जैसे बढ़ते नशे के कारोबार, शिक्षा और स्वास्थ्य का बढ़ता व्यापार, प्राकृतिक हरियाली का संरक्षण, बांग्लादेशी घुसपैठियों को नागरिकता देने और उन्हें देश से बाहर निकालने को लेकर जनता में जागरण आदि। प्रमुख कहे जा सकते हैं।
हाल ही में आसाम में बांग्लादेशी घुसपैठियों को नागरिकता देने और उन्हें देश से बाहर निकालने को लेकर देशभर की  जनता के बीच जाकर   जागरण का बड़ा अभियान भी पार्टी ने चलाया मुख्य बात यह रही  की सीमित संसाधनों और कुछ थोड़े से कार्यकर्ताओ के साथ देशभर में चलाये गए इस अभियान के सहारे पार्टी ने जहां देशभर में दस्तक दी वहीं अनेक सम विचारी लोगों को अपने साथ जोड़ने में सफलता भी हासिल की है।
पार्टी का  आधार खड़ा करने वालों में से एक संघ के पूर्व प्रचारक मनीष काले कहते हैं कि आज भारत की पूरी राजनीतिक व्यवस्था धनबल और बाहुबल पर केंद्रित हो गई है। जिसमें जनता के हित के प्रमुख मुद्दे हाशिए पर होते जा रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों की कार्यशैली भी आज एक समान हो गई है जो जनता में मुफ्तखोरी को बढ़ावा देकर उनके असली समस्याओं से घ्यान भटकाकर भ्रमित कर रही है।
इन्हीं सब विषयों को ध्यान में रखकर राष्ट्रवादी विचारधारा के कई लोगों ने मिलकर 10 सितंबर 2023 को भोपाल में जनहित पार्टी की स्थापना की।
पार्टी का विस्तार तेजी से मप्र सहित देश के अन्य राज्यों में हो रहा है। इसी क्रम में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन 8 और 9 मार्च को ग्वालियर मप्र में होने वाला है। जिसमें मप्र, उप्र, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, झारखंड, असम आदि राज्यों से कार्यकर्ता स्वयं के खर्च से आने वाले हैं। अधिवेशन में पार्टी का विस्तार, राष्ट्रीय मुद्दों सहित कई विषयों पर चर्चा होगी। पूरे अधिवेशन का खर्च जनसहयोग से जुटाया जा रहा है।
निःसंदेह अभी जनहित पार्टी के. सामने तमाम बड़ी चुनोतियाँ हैं चूंकि इस पार्टी का उदय संघ पृष्ठभूमि से निकले लोगों के द्वारा हुआ है अतः सबसे बड़ी चुनौती तो इसी पृष्ठ भूमि से आई पार्टी भाजपा की है यह दल कभी नहीं चाहेगा कि जनहित पार्टी का एक मजबूत ताना बाना देश और समाज में खड़ा हो। बावजूद इसके मात्र एक साल में नई पार्टी का गठन उसका पंजियन, विधानसभा, लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतरना, राष्ट्रीय स्तर तक आंदोलन का संचालन और अब बड़े स्तर पर राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन करना यह सिद्ध करता है कि आने वाले समय में यह राजनीतिक दल भाजपा के लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है।
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments