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केरल से कश्मीर तक कांग्रेस में सुलग रही है विद्रोह की आग, आखिर कैसे बुझा पाएंगे राहुल गांधी; क्या है प्लान

135 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी को 2 साल से कोई अध्यक्ष नहीं मिल सका है। पिछले 2 साल से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी के 2 साल के कार्यकाल को हटा दिया जाए तो सोनिया गांधी 1998 से लगातार पार्टी की अध्यक्ष बनी हुई हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा पिछले कुछ सालों से पार्टी के लिए काम कर रही हैं। इस सबके बीच हालिया सालों में कांग्रेस की अंदरूनी कलह लगातार सामने आ रही है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ तक। इसे लेकर इकॉनोमिक टाइम्स ने विस्तार से एक रिपोर्ट की है। आइए जानते हैं केरल से लेकर कश्मीर घाटी तक कांग्रेस में चल क्या रहा है।

केरल

जब से गांधी परिवार ने केसी वेणुगोपाल के किनारे कर ओमन चांडी और रमेश चेन्नीथला को तरजीह दी है तब से के सुधाकरण और वीडी सतीसन गुट आपस में लड़ने में लगे हुए हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का एक कारण यह भी रहा।

कर्नाटक

यहां सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की लड़ाई जगजाहिर है। और इस लड़ाई का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है। बीजेपी द्वारा येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाने के बाद कांग्रेस बीजेपी पर निशाने लगाने के लिए सही तीर की तलाश में है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार खुद को मुख्यमंत्री बनते हुए देखने की लड़ाई लड़ते हुए कांग्रेस का नुकसान करवा रहे हैं।

महाराष्ट्र

जब से राहुल गांधी ने बीजेपी से कांग्रेस में आए नाना पटोले को प्रदेश प्रमुख बनाया है तब से कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई में सब ठीक नहीं चल रहा है। नाना पटोले पर पुराने कांग्रेसी आरोप लगा रहे हैं कि वह हमें छोड़कर नए लोगों के साथ काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत और नाना पटोले के संबंध भी ठीक नहीं हैं। माने महाराष्ट्र में भी कांग्रेस दो फाड़ में नज़र आती है।

मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी में अंतर्कलह में संजय निरुपम का नाम सामने आता रहा है। पहले संजय निरुपम और गुरुदास कामथ के बीच लड़ाई थी। इस लड़ाई का असर सूरज ठाकुर और बही जगतप के बीच भी दिखता है।

गोवा

यहां कांग्रेस के करीब 6 नेता पूर्व सीएम और प्रदेश प्रमुख हैं। ऐसे में सभी लोगों को साथ चलने में पार्टी को दिक्कत आ रही है। हाल ही गोवा कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से मिलकर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की है।

गुजरात

2017 विधानसभा चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन करने के बाद राहुल गांधी ने अपने तरीके से एक टीम बनाई। इससे हुआ ये कि अहमद पटेल समर्थक कार्यकर्त्ता दूर होते चले गए। इसके बाद हुआ ये कि लोकसभा चुनाव 2019 में गुजरात में कांग्रेस का खाता तक न खुला। स्थानीय निकाय चुनावों में भी कांग्रेस का बुरा हाल रहा। प्रदेश में नेतृत्व करने वाले नेताओं की कमी दिखती है। इस सबके बीच आंतरिक लड़ाई जारी है और कई लोग विपक्षी पार्टियों के साथ हो रहे।

राजस्थान

सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच रार जारी है और इसका अंत नज़दीक नहीं दिखता है। अजय माकन के जयपुर दौरे के बाद कैबिनेट में बदलाव की खबरें आईं लेकिन इस पर तुरंत में कुछ होता नहीं दिख रहा है।

पंजाब

राजनीतिक विश्लेषक पंजाब का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि किसी राजनीतिक पार्टी को पंजाब जैसे हालत से बचना चाहिए और अगर ऐसे हालात बन जाएं तो जल्द से जल्द उसे सुलझा लिया जाना चाहिए। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और अगले छह महीने में चुनाव होने को हैं। ऐसे हालात में कांग्रेस को पंजाब में अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लड़ाई को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।

हरियाणा

यहां पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुडा और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा के बीच लड़ाई जारी है। यहां दोनों धड़े के लोग कई बार कांग्रेस के राज्य प्रभारी के साथ ही कांग्रेस के संगठन महासचिव के पास शिकायत कर चुके हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि हुडा चाहते हैं कि उनके बेटे को प्रदेश प्रमुख बनाया जाए। यह बात शैलजा समर्थकों को नागवार गुजर रही है।

उत्तर प्रदेश

प्रशांत किशोर के साथ 2017 विधानसभा और संदीप सिंह के साथ 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के नेतृत्व में लड़ाई हारने के बाद अभी भी कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में उद्धार नहीं दिख रहा। कई पुराने और पारंपरिक कांग्रेस नेता बर्खास्त हैं। जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को छोड़ अब बीजेपी के साथ हैं।

बिहार

बिहार की बात करें तो यहां प्रदेश प्रमुख किसे नियुक्त किया जाए, इसे लेकर दलित और उच्च जाति समुदाय के बीच मामला फंसा हुआ है। इस तरह की रिपोर्ट्स भी आती रही हैं कि कांग्रेस विधायकों का एक गुट नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के संपर्क में है और पाला बदलने को लेकर बातचीत चल रही है।

छत्तीसगढ़ 

राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में रोटेटिंग सीएम की बात कही थी। और यही बात अब कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ में मुसीबत का कारण बन गई है। टीएस सिंह देव कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से नाराज चल रहे हैं। सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच टकराव के बीच कांग्रेस नेतृत्व से मुलाकात के लिए सभी विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं।

झारखंड

नए प्रदेश प्रमुख की नियुक्ति के बाद से कांग्रेस में अंदरूनी कलह बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई कांग्रेस विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं और बगावत के स्पष्ट संकेत दिखे हैं। अब देखना ये है कि कांग्रेस इस मसले को कैसे संभालती है। अगर मसले को जल्द नहीं संभाला गया तो इसका सरकार झारखंड की गठबंधन सरकार पर भी पड़ सकता है।

असम और पूर्वोत्तर के राज्य

विधानसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस की बड़ी नेता सुष्मिता देव ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। पार्टी पाला बदल रहे नेताओं से त्रस्त है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों में बीजेपी गठबंधन की सरकार अंदरूनी कलह से जूझ रही है लेकिन कांग्रेस इसका फायदा उठाने में अब तक नाकाम रही है।

जम्मू और कश्मीर

गुलाम अहमद मीर को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से गुलाम अली आजाद जैसे नाराज जान पड़ते है। आजाद की पिछली दो यात्राओं के दौरान ऐसा दिखा है कि वह अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हों। कांग्रेस को यहां भी दोनों पक्षों को साथ लेकर चलने की ज़रूरत है।

साभार

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