मदद की गुहार पर मुख्यमंत्री योगी ने तुरंत कमेटी बना क डॉ शारदा के इलाज के लिए डेढ़ करोड़ की राशि जारी की थी
लखनऊ की 31 वर्षीया डॉ शारदा सुमन का कोरोना से लंबी लड़ाई के बाद हैदराबाद में बीते चार सितम्बर को निधन हो गया.
उन्हें लखनऊ के लोहिया अस्पताल से लंग ट्रांसप्लांट के लिए हैदराबाद के लिए के.आई.एम.एस अस्पताल एयरलिफ़्ट किया गया था.
लखनऊ के लोहिया अस्पताल के जच्चा-बच्चा विभाग में काम करने वाली रेज़िडेंट डॉक्टर शारदा अप्रैल महीने में जब कोरोना संक्रमित हुईं तो वह ख़ुद आठ महीने की गर्भवती थीं.
उनके साथ काम करने वाली नर्स-इंचार्ज सुनीता द्विवेदी अक्सर मरीज़ों की देख रेख में उनका हाथ बटातीं थीं. कोराना की दूसरी लहर में जच्चा-बच्चा विभाग भी इमरजेंसी की तरह काम करता रहा. चाहे आने वाली माताएं कोरोना पॉज़िटिव भी हों, लेकिन वहां प्रसव होता था और डॉक्टर और नर्स दोनों ही अक्सर कोरोना की चपेट में आते थे.
14 अप्रैल को डॉ शारदा सुमन कोविड पॉज़िटिव हुईं. 18 अप्रैल को सांस की तकलीफ़ के बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. ऑक्सीजन थेरेपी लगातार बढ़ानी पड़ी. 1 मई को बच्ची को बचाने के लिए और डॉ शारदा को साँस लेने में राहत देने के लिए सिजेरियन ऑपरेशन कर डिलीवरी हुई.
9 मई को डॉ शारदा सुमन कोविड निगेटिव हुईं और उन्हें नॉन-कोविड आईसीयू में शिफ़्ट किया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया. 20 मई को चेस्ट ट्यूब डाला गया लेकिन ऑक्सीजन की कमी बनी रही.
इसके बाद डॉ शारदा को इक्मो मशीन पर रखा गया जो एक आर्टिफ़िशियल लंग का काम करती है और फेफड़ों और दिल पर दबाव को कम करके उन्हें रिकवर करने का मौक़ा देती है. इससे शरीर के दूसरे अंगों, जैसे दिमाग़, दिल, किडनी, लिवर को होने वाले नुक़सान को रोका जा सकता है.
डॉ शारदा को 52 दिनों तक लगातार कोविड विशेषज्ञ और इंटेंसिव रोग विशेषज्ञ डॉ पीके दास ने 24 घंटे ख़ुद अपनी निगरानी में रखा. इक्मो मशीन के ख़राब होने या कोई भी चूक से डॉ शारदा की जान जा सकती थी इसलिए डॉ दास ने खुद रात दिन निगरानी कर डॉ शारदा को ज़िंदा रखा.
लेकिन इसके बावजूद फेफड़ों में सुधार न होने पर लंग ट्रांसप्लांट और उसके ख़र्च की जानकारी जुटाई गई.
हैदराबाद के निजी अस्पताल के.आई.एम.एस. में लंग ट्रांसप्लांट की सुविधा थी लेकिन उसका ख़र्च लगभग डेढ़ करोड़ आंका गया. लोहिया अस्पताल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगाई और तुरंत कमेटी बना क डॉ शारदा के इलाज के लिए डेढ़ करोड़ की राशि जारी की गई.