डॉ केशव पांडे
देश में जो कोरोना आपदा आयी है वह एक अभूतपूर्व वैश्विक आपदा है। इस आपदा के समय भी हमारा भाव वैसा ही होना चाहिए जैसा भारत पाकिस्तान युद्ध में या भारत चीन युद्ध में होता है। जब देश पर संकट आता है तो आमलोग अपना धन ,सोना , चांदी आदि का दिल खोलकर सहयोग करते हैं। जनता का भाव सरकार के चाहने या न चाहने के बाद भी देश के लिए लड़ने जैसा होता है।
एक प्रसंग है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने युद्ध के समय जनता से आव्हान किया कि सैनिकों के लिए अंडे कम पड़ गए हैं ऐसे में लोग यदि अंडे न खाएं तो सैनिकों की पूर्ति हो सकती है और जनता ने अपने प्रधानमंत्री की एक आवाज पर सारे अंडे दुकानों पर लाक़र सैनिकों के लिए रख दिये। इसी प्रकार भारत में पाकिस्तान युद्ध के समय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने देशवासियों से एक समय खाना खाने की अपील की तो जनता ने अभूतपूर्व समर्थन देते हुए एक समय खाना शुरू कर दिया। कोरोना की यह लड़ाई युद्ध से भी बड़ी लड़ाई है क्योंकि इसमें व्यापक जनहानि हो रही है और गरीब लोग बहुत बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं। कई परिवार उजड़ गए हैं, लोगों के धंधे पानी चौपट हो गए हैं और पूरा देश अभूतपूर्व संकट में है।
इस अभूतपूर्व संकट में शिरोमणि गुरुद्वारा समिति के नेतृत्व में अमृतसर गुरुद्वारा ने एक सराहनीय पहल की है कि पूरे पंजाब को चिकित्सा सुविधा से सम्बधित जो भी सुविधाएं हैं – दबाई, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर इत्यादि ये सभी सुविधाएं किसी भी अस्पताल को निशुल्क देने की घोषणा की है और वे लगातार दे भी रहे हैं। नांदेड़ में मेडिकल कालेज भी बनाया जा रहा है। गुरुद्वारों को जो दान में सोना मिला है उस पूरे सोने को वे इसी महामारी से निपटने और लोगों की सेवा करने में लगा रहे हैं। साथ ही गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने घोषणा की है कि जब तक यह संकट चलेगा तब तक किसी गुरुद्वारे में किसी प्रकार का कोई सौंदर्यीकरण का काम नहीं होगा और हर गुरुद्वारे में कम से कम 200 बिस्तर का अस्पताल बनाया जाएगा।
मैं अपने इस लेख के माध्यम से हिन्दुधर्म के जो बड़े बड़े मंदिर व धर्मस्थान हैं, जिनमें हजारों लाखों करोड़ की धनराशि मौजूद है और धर्मप्रेमी लोग जो मंदिरों में पैसा चढ़ाते हैं, उस पैसे का सदुपयोग करने का इससे अच्छा क्या समय हो सकता है? हर धर्म के मूल में मानव कल्याण निहित है इसलिए जिस प्रकार सिक्ख समाज ने आगे बढ़कर जो मानव सेवा की मिसाल पेश की है, हिन्दू धर्म को भी जैन, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम व अन्य धर्म के लोगों को शामिल कर खुले दिल से सेवाभाव का अनुकरण करना चाहिए। सभी धर्मों के आचार्यों व मठाधीशों को इस पहल को आगे बढाने के लिए जनता से आव्हान करना चाहिए। अगर सभी धर्मों के आचार्य यह अपील करते हैं तो मुझे लगता है कि जनता इसमें बढ़चढ़कर भाग लेंगी, क्योंकि जनता नेताओं और अधिकारियों की अपेक्षा धर्माचार्यों की अपील पर ज्यादा भरोसा करती है। देश की जो धारा है उसे समाजसेवा की धारा में बदलने की पहल धर्मगुरुओं को करना चाहिए। यह इस समय की सबसे बड़ी मांग है क्योंकि अभी कोरोना की दूसरी लहर चल रही है और विशेषज्ञों द्वारा तीसरी और चौथी लहरों की बात कही जा रही है और कोरोना का प्रभाव धीरे धीरे ग्रामीण क्षेत्रो तक पहुंच चुका है।
इस संकट काल में देश का स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर बिना जनसहयोग के कैसे चलेगा और किसी भी देश का भविष्य वहां के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। स्वास्थ्य और शिक्षा किसी देश के विकास के दो बड़े पैरामीटर हैं। इन दोनों पर दुर्भाग्य से अभी तक पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है इसी वजह से देश में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी इस कोरोना के समय में दिखाई दे रही है।
यही समय है जब ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी दूर करने के लिए धर्माचार्यों के साथ हमारे बड़े नेताओं को भी पहल करनी चाहिए। क्योंकि कई जगह धार्मिक ट्रस्ट सरकारों के अधीन हैं। जैसे वैष्णोदेवी ट्रस्ट , तिरुपति मंदिर ट्रस्ट, केरल के दो बड़े मंदिरों के ट्रस्ट जहां बड़े बड़े IAS अधिकारी प्रशासक नियुक्त हैं, इन सभी को देश के प्रति अपनी एकता दिखाने के लिए पहल करना चाहिए। ग्वालियर के छोटे से हनुमान मंदिर ददरौआ महाराज ने कोरोना काल में दो लाख रुपये दिए हैं। ग्वालियर में कई बहुत बड़े ट्रस्ट हैं जैसे अचलेश्वर ट्रस्ट, साईंबाबा ट्रस्ट , खेड़ापति मंदिर ट्रस्ट आदि। इनके पास अकूत संपत्ति है और यह संपत्ति जनता द्वारा ही दी गयी है तो यह संपत्ति जनता के बुरे वक्त में काम आना चाहिए। इस पहल को भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत यदि करें तो जनता पर इसका व्यापक असर होगा। संघ कई स्थानों पर सेवाकार्य कर भी रहा है लेकिन यदि स्वयं श्री भागवत यह अपील करें तो यह सेवा के बड़े जन आन्दोलन में बदल जायेगा।
अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जो मस्जिद के लिए जगह दी गयी हैं वहां मुस्लिम सम्प्रदाय के बन्धु बहुत बड़ा अस्पताल बना रहे हैं। यह स्वागत योग्य कदम है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के साथ एक अस्पताल भी बनाने का प्रावधान है।
ये समय स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार का समय है कोरोना के साथ साथ ब्लैक फंगस, वाइट फंगस आदि जो नई नई चुनौतियां हमारे सामने आ रही हैं, उनके लिए धर्मक्षेत्र को भी बढ़चढ़कर अपनी सहभागिता करनी होगी। नए नए अस्पताल बनाने होंगे, डॉक्टरों की भर्तियां करनी होंगीं और स्वास्थ्य सुविधाओं पर फोकस करना होगा। यह आज के समय की सबसे बड़ी मांग है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी हैं