प्रवीण दुबे
“थोड़ी सी भी असावधानी खतरनाक साबित हो सकती है” वर्तमान में फैल रहे कोरोना वायरस को लेकर अब पूरा देश हाई अलर्ट मोड पर आ गया है। थोड़ी सी असावधानी भी कितनी भारी पड़ सकती है इसका प्रमाण बन गए है केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले एक वर्षों से सभी जगह मास्क लगाए दिखाई देने वाले श्री सिंधिया ग्वालियर में आयोजित अंबेडकर महाकुंभ के दौरान मास्क के प्रति थोड़ा सा असावधान दिखाई दिए और कोरोना ने उन्हें चपेट में ले लिया। एक बार फिर अर्थात चौथी बार वे कोरोना के शिकार हुए हैं उनके पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी कोरोना की चपेट में आकर पहले से ही आइसोलेट हैं पूरे जय विलास पैलेस मैं बीते दो दिनों के दौरान लगातार सभी का कोरोना टैस्ट कराया जा रहा है और जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक यहां कुछ लोग पॉजिटिव भी निकले हैं। लोगों को आश्चर्य इस बात का है कि जो शख्स पिछले एक वर्ष से सभी को कोरोना से बचाव का संदेश लगातार देता रहा है बिना मास्क जो भी दिखाई दे उसे टोकते हुए मास्क लगाने की सलाह देता है वह शख्स पुनः कोरोना की चपेट में कैसे आ गया ?

अब सवाल यह उठ रहा है की देश प्रदेश की सरकार के तमाम जनप्रतिनिधियों ने जो कृत्य किया है क्या उसके लिए उन्हें माफी नहीं मांगना चाहिए?
हालांकि जिस समय ग्वालियर में अंबेडकर महाकुंभ का विशाल आयोजन किया जा रहा था उससे पूर्व अनेक लोगों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस बात की चिंता जाहिर की थी की एहतियात के तौर पर कोरोना से सावधानी बरतना चाहिए और ऐसे समय जब कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं इतने विशाल सार्वजनिक आयोजन से सरकार को बचना चाहिए, लोगों की चिंता जायज भी थी अब उसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं जो मंच पर थे उन्हें ही कोरोना हो गया है और चिंता का विषय यह है कि मध्य प्रदेश सरकार के लगभग एक दर्जन मंत्री सहित खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा सहित उच्च प्रशासनिक अमला भी इस कार्यक्रम में लगातार सक्रिय था ऐसी स्थिति में अब जबकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कोरोना पॉजिटिव हो गए तो इस बात का अंदेशा बढ़ गया है की मंच पर उपस्थित नेता व इस सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हजारों लोगों में से कितनों को ही कोरोना ने अपनी जद में लिया होगा ? यह सच है कि इतने सारे लोगों का कोरोना टेस्ट कराना संभव नहीं होगा लेकिन यह भी उतना ही सच है की कोरोना के प्रति उन लोगों द्वारा ही असावधानी बरती गई है जिनके ऊपर पूरे देश पूरे प्रदेश को जागरूक करने की जिम्मेदारी है। अब जबकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पुत्र महाआर्यमन सिंधिया कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं तो उन्होंने परंपरागत ढंग से ट्वीट करते हुए सभी से कोरोना टेस्ट कराने का आग्रह किया है। बड़ा सवाल यह है यह जानते हुए भी कि देश में कोरोना एक बार फिर पैर पसार रहा है सार्वजनिक रूप से प्रदेश सरकार द्वारा इतना बड़ा आयोजन कैसे किया गया ? क्या सरकार को यह समझ नहीं है की इतने भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक कार्यक्रम से कोरोना का पॉजिटिविटी रेट और बढ़ सकता है वह तो भगवान का शुक्र है की वर्तमान में जारी कोरोना का कहर उतना घातक नहीं है जितना कि पिछले वर्षों में रहा है लेकिन कोरोना को हल्के में कतई नहीं लिया जा सकता ।ऐसे हालात में देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने लगातार यह अपील की है कि सावधानी बरतें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और कोरोना से बचाव के नियमों को ध्यान में रखकर कार्य किया जाए। इसे विडंबना ही कहेंगे की राजनीति के चक्कर में वे लोग ही सब कुछ भूल जाते हैं जिनके कंधों पर जनता को सुरक्षित रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। सर्ववदित है कि मध्यप्रदेश में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं यही वजह है कि राजनीतिक दलों में चुनाव प्रचार, जनता से संपर्क और सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार जोर पकड़ रहा है। इसे प्रदेशवासियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा सत्ताधारी दल हो या विपक्ष से जुड़े नेता अथवा अन्य जनप्रतिनिधि वे चुनाव के दौरान इस बात का कतई ध्यान नहीं रखते की जनता के हित में क्या है और क्या अहित? वे तो बेलगाम घोड़ों की तरह चुनाव जीतने के लिए वह सब कुछ करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए । भगवान ना करे कि कोरोना का संक्रमण और अधिक फैले लेकिन आने वाले समय में कोरोना नियंत्रित रहे इसके लिए चुनावों तक नेताओं को एहतियातन कुछ संकल्प तो लेना ही चाहिए, जैसा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा है कोरोना का संक्रमण अब कभी खत्म होने वाला नहीं है हल्के रूप में ही सही वह वातावरण में विद्यमान रहेगा उससे बचाव करने के जरूरी प्रयास सभी को करने होंगे तभी इससे बचा जा सकेगा। अतः कोरोना संक्रमण के लिए अब यह जरूरी है की चुनाव आयोग भी नेताओं के लिए कुछ जरूरी गाइडलाइन जारी करे जिसमें एक यह भी हो की बड़े बड़े आयोजनों, रैलियों सभा आदि में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी हो और जो राजनीतिक दल ऐसा नहीं करेंगे उन पर प्रतीकात्मक ही सही कार्रवाई अवश्य हो।