प्रवीण दुबे
भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की शुक्रवार की सुबह 3 बजे तक चली बैठक के बाद इस बात की चर्चा सरगर्म है कि पार्टी ने एक सैकड़ा तक प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिए हैं। पार्टी कभी भी इन नामों की सूची को जारी कर सकती है। ग्वालियर की बात करें तो यहां से यशवंत इंदापुरकर का नाम बड़ी तेजी से मीडिया में ट्रेंड कर रहा है। हालांकि पार्टी के किसी भी नेता ने अधिकृत रूप से श्री इंदापुरकर के चुनाव मैदान में उतरने की पुष्टि नहीं की है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश की राजनीति में ग्वालियर का विशेष महत्व रहा है। लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेई,राजमाता विजयाराजे सिंधिया ,माधवराव सिंधिया ,जयभान सिंह पवैया,नारायण कृष्ण शेजवलकर जैसे कई दिग्गज ग्वालियर का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। वर्तमान की बात करें तो यहां के विवेक शेजवलकर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया क्रमशः लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य हैं।
चूंकि विवेक शेजवलकर का नाम उनके ऐज फैक्टर के चलते दौड़ से बाहर हो गया है यही वजह है कि पार्टी नेतृत्व को ग्वालियर लोकसभा के लिए प्रत्याशी चयन की कवायद करना पड़ी है।
यूं तो इस दौड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जयभान सिंह पवैया, सहित कई अन्य चेहरे शामिल बताए जाते हैं लेकिन जिस प्रकार की खबरें दिल्ली के राजनेतिक गलियारों से निकलकर आ रही हैं उसके मुताबिक पार्टी नेतृत्व अपनी नई रणनीति के मुताबिक सबको चमत्कृत कर देने वाले चेहरे को मैदान में उतारने का मन बना चुका दिखाई देता है।
सूत्रों की माने तो इस नजरिए से जनसंघ के समय से पार्टी के साथ जुड़े रहे इंदापुरकर परिवार के सदस्य यशवंत इंदापुरकर का नाम दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा है। पिछले तीन दिनों से मीडिया से जुड़े विविध प्लेटफॉर्म में भी यह नाम लगातार ट्रेंड कर रहा है।
कौन हैं यशवंत इंदापुरकर
जैसा कि हमने ऊपर उल्लेख किया है कि यशवंत इंदापुरकर संघ और जनसंघ बैकग्राउंड वाले पुराने परिवार से ताल्लुकात रखते हैं । आपके पिता स्व माधवशंकर इंदापुरकार अपने शुरुआती जीवन से संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक रहे,वे जनसंघ से विधायक भी चुने गए थे साथ ही नगरनिगम में महापौर सहित भाजपा में कई संगठनात्मक पदों के साथ जीडीए अध्यक्ष के दौरान उनके सहज सरल कार्य व्यवहार और श्रेष्ठ कार्यों को आज भी याद किया जाता है। आपातकाल के दौरान स्व इंदापुरकर ने 19 माह तक जेल में रहकर तमाम यातनाओं को सहा था।
अपनी पारवारिक पृष्ठभूमि के मुताबिक यशवंत इंदापुरकर बाल्य काल से संघ के स्वयंसेवक रहे हैं,प्रारंभिक शिक्षा के समय से ही लेखन में रुचि रखने वाले श्री इंदापुरकर पत्रकारिता में भी सक्रिय रहने के साथ स्वदेश के प्रबंधन से जुड़े रहे तथा कृषि विभाग में भी कार्यरत रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अनेक दायित्वों का निर्वहन किया है अभी हाल ही में मुरैना में आयोजित संघ की अखिल भारतीय बैठक में क्षेत्र कार्यकारणी सदस्य की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है इससे पूर्व वे मध्यभारत प्रांत कार्यवाह थे।
दिल्ली में हो चुकी है बैठक
दिल्ली में भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शुक्रवार की सुबह 3 बजे तक चली थी इसमें ही यह नाम फाइनल होने की चर्चा है। इससे पहले हर राज्य के कोर ग्रुप की बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बी एल संतोष के साथ बैठक हुई थी इन बैठकों में हर सीट पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की चर्चा के बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा की लंबी बैठक भी हुई थी इस बैठक में भी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई थी और उसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्यवार उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई. बीजेपी ने हर सीट के हिसाब से रणनीति तैयार की है. यह देखा गया कि हर सीट को जीतने के लिए सबसे बेहतरीन उम्मीदवार कौन हो सकता है. वहीं उम्मीदवार अगर दूसरी पार्टी का है तो उसे बीजेपी में लाने के लिए पूरा जोर लगाया गया, इसके लिए बाकायदा हर राज्य में और केंद्रीय स्तर पर समितियां बनाई गईं. ये भी तय किया गया कि जिन सांसदों का प्रदर्शन ठीक नहीं है, उनका टिकट बिना किसी झिझक के काट दिया जाएगा.
दरअसल पीएम मोदी पहले ही कह चुके हैं कि हर सीट पर कमल लड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में करीब 60-70 सांसदों के टिकट काटे जाएंगे. दो बार जीत चुके और उम्रदराज कई सांसदों की जगह नए चेहरों को मौका दिए जाने पर सहमति बनी है. हालांकि ज्यादा ओबीसी सांसदों के टिकट नहीं काटे जाएंगे. साल 2019 में बीजेपी के 303 में से 85 ओबीसी सांसद जीत कर लोकसभा पहुंचे थे, इस बार भी पार्टी इसी तरह की रणनीति को फॉलो करना चाहती है.