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गुरू अर्जुन देव को समर्पित गुरबाणी के विशिष्ट शबदों का शास्त्रीय और पारंपरिक शैली में हुआ गायन कीर्तन

श्री गुरू अर्जुन देव जी की शहादत का पुण्य स्मरणरू गुरमत संगीत एवं व्याख्यान

भोपाल। सिख पंथ के पाॅचवें गुरू श्री अर्जुन देव जी के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर पंजाबी साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद् द्वारा आॅनलाइन कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें स्मरण एवं श्रृद्धा सुमन अर्पित किए गए।
‘गुरमत संगीत एवं व्याख्यान’ शीर्षक से आॅनलाइन आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम अकादमी की निदेशक श्रीमती नीरू सिंह ज्ञानी ने वक्ताओं एवं गायक कलाकारों का परिचय प्रस्तुत किया। माननीया संस्कृति मंत्री जी सुश्री उषा ठाकुंर द्वारा गुरू अर्जुन देव जी को श्रृद्धांजलि प्रदान करते हुए, गुरूदेव का पुण्य स्मरण किया। वक्तव्य में उन्होंने गुरूदेव को आदर्श, बलिदान एवं सिद्धांतों की प्रतिमूर्ति प्रतिपादित करते हुए उनसे जीवन दर्शन की सीख आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त करने की बात कही।
व्याख्यान के रूप में वक्ताओं में सर्वप्रथम श्री रतनजीत सिंघ शैरी, इन्दौर ने गुरू अर्जुनदेव के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों को अपनी भाषा में रखा । जबकि दूसरे वक्ता डॉ गुरविंदर सिंघ गिल ने अपने व्वक्तव्य में गुरूदेव की वाणी में मानवता के संदशों को उद्घाटित किया और विभिन्न भक्तो और गुरूओं की वाणी को समावेश कर एक ऐसा ग्रन्थ तैयार किया, जिसे पढ़कर मानव आत्मिक शांति और आनंद की विभूति प्राप्ति करता है ।
गुरमत संगीत की प्रस्तुति के रूप में गुरू अर्जुन देव को समर्पित गुरबाणी के विशिष्ट शबदों का शास्त्रीय और पारंपरिक शैली में गायन कीर्तन स्वरूप स्वर्ण मंदिर अमृतसर के हजूरी रागी, भाई गुरुदेव सिंह वीरका एवं साथियों द्वारा किया गया।

 

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