Homeधर्म कर्मगुरू तेगबहादुर के 350 वे बलिदान दिवस पर तलवारों का पंजीयन करेगी...

गुरू तेगबहादुर के 350 वे बलिदान दिवस पर तलवारों का पंजीयन करेगी हिन्दू महासभा

ग्वालियर /अखिल भारत हिन्दू महासभा ग्वालियर द्वारा केसधारी हिन्दूओं के नवम गुरू, हिन्दु धर्म रक्षक गुरू तेगबहादुर जी का 350 वां बलिदान दिवस पर ” चित्रो का वितरण एवं तलवारों का पंजीयन ” का शुभांरभ दिनांक 24 नबम्वर को दोपहर 2 बजे से हिन्दु महासभा भवन, दौलतगंज, लश्कर पर किया जाएगा। इस  कार्यक्रम में हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ जयवीर भारद्वाज के द्वारा किया जाएगा वे  गुरू तेगबहादुर बलिदान पर प्रकाश डालेंगे। हिन्दू महासभा ने सभी से भाग लेने की अपील की है।

 

 

झलकारी बाई की 193 वीं जयंती पर विचार गोष्ठी कर किया नमन

 

अखिल भारत हिन्दू महासभा के तत्वावधान में 22 नवम्बर को हिन्दू महासभा भवन दौलतगंज में झाँसी की झलकारी बाई की 193 वीं जयंती पर विचार गोष्ठी कर नमन किया  गया गोष्ठी का शुभांरभ मुख्यअतिथि डॉ, जयवीर भारद्वाज राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, हिंदू महासभा द्वारा झलकारी बाई के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता युवक हिन्दू महासभा के जिला संयोजक पवन माहौर ने झलकारी बाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा झलकारी बाई बचपन से ही साहसी थीं। जब वो छोटी थी तभी उनकी मां का देहान्त हो गया। पिता ने उन्हें घुड़सवारी और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। कहा जाता है कि एक बार जंगल में एक तेंदुए ने उनपर हमला कर दिया। लेकिन झलकारी ने कुल्हाड़ी से उसे मार दिया। इतना ही नहीं एक बार कुछ डकैतों ने उनके गांव के व्यापारी के घर पर धाबा बोला, तो झलकारी ने उनका मुंहतोड़ जवाब देते हुए गांव से भागने पर मजबूर कर दिया। झलकारी के साहस से प्रभावित होकर उनकी शादी झांसी की सेना के सैनिक पूरन कोरी से कर दी। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और झलकारी बाई का पहली बार आमना सामना एक पूजा के दौरान हुआ। झांसी की परंपरा के अनुसार गौरी पूजा के मौके पर राज्य की महिलाएं किले में रानी का सम्मान करने गईं। इनमें झलकारी भी शामिल थीं। जब लक्ष्मीबाई ने झलकारी को देखा तो वो हैरान रह गईं। क्योंकि झलकारी बिल्कुल लक्ष्मीबाई जैसी दिखती थीं। जब उन्हें झलकारी की बहादुरी के किस्से सुनने को मिले तो उन्हें सेना में शामिल कर लिया। झांसी की सेना में शामिल होने के बाद झलकारी ने बंदूक चलाना, तोप चलाना और तलवारबाजी का प्रशिक्षण लिया। अंत में कहा झलकारी बाई के सिर पर न रानी का ताज था न ही झांसी की सत्ता। लेकिन फिर भी अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दे दी।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रामबाबू सैन प्रदेश उपाध्यक्ष हिंदू महासभा थे। गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती अर्चना सिंह चौहान, संभागीय महिला प्रवक्ता, हिंदू महासभा ने की। उपरोक्त जानकारी जिला अध्यक्ष लोकेश शर्मा ने दी

 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments