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ग्वालियर के विजय दीक्षित और मोहित अग्रवाल को मिली आरएसएस में बड़ी जिमेदारी, कई अन्य को भी मिले नए दायित्व

प्रवीण दुबे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बेंगलुरु में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक रविवार को खत्म हो गई। परम्परा अनुसार इस बैठक के पश्चात आरएसएस ने अपने प्रचारकों व अन्य पदाधिकारियों के बीच नए दायित्वों की घोषणा की है। इसमें ग्वालियर से संघ प्रचारक निकले मोहित अग्रवाल और ग्वालियर के सक्रीय संघ स्वयंसेवक विजय दीक्षित को बड़े संघ दायित्व दिए गए हैं।

इसके अंतर्गत राष्ट्रीय और क्षेत्र स्तर पर कई प्रचारकों और संघ पदाधिकारियों की जिम्मेदारियों में बदलाव किए गए।

मध्यप्रदेश से जुड़े 7 संघ पदाधिकारियों की जिम्मेदारियां बदली गई हैं। इनकी आधिकारिक घोषणा 25 मार्च के बाद हो सकती है।

संघ ने मध्यप्रदेश के तीनों प्रांत मध्यभारत, मालवा और महाकौशल में सह प्रांत प्रचारकों की नियुक्ति की है।

सुरेंद्रसिंह जी को मध्यभारत, केतनभाई को मालवा और श्रवण सैनी को महाकौशल का सह प्रांत प्रचारक बनाया गया है। ये तीनों ही पद वर्तमान में रिक्त थे।

कैलाश लववंशी, जो सरसंघचालक मोहन भागवत के निजी सहायक थे, उन्हें मध्य भारत प्रांत में सह प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई है।

मोहित अग्रवाल, जो राजगढ़ के विभाग प्रचारक थे, अब सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के निजी सचिव होंगे।

अब तक मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख रहे अशोक पोरवाल को दिल्ली स्थित संघ कार्यालय केशव कुंज का प्रमुख बनाया गया है।

विजय दीक्षित, जो ग्वालियर विभाग कार्यवाह थे, उन्हें मध्यभारत प्रांत का सह प्रांत कार्यवाह नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति के बाद मध्य भारत में दो सह प्रांत कार्यवाह होंगे और श्री दीक्षित मूलतः ग्वालियर के निवासी हैं।

उत्तर प्रदेश (पूर्वी क्षेत्रल) में भी हुए परिवर्तन

उत्तर प्रदेश में, खासकर पूर्वी क्षेत्र में भी कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियां की गईं। अभी तक गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक सुनील को काशी क्षेत्र का सह-प्रांत प्रचारक बनाया गया है। सह क्षेत्र प्रमुख रहे मनोज को क्षेत्र संपर्क प्रमुख की नई जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह धर्म जागरण के प्रांत संयोजक रहे परमेश्वर को धर्म जागरण का क्षेत्र सह संयोजक बनाया गया है। क्षेत्र प्रमुख रहे सुरेश त्रिवेदी को क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है। यह संगठन कई तरह के काम करता है। इसके सदस्य स्थानीय लोगों के बीच अपने विचारों को फैलाएंगे।

बता दें आरएसएस इस साल विजयदशमी (दशहरा) पर अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है। इसी के दृष्टिगत संगठन लगातार देश और दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने कार्य और नेटवर्क को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है

माना जा रहा है कि इन नवीन दायित्वों से आरएसएस और मजबूत होगा। संगठन का लक्ष्य है कि वह लोगों के बीच अपनी पैठ बनाए और अपने विचारों को फैलाए। इसके लिए वे अलग-अलग तरह के कार्यक्रम और अभियान चलाते रहते हैं।

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