ग्वालियर /आज ग्वालियर में स्थित केदारधाम आवासीय विद्यालय परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक, प्रथम सरसंघचालक व प्रसिद्ध क्रांतिकारी डॉ केशव बलिराम हेडगेवार की प्रतिमा का अनावरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश सोनी ने किया
इस अवसर पर अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख श्री अनिल ओक सहित प्रदेश का संघ नेतृत्व उपस्थित था। इस अवसर पर संघ की आदर्श प्रचारक स्वर्गीय लक्ष्मण राव जी के जीवन प्रसंग पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
हेडगेवार जी के प्रतिबिम्ब थे तराणेकर जी: सोनी
ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व.लक्ष्मणराव तराणेकर जी आद्य सरसंघचालक डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार जी के प्रतिबिम्ब थे। वह हेडगेवार जी के देश कार्य की पूर्णता में जीवन भर समर्पित भाव से संलग्न रहे। यह अखंड प्रक्रिया है। यह कार्यक्रम तराणेकर जी के गुणगान करने के लिए नहीं है बल्कि उनका स्मरण कर अपने जीवन में आए ठहराव को दूर कर जाग्रत करने के लिए है। इसलिए सभी तराणेकर जी के संस्मरणों से प्रेरणा लेकर सामाजिक समरसता और देश के उत्थान के लिए सजगता से काम करें।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने रविवार को आद्य सरसंघचालक परम पूज्य डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार की प्रतिमा अनावरण एवं प्रेरणापुंज तराणेकर जी पुस्तक के विमोचन समारोह में मुख्यवक्ता की आसंदी से कही। राष्ट्रोत्थान न्यास ग्वालियर एवं श्री लक्ष्मणराव तराणेकर स्मृति शिक्षा समिति ग्वालियर के तत्वावधान में शिवपुरी लिंक रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत के प्रांत संघचालक अशोक पाण्डे एवं ग्वालियर विभाग संघचालक विजय गुप्ता और राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष डॉ.राजेन्द्र बांदिल भी मंचासीन रहे। अतिथियों ने सबसे पहले केधारधाम परिसर में हवन कर हेडगेवार जी की प्रतिमा का अनावरण कर उन्हें नमन किया। पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्यवक्ता श्री सोनी ने कहा कि हेडगेवार जी और तराणेकर जी का जीवन एक जैसा था। उन्होंंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार नागपुर में आयोजित बैठक में भाग लेने जा रहे आद्य संघचालक की गाड़ी खराब हो गई तो वह पैदल चलकर बैठक में पहुंचे। इसी तरह डबरा में आयोजित एक बैठक में शामिल होने जा रहे तराणेकर जी का वाहन रास्ते में खराब हो गया। समय के पाबंद तराणेकर जी पैदल चलकर बैठक में पहुंचे। वह कार्य के प्रति बेहद सजग रहते थे। उनका पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित रहा। वह हर एक कार्यकर्ता की चिंता करते थे। उन्होंने धैर्य के साथ कार्यकर्ताओंं को देश और समाजहित में कार्य करने के लिए तैयार किया। इससे पूर्व डॉ.राजेन्द्र बांदिल ने प्रेरणापुंज तराणेकर पुस्तक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस पुस्तक को प्रकाशित करने की योजना करीब डेढ़ वर्ष पहले बनी थी। जो आज साकार रूप में हम सबके सामने है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक से कार्यकर्ताओं को सीख मिलेगी। श्री बांदिल ने बताया कि इस पुस्तक को मूर्तरूप देने में नरेश त्यागी, वसंत कुंटे, सुधीर शर्मा का अथक परिश्रम रहा है। नरेश त्यागी ने स्व.तराणेकर जी के भतीजे आनंद तराणेकर के भेजे संदेश का वाचन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत राजेन्द्र बांदिल, अरुण अग्रवाल, डॉ.श्रीप्रकाश लोहिया ने किया। कार्यक्रम का संचालन निरुपम निवासकर ने किया।
ईमानदारी से जीवन जीने की देते थे प्रेरणा: पराडकर
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर ने तराणेकर जी के जीवन के दो उदाहरण देते हुए कहा कि वह कर्तव्य पथ पर चलते हुए ईमानदारी से जीवन जीने की प्रेरणा देते थे। उन्होंने बताया कि संघ कार्यालय में डाक से आने वाले पत्रों पर लगे टिकट पर जब सील लगी नहीं होती थी तो कुछ कार्यकर्ता उसे दोबारा उपयोग में लाने के लिए उसे छुटाते थे, लेकिन तराणेकर जी उन्हें यह कहकर रोक देते थे यह देश के साथ धोखा करना है। इसी तरह प्रवास के दौरान बस कंडक्टर ने तराणेकर जी सहित चार अन्य स्वयंसेवकों के टिकट नहीं बनाए तो उन्होंने पूछा कि कंडक्टर ने हम लोगों के टिकट क्यों नहीं बनाए
तो उन्हें बताया गया कि कंडक्टर स्वयंसेवक का भाई है। इस पर तराणेकर जी ने कहा कि यह बात ठीक नहीं है। हम बस में यात्रा कर रहे हैं तो टिकट तो लेना ही चाहिए। उन्होंने आदेश दिया जाओ अपने टिकट बनवाओ
तराणेकर जी में थे एक मां और आदर्श पिता के गुण: जगराम जी
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रीय अधिकारी एवं वरिष्ठ प्रचारक जगराम जी ने भावुक होकर संस्मरण सुनाते हुए कहा कि स्व.तराणेकर जी में मां और एक आदर्श पिता के गुण थे। वह अपने हिस्से में से हमें पपीता खिलाते थे। यही नहीं वह स्वयं फटे कपड़े पहनते थे और जब हमारे कपड़े फट जाते थे तो वह चिंता कर कपड़ों की व्यवस्था करवाते थे। स्मृतियों में खोते हुए जगराम जी रुआंसे होते हुए बोले आज हमें जो नया जीवन मिला है वह तराणेकर जी की ही देन है। अगर वह चिंता न करते तो शायद हम बीमारी से ठीक न हो पाते। संघ कार्य से बाहर होने की वजह से उनसे अंतिम मुलाकात न होने का आज भी हमें अफसोस होता है।
दृढ़ निश्चयी थे तराणेकर जी: ओक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि तराणेकर जी दृढ़ निश्चयी थे। वह जो ठान लेते थे वह कर दिखाते थे। जब उनका शरीर शिथिल होने लगा तो उन्होंने मुझसे कहा कि अनिल मुझे हरिद्वार चलना है। मैंने पूछा कितने दिन रुकना है तो उन्होंने बताया कि मुझे वहीं छोड़ देना। मैने आश्चर्य से इसका मतलब पूछा तो उन्होंने बताया कि अब मेरा शरीर जर्जर हो गया है। आगे चलकर मेरी सेवा में एक कार्यकर्ता लगेगा। जिसे संघ कार्य करना चाहिए वह एक निरर्थक काम में लगे यह ठीक नहीं है। मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता हूं। जब मैने उनकी यह बात नहीं मानी तो उन्होंने भोजन करना छोड़ दिया। इसी कारण अंतत: तराणेकर जी ने प्राण छोड़ दिए। इसलिए तराणेकर जी का जीवन मेरे लिए प्रेरणादायी तो है,लेकिन अनुकरणीय कठिन है।
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इनका हुआ सम्मान
आद्य संघचालक हेडगेवार की प्रतिमा को नि:शुल्क बनाने वाले प्रख्यात मूर्तिकार प्रभात राय एवं ठेकेदार निशिकांत मोघे को मुख्यवक्ता सुरेश सोनी ने सम्मानित किया।
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प्रदर्शनी रही आकर्षण का केन्द्र
इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित विभिन्न प्रकल्पों की प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। जिसमें मध्यभारत शिक्षा समिति, स्वदेश, नागरिक सहकारी बैंक, आरोग्यधाम अस्पताल सहित सेवाभारती के सेवाकार्यों को दर्शाया गया। जिसका अतिथियों सहित अन्य लोगों ने अवलोकन कर सराहा।