बृजेन्द्र श्रीवास्तव
ग्रहणों में अनोखी लयात्मकता नियमितता होती है जिसे समझने के लिए जीवन के बौद्धिक और आध्यात्मिक दोनों स्तर पर हमें सक्रिय होना चाहिए
21 जून2020 का सूर्य ग्रहण सारे देश में खण्ड ग्रास सूर्य ग्रहण के रूप में दिखेगा ।केवल उत्तर भारत के चमोली जोशी मठ सिरसा कुरुक्षेत्र आदि थोड़े से स्थानों में यह कंकण आकृति का दिखेगा।कंकण आकृति का अनूठा सौंदर्य होता है जब कृष्ण वर्ण का चन्द्रमा स्वर्णवर्णी सूर्य को ठीक बीच से99 प्रतिशत तकइस तरह ढकता है कि शेष बिना ढके भाग से 1प्रतिशत से भी कम प्रकाश सूर्य का छलकता हुआ सोने के कंगन जैसी आकृति बनाता हुआ दिखता है।
कुरुक्षेत्रआदि उपरोक्त कुछ स्थानों में आरभ व समापन तो खण्डग्रास में ही होगा जबकि कंकण आकृति दोपहर बहुत ही कम समय के लिए 12 बजे स्थान भेद से केवल एक या डेढ़ सेकंड के लिए ही दिखेगी।
करने योग्य आध्यात्मिक कृत्य
★सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण, दोनों ग्रहणों को मन्त्र दीक्षा के लिए वर्ष का सर्वोत्तम मुहूर्त माना गया है शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के दौरान गुरु से मन्त्र दीक्षा यथा सम्भव किसी तीर्थस्थल,नदी सरोवर ऊँचीपहाडी स्थल तप स्थल में या घर पर ही लेना चाहिए। इसके लिए ग्रहण आरम्भ होते ही स्नान सम्पन्न कर विधि विधान से दीक्षा ली जाती है।
★अपने अपने इष्टदेव का मन्त्र जप करना चाहिए।
★अपनी विधि से ध्यान साधना करना चाहिए।
कारण:
सूर्य या चंद्र ग्रहण में आत्मकारक सूर्य, मन का कारक चन्द्रमा और शरीर कारक पृथ्वी -ये तीनों एक लाइन में और एक ही तल plane पर होते हैं।इसलिए ग्रहण काल में इन तीनों में अच्छा समन्वय या तालमेल रहता है।
करने योग्य बौद्धिक कार्य
★अपने क्षेत्र में ग्रहण आरम्भ अधिकतम और समाप्ति के समय को चैक करें
★ग्रहण के समय सूर्य का कितना भाग चन्द्रमा के विम्ब की आड़ से नहीं दिख रहा यह बच्चों के लिए पिनहोल कैमरा बना कर किसी कागज पर दीवार पर फर्श पर पर्दे पर दिखाएँ या जल में बने विम्ब को दिखाएँ।
★वराह मिहिर ने और उसके पहले आर्यभट ने सूर्य ग्रहण का कारण चन्द्रमा का सूर्य विम्ब प्रवेशबताया है ( बृहत्संहिता राहु चार अध्य्याय श्लोक 8) और यह भी कि सूर्य ग्रहण में,ग्रहण सूर्य के पश्चिम से एवं मोक्ष पूरब से होता है।।
★कारण चन्द्रमा व तारामण्डल पश्चिमसे पूरब की तरफ चलता है।( जबकि सूर्य पूरब से पश्चिम की तरफ चलता दिखता है )
★आप इसे स्वयं जांचेंगे तो आपको इस बात का गौरव होगा कि खगोल में डेढ़ हजार साल पहले कितनी वैज्ञानिक बात लिखी हैकि सूर्य ग्रहण के समय चन्द्र बिम्ब सूर्य को ढक लेता है।
सूर्य ग्रहण में कलात्मक लोकल तिथि अर्थात भू पृष्ठीय तिथि topo centric तिथि ली जाती है, जो पंचांगों में दी गई भूकेन्द्रीय भू केन्द्रीय geocentric तिथि से थोड़ा भिन्न होती है, इस का अध्ययन करें।
ग्रहण के, सुरक्षति विशेष कैमरा से चित्र लें।
ग्रहण की विभिन्न स्टेज के रेखा चित्र बनाएं।इस केलिए मैं तो एक कागज पर सबसे छोटी गोल कटोरी से 15 20 गोले पेंसिल से बना लेता हूँ ।फिर विशेष चश्मे या प्रतिविम्ब से सूर्य का ग्रस्त भाग15 20 मिनिट के अन्तर से देख देख कर कागज पर बने गोले को सूर्य की ग्रहण ग्रस्त आकृति अनुसार काला करता जाता हूँ। इस प्रकार एक सीरीज ही ग्रहण के विभिन्न चरणों की बन जाती है जो बच्चों में खेल खेल में ही विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ाती है।
★ सूर्यग्रहण के समय क्या न करें
★ग्रहण से डरें नहीं,घर में छुपकर नहीं बैठें।मूर्ख अज्ञानी कथित ज्योतिषाचार्य की मीडया में चलाई जा रही भ्रांति को बिल्कुल नहीं मानें कि ग्रहण में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। सम्पूर्ण ग्रहण काल को शास्त्रों में पर्व काल कहा गया है जो ध्यान साधना के लिए पवित्र होता है।अमावस्या में भी स्नान दान या श्राद्ध का पर्व काल होता है। इसलिए भय का खण्डन करें।
ग्रहण समाप्ति के बाद मन्त्र जप के निमित्त विधिवत दान कर्म करें।आजकल ऐसा दान देना शहरों में कठिन रहता है इसलिए अनाथ आश्रम वृद्ध आश्रम कुष्ठ आश्रम अस्पताल झुग्गी झोंपड़ी के जरूरतमंद व्यक्तियों में पहले से तय कर यथा शक्ति अन्न या उपयोगी वस्तु बाँटें।
दान अवश्य करें दान की महिमा अपार है।
★दान ग्रहण उपरांत या जन्मदिन पुण्य तिथि आदि पर जब कभी भी दें हमेशा तैत्तरीय उपनिषद की यह बात ध्यान में रखें कि दान श्रद्धा से दें पर श्रद्धा नहीं हो तो नहीं दें।दान आर्थिक स्थिति अनुसार ही यथा शक्ति दें। दान संकोच के साथ दें । घमण्ड के साथ नहीं दें। ( तैत्तरीय उपनिषद, प्रथम वल्ली ,श्रद्धा देयम, अश्रद्धा अदेयम, श्रिया देयम,ह्रिया देयम…)
★ सूर्य ग्रहण को आँखों के पूरे बचाव के साथ देखें और दिखाएँ।
सूर्य ग्रहण को गलती से भी सीधी तौर परनहीं देखें आंखों के रेटिना में खराबी आ सकती है।
ग्रहण देखने के विशेष चश्मे से ही ग्रहण देखें
यदि कोई अन्य सुरक्षित माध्यम नहीं है तो एक्स रे फिल्म की चार परत बना कर एक दो सेकेंड से अधिक तक न देखें
काँच को धुएं से बहुत काला करके देखना भी सुरक्षित नहीं माना गया है।
◆आज कल खगोल के प्रचारक ग्रहण के समय कुछ न खाने को अंध विश्वास मान कर जानबूझ कर बिस्किट चॉकलेट बांटते हैं।पर उनका यह कार्य तर्क संगत नहीं ,इसलिए कि ग्रहण काल ध्यान जप काल होता है,उसे न करने के संस्कार बनते हैं।
इसलिए भले ही बच्चे ध्यान जप नहीं करें पर भोजनादि नहींकरने के संस्कार बने रहें इसका ध्यान रखें.
बंगलुरु में यह ग्रहण खण्ड ग्रास partial दिखेगा ग्रहण आरम्भ21 जून रविवार2020 दिन 10 12 बजे,अधिकतम111 47 बजे मोक्ष 13 31 बजे कुल अवधि 3घण्टे 31 मिनिट
ग्वालियर में यह ग्रहण खण्ड ग्रास partial दिखेगा।ग्रहण आरम्भ उपरोक्त दिन ,10 19 बजे।अधिकतम 12 02 बजे। मोक्ष13 50 बजे कुल अवधि 3 घण्टे32 मिनिट।
समूचीपृथ्वी की दृष्टि से ग्रहण आरम्भ दिन 916 बजे समाप्ति 15 04 बजे।
चन्द्र निरयन मिथुन राशि 6°46’चन्द्र का शर latitude +0°20’उत्तर शर।चन्द्र राहु 1°47′
जहाँ यह सूर्य ग्रहण कंकण आकृति का दिखेगा वहाँ चंद्र विम्ब,सूर्य विम्ब के99.36 प्रतिशत होगा ।अधिक होने पर खग्रास होता।जहाँ यह 99 से कम है वहाँ यह खण्ड ग्रास partial दिखेगा
कोरा के पाठकों की सुविधा के लिए उनके अपने नगर ग्राम में इस 21जून रविवार अमावस्या के ग्रहण आरम्भ व समाप्ति स्वयं देखने के लिए नीचे एक लिंक दे रहा हूँ।
इसमें अपने नगर या निकट के नगर का नाम सिलेक्ट कर ग्रहण विवरण देख सकते है
Eclipses visible in Bangalore, Karnataka, India