त्वरित टिप्पणी:प्रवीण दुबे
लोह पुरुष के नाम से प्रसिद्ध देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक तथा जनसंघ से लेकर भाजपा के संस्थापक रहे अयोध्या राममंदिर आंदोलन के पुरोधा वयोवृद्ध नेता,पत्रकार लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च भारत रत्न देने की घोषणा के बाद उनके जीवन से जुड़े तमाम राजनीतिक सामाजिक घटनाक्रम ताजा हो उठे हैं।
जून 2013 का वह चित्र जब पार्टी के एक कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी ग्वालियर में थे।
मध्यप्रदेश और खासकर ग्वालियर से आडवाणीजी का विशेष संपर्क रहा। राजमाता विज्याराजे सिंधिया हों या फिर प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेई से लालकृष्ण आडवाणी के बेहद आत्मीय संबंध रहे और राजनितिक तिकड़ी के रूप में पहचान बनाई।आपातकाल की विपरीत परिस्थितियों का समय हो , बावरी विद्वंस के बाद देश में भाजपा को लेकर निर्मित परेशानी भरा समय हो अथवा कोई भी राजनीतिक सामाजिक निर्णय लेना हो लालकृष्ण आडवाणी ने राजमाता और अटलजी को सदैव प्राथमिकता दी गई। आडवाणी जी ग्वालियर को बहुत अधिक पसंद करते रहे हैं और समय समय पर वह ग्वालियर भी आते रहे हैं। अब जबकि आडवाणी जी को भारत रत्न देने की घोषणा की गई हैl
इन चर्चाओं के बीच आपको एक ऐसा पॉलिटिकल किस्सा याद दिला रहे हैं, जो मधयप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा है और ग्वालियर आए लालकृष्ण आडवाणी से तालुक्कत रखता है।
इस किस्से में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में एक लालकृष्ण आडवाणी हैं। ये भी कह सकते हैं कि इस पॉलिटिकल किस्से में लालकृष्ण आडवाणी ने ग्वालियर में ऐसी बात कह दी जिसको लेकर उस वक्त बीजेपी में ही काफी गहमागहमी शुरू हो गई थी। आइए जानते हैं वह किस्सा क्या है?
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी की किताब राजनीतिनामा मध्य प्रदेश के मुताबिक साल 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में बीजेपी का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ग्वालियर पहुंचे थे। कार्यक्रम में आडवाणी ने मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र मोदी की तुलना कर दी थी।
आडवाणी ने अपने भाषण में कहा कि बतौर मुख्यमंत्री देखें तो शिवराज सिंह चौहान नरेंद्र मोदी से बेहतर रहे हैं। यह बयान आते ही बीजेपी में उस वक्त बहस छिड़ गई थी। पार्टी को मैसेज गया कि बीजेपी का एक धड़ा 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के मुकाबले शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाना चाहता है।
हालांकि शिवराज सिंह चौहान भी पके हुए राजनेता हैं। वह समझते थे कि राजनीति में जब एक ही दल के दो कद्दावर नेताओं की जब तुलना होने लगती है तो उसमें किसी एक को बड़ा नुकसान होता है। उस वक्त नरेंद्र मोदी को लेकर पार्टी में जिस तरह से स्वीकार्यता हो रही थी, उसे देखते हुए शिवराज कोई भी नुकसान नहीं उठाना चाहते थे। उन्होंने तत्काल मीडिया में आकर कहा कि मोदी नंबर वन, रमन सिंह नंबर दो और मैं तीसरे नंबर का मुख्यमंत्री हूं।
इसी बीच मध्य प्रदेश में हुई बीजेपी की एक दूसरी बैठक में पार्टी के संगठन मंत्री अरविंद मेनन ने कहा कि मध्य प्रदेश में ‘ओम नमो शिवाय’ का मंत्र चलेगा। मेनन के इस बयान के बाद मध्य प्रदेश के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संदेश चला गया कि यहां भी नरेंद्र मोदी की चलेगी। क्योंकि मोदी समर्थक संक्षेप में नरेंद्र मोदी को ‘नमो’ कहकर संबोधित करते हैं। इस बयान के बाद पार्टी की तरफ से संदेश दे दिया गया कि मध्य प्रदेश में भी नरेंद्र मोदी बीजेपी का चेहरा होंगे और उन्हीं कि चलेगी, शिवराज सिंह चौहान उनके पीछे चलेंगे। हालांकि शिवराज सिंह चौहान के कुछ समर्थकों की ओर से पार्टी के अंदर इसपर सवाल उठाए गए। इसपर वरिष्ठ बीजेपी नेता प्रभात झा ने कहा था कि अरविंद मेनन का हिंदी उच्चारण स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते उन्होंने ऊं नम: शिवाय की जगह ओम नमो शिवाय बोल गए।
यह ग्वालियर और मध्यप्रदेश से जुड़ा महज एक घटनाक्रम ही कहना होगा सच तो यह है कि वह लालकृष्ण आडवाणी ही हैं जिन्होंने नरेंद्र मोदी को राजनीति में पूरी तरह से स्थापित किया यही वजह है कि मंदिर आंदोलन के लिए आडवाणी द्वारा निकाली गई ऐतिहासिक रथ यात्रा के सारथी की जिम्मेदारी मोदी ही ने निभाई थी।खुद मोदी उन्हे अपने राजनीतिक गुरु मानते हैं और आज प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारत रत्न देकर अपनी गुरु दक्षिणा के दायित्व का निर्वहन कर दिया है।