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चर्चित चेहरा : त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति हैं चंपतराय, जानिये उनके बारे में सबकुछ

आजकल जिस व्यक्ति की मीडिया में सर्वाधिक चर्चा है उनका नाम है विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष व रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के महामंत्री चंपतराय ।  वे जहां अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर निर्माण योजना के प्रमुख केंद्रबिंदु होने के नाते मीडिया में छाए हैं वहीं हाल ही में अयोध्या मंदिर निर्माण के लिए  ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई एक जमीन को लेकर समाजवादी पार्टी कांग्रेस आदि द्वारा उनको निशाने पर लिये जाने की कोशिश लगातार जारी रहने की वजह से भी चंपतराय चर्चा में बने हुए हैं। आखिर कौन हैं यह चंपतराय ? जब इस बारे में उनका इतिहास और वर्तमान खंगालने की कोशिश की गई तो पता चला की चंपतराय कोई मामूली व्यक्ति नहीं बल्कि उनका जीवन त्याग तपस्या और निष्ठा का जीता जागता प्रमाण है।जितना विराट यह व्यक्तित्व है, उतना ही सरल, सहज और सर्वसुलभ उनका जीवन है । चकाचौंध की वर्तमान जीवन शैली जीने वालों के विपरीत मात्र विपरीत मात्र मूंग की खिचडी और सिर्फ दो रोटी खाकर अपना जीवन व्यतीत करने वाले इस विराट व्यक्तित्व का अपना कोई भी निजी बैंक खाता तक नही है।तो आइए जानते हैं राजीव गुप्ता जी के इस लेख के माध्यम से कौन हैं चंपतराय जी।

राजीव गुप्ता
वर्तमान पीढी समेत नई – नई राजनीतिक पार्टियों के लोगों को वास्तव में यह मालूम ही नही है त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति का नाम ही चंपतराय है । उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर दरअसल जो राजनीतिक लोग प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से अयोध्या में बन रहे भगवान् श्री राम के भव्य मन्दिर के निर्माण के विस्तारीकरण हेतु श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र द्वारा खरीदी गई जमीन में गड़बड़ी होने का दावा कर रहें हैं, वास्तव में वें अधूरी बात करके देश के अनगिनत रामभक्तों की भावनाओं को ठेस तो पहुँचा ही रहें हैं, साथ ही वें उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन भी तलाश रहें हैं । अपनी इसी राजनीतिक रणनीति के तहत उन्होंने संत जैसा मौन तपस्वी जीवन व्यतीत करने वाले चंपतराय को चुना । दरअसल इस प्रकार का प्रयोग दिल्ली की राजनीति में इनकी ही पार्टी के अध्यक्ष द्वारा पहले भी किया जा चुका है और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जो इन्होंने किया है, यह बस उसी का विस्तार मात्र है । ध्यातव्य है कि ‘आरोप लगाओ और भाग जाओ तथा जब मानहानि का मुकदमा हो तो माफी मांग लो’, इस प्रकार की राजनीतिक पैंतराबाजी करना इनकी पार्टी के लोगों का इतिहास रहा है । इसलिए देश की जनता को इनकी इस राजनीतिक पैंतरेबाजी को समझना चाहिए तथा इनकी बातों को अधिक गंभीरता से लेने की कोई आवश्यकता नही है ।
चंपतराय का जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना शहर के एक अत्यंत निर्धन परिवार में स्वर्गीय श्री रामेश्वर प्रसाद अग्रवाल और स्वर्गीय श्रीमती सावित्री देवी के घर में 18 नवम्बर, 1946 को हुआ । अपने माता – पिता की दस संतानों में से चंपतराय दूसरे नम्बर के हैं । ये छ: भाई और चार बहन हैं । माता – पिता धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण इनको धार्मिक प्रवृत्ति विरासत में

मिली । कुछ समय तक चंपतराय धामपुर के डिग्री कालेज में रसायन विभाग में अध्यापन का कार्य भी किया परंतु जल्दी ही वें स्व. ओमप्रकाश के आग्रह पर अपनी नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बन गए । उत्तर भारत के कई स्थानों पर जिला प्रचारक और विभाग प्रचारक रहने के बाद योजनापूर्वक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें विश्व हिन्दू परिषद् में कार्य करने के लिए भेजा । विहिप में संयुक्त महामंत्री, अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री जैसे प्रमुख दायित्वों का निर्वहन करते हुए वर्तमान में उपाध्यक्ष हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, उस मुकदमें से संबंधित सभी दस्तावेजों की तैयारी चंपतराय स्वयं ही करते थे । इनकी मेधाशक्ति और कार्यपद्धति को देखकर सुप्रीम कोर्ट के बडे – बडे वकील भी आश्चर्यचकित हो जाते थे । जो भी चंपतराय के निकट संपर्क में है उन्हें यह बात अच्छे से मालूम है कि इन्हें श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की समस्त घटनाएं तिथि सहित मुँह – जुबानी याद हैं जबकि वकीलों को फाईल खोलकर देखना पडता था । श्री राम जन्मभूमि के संबंध में जब से सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है 75 वर्षीय चंपतराय अपना अधिकतम समय अयोध्या में ही बिताते हैं । चाहे ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी हो या माघ मास की कडाके की सर्दी, चंपतराय को अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम और कैंप कार्यालय में निरंतर बिना थके हुए सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी के साथ श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में विभिन्न कार्ययोजना बनाते हुए देखा जा सकता है । ‘एक जीवन – एक उद्देश्य’ के इस मंत्र को चंपतराय ने पूर्णत: अंगीकार किया है । जितना विराट यह व्यक्तित्व है, उतना ही सरल, सहज और सर्वसुलभ उनका जीवन है । चकाचौंध की वर्तमान जीवन शैली जीने वालों के विपरीत मात्र

मिली । कुछ समय तक चंपतराय धामपुर के डिग्री कालेज में रसायन विभाग में अध्यापन का कार्य भी किया परंतु जल्दी ही वें स्व. ओमप्रकाश के आग्रह पर अपनी नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बन गए । उत्तर भारत के कई स्थानों पर जिला प्रचारक और विभाग प्रचारक रहने के बाद योजनापूर्वक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें विश्व हिन्दू परिषद् में कार्य करने के लिए भेजा । विहिप में संयुक्त महामंत्री, अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री जैसे प्रमुख दायित्वों का निर्वहन करते हुए वर्तमान में उपाध्यक्ष हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, उस मुकदमें से संबंधित सभी दस्तावेजों की तैयारी चंपतराय स्वयं ही करते थे । इनकी मेधाशक्ति और कार्यपद्धति को देखकर सुप्रीम कोर्ट के बडे – बडे वकील भी आश्चर्यचकित हो जाते थे । जो भी चंपतराय के निकट संपर्क में है उन्हें यह बात अच्छे से मालूम है कि इन्हें श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की समस्त घटनाएं तिथि सहित मुँह – जुबानी याद हैं जबकि वकीलों को फाईल खोलकर देखना पडता था । श्री राम जन्मभूमि के संबंध में जब से सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है 75 वर्षीय चंपतराय अपना अधिकतम समय अयोध्या में ही बिताते हैं । चाहे ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी हो या माघ मास की कडाके की सर्दी, चंपतराय को अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम और कैंप कार्यालय में निरंतर बिना थके हुए सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी के साथ श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में विभिन्न कार्ययोजना बनाते हुए देखा जा सकता है । ‘एक जीवन – एक उद्देश्य’ के इस मंत्र को चंपतराय ने पूर्णत: अंगीकार किया है । जितना विराट यह व्यक्तित्व है, उतना ही सरल, सहज और सर्वसुलभ उनका जीवन है । चकाचौंध की वर्तमान जीवन शैली जीने वालों के विपरीत मात्र विपरीत मात्र मूंग की खिचडी और सिर्फ दो रोटी खाकर अपना जीवन व्यतीत करने वाले इस विराट व्यक्तित्व का अपना कोई भी निजी बैंक खाता तक नही है और तो और इनका तथा निज प्रचार – प्रसार का दूर – दूर तक कोई संबंध नही है । श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के कारण संघ परिवार के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर तथा इनसे बहुत अनुनय – विनय के बाद सोशल मीडिया पर इनके नाम से एक एकाऊंट बनाने के लिए इन्होंने अपनी स्वीकृति दिया । इनके निकट संपर्क के लोगों को यह भी भलीभाँति ज्ञात है कि इनका व्यय – पत्रक अक्सर खाली ही रहता है क्योंकि इनकी कुछ निजी दवाइयों के खर्च अलावा इनका कोई भी व्यक्तिगत खर्च ही नही है । यह बात सबको आश्चर्यचकित लग सकती है परंतु यह एक सत्य है । लगभग 492 वर्ष के संघर्ष के पश्चात् आज हिंदू समाज भगवान् श्री राम के जिस भव्य मंदिर को देखने की आस लिए हुए प्रतीक्षा कर रहा है उसे अपनी हड्डियों को गलाकर श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को न्यायालय के माध्यम से उसको अंतिम परिणति तक पहुँचाने वाले व्यक्तित्व का नाम ही चंपतराय है ।

 

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