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चुनावी चांव चांव के बीच हिन्दू आबादी घटने और मुस्लिम आबादी बढ़ने का होश उड़ा देने वाला सनसनीखेज खुलासा

प्रवीण दुबे
आजादी के बाद हिंदुओं की आबादी 7.82 प्रतिशत घटने और मुस्लिम आबादी में 43.15 प्रतिशत की बहुत बड़ी बढ़ोतरी का सनसनीखेज खुलासा
कल हिंदुओं का बहुत बड़ा त्यौहार अक्षय तृतीया है लेकिन इस पवित्र दिन से ठीक पहले हिंदुओं से जुड़ी एक परेशान कर देने वाली रपट ने इस देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज के अंतर्मन को झकझोर कर रख दिया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने सर्वे में पाया है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच जहां हिंदुओं की आबादी 7.82 प्रतिशत घटी है वहीं मुस्लिम आबादी में 43.15 प्रतिशत की बहुत बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि इस दौरान ईसाई, सिख और बौद्धों की आबादी भी बढ़ी है लेकिन मुस्लिमों की तुलना में यह कुछ भी नजर नहीं आती।
इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में जैन और पारसियों की भी आबादी में हिस्सेदारी इस अवधि में घटी है।
रिपोर्ट के मुताबिक 1950 में मुस्लिम आबादी 9.8 प्रतिशत थी, जो 2015 में बढ़कर 14.09प्रतिशत हो गई है। वहीं इस दौरान हिंदुओं की आबादी 84.68 प्रतिशत से घटकर 78.06 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि म्यांमार के बाद भारत में ही सबसे ज्यादा हिंदू आबादी कम हुई है। म्यांमार में भी हिंदुओं की आबादी 10 प्रतिशत तक घटी है। यह 167 देशों में किए गए सर्वे में सबसे ज्यादा है।
भारत में जैन समुदाय की हिस्सेदारी 65 साल में 0.45 प्रतिशत से घटकर 0.36 प्रतिशत हो गई। वहीं, पारसी आबादी 0.03 प्रतिशत से घटकर 0.004 प्रतिशत हो गई। इसी तरह इन 6 दशकों में ईसाइयों की तादाद 2.24 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गई है। सिख आबादी की हिस्सेदारी 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 1.85 प्रतिशत हो गई है, जबकि बौद्ध आबादी में 0.05 प्रतिशत से 0.81 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति ने अपनी रिपोर्ट में कुल 167 देशों का अध्ययन किया है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या इस देश में जनसंख्या असंतुलन की स्थिति पैदा नहीं हो गई है ?  दूसरा अहम सवाल यह है कि मुस्लिम आबादी के इतनी तेजी से बढ़ने के आखिर क्या कारण हैं ? तीसरा बड़ा सवाल यह है कि धर्म के आधार पर विभाजन का दंश झेल चुके भारत के लिए यह कहीं एकबार पुनः खतरे की घंटी की और इशारे जैसा संकेत नहीं।
जानकारों की माने तो आजादी के बाद तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी के पीछे तीन मुख्य कारण हैं।
पहला कारण मुसलमानों को एक से अधिक विवाह करने की छूट और बहुविवाह करके  धार्मिक मान्यता का हवाला देकर मनमर्ज़ी से आबादी बढ़ाने  की परंपरा का अनुसरण ।
दूसरा देश में लगातार घुसपैठियों की बढ़ती संख्या बंग्लादेशी घुसपैठिए ,रोहिंग्या मुस्लिम और अन्य पड़ोसी देशों से भारत में आने वाले मुसलमानों ने इस देश को ही धर्मशाला समझकर अपना अड्डा बना लिया है। इतना ही नहीं तुष्टीकरण में अंधे हमारे राजनीतिक दलों द्वारा वोटबैंक के रूप में इनका इस्तेमाल।
तीसरा प्रमुख कारण धर्मांतरण है इसके द्वारा लव जिहाद जैसे तमाम हथकंडे अपनाकर हिंदुओं को धर्मांतरित करने के कुचक्र से भी मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी हुई है।
इन सभी कारणों पर लगाम लगाए जाने की तरफ सरकार को गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले तो सरकार को समान नागरिकता कानून यूसीसी और सिटिजन एमिंडमेंट ऐक्ट  CAA को तुरंत लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए जिससे मुस्लिम घुसपैठ और हम पांच हमारे पच्चीस जैसी विकृत मानसिकता पर लगाम लगाई जा सके।
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