सम्पादकीय
ये राजनीति भी बड़ी अजीब चीज है इसमें वह सब कुछ जायज है जिसे हम और आप सोच भी नहीं सकते हैं ,राजनीति का ऐसा ही एक विद्रूप चेहरा दो दिनों से मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक नगर ग्वालियर की सड़कों पर दिखाई दे रहा है। यह चेहरा न जनकल्याण से जुड़ा है न जनहित से इसमें सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ झलक रहा है अपनी जीत और हार का। बीते दिन की बात करें तो ग्वालियर के फूलबाग चौराहे आए लेकर शास्त्री चौक तक एक तरफ था सत्तापक्ष तो दूसरी तरफ था विपक्ष किसी को यह चिंता नहीं थी की ग्वालियर वर्तमान में कोरोना महामारी की जबरदस्त चपेट में है,यह बीमारी 100 से अधिक ग्वालियर वासियों को लील चुकी हजारों लोग इसके संक्रमण की चपेट में हैं। कोई दिन ऐसा नहीं है जब एक सैकड़ा, दो सैकड़ा या इससे भी अधिक लोग कोरोना ग्रसित न हुए हों। यह आंकड़े हमारे बनाए हुए नहीं है प्रतिदिनं कलेक्टर कार्यालय से जारी कोरोना बुलेटिन इसका प्रमाण है। चारो ओर कोरोना से त्राहिमाम जैसे हालात हैं भय का वातावरण है बाजार व्यापार बुरी तरह प्रभावित है। इस सबके बीच ग्वालियर के तमाम बाजार होडिंग बैनर झंडों से पटे पड़े थे। इन होडिंग बैनर पर कोई कोरोना जनजागृति का संदेश नहीं था न ही इसमें कोरोना से करहा रही ग्वालियर की जनता के लिए सदभावना का कोई सन्देश अंकित था। इनमें हाथ और कमल छाप नेताओं के आदमकद फोटो थे । सैकड़ों हजारो कार्यकर्ताओं की नारेबाजी करती भीड़ थी। यह लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ में इस कदर बोराये हुए थे की उन्हें यह खयाल तक नहीं था की पहले से ही कोरोना महामारी से कराहा रहे ग्वालियर में स्थिती और विस्फोटक हो सकती है। भगवान न करे ऐसा हो लेकिन जो विशेषज्ञ कोरोना महामारी को जानते समझते हैं आज उनके माथे पर पसीने के साथ चिंता की लकीरें खिंची हुई हैं। उनका कहना है की शहर की सड़कों पर इस राजनीतिक भीड़ ने ग्वालियर में कोरोना वायरस की फैलती चैन को और मजबूत कर दिया है और आने वाले समय में ग्वालियर वासियों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। आखिर कांग्रेस हो या भाजपा इनके नेताओं को यह बात समझ क्यों नहीं आ रही की जान है तो जहान है । होना तो यह चाहिए था की मध्यप्रदेश में समस्त राजनीतिक दल एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर जनहित में चुनाव आयोग से इस बात का आग्रह करते की कोरोना संकटकाल के दृष्टिगत या तो उपचुनाव टाल दिए जाएं या फिर चुनाव आयोग किसी भी प्रकार के भीड़ भरे चुनावी आयोजनों पर रोक लगाने सम्बन्धी आदेश जारी करे। बड़ा सवाल है जब देश में सारे जरूरी कार्य ऑन लाइन हो सकते हैं तो चुनाव क्यों नहीं ? चुनाव सुधार की बड़ी बड़ी बातें हमारे नेतागण करते हैं क्या वर्तमान इन चुनाव सुधारों को यतार्थ में धरातल पर लाने का सबसे अच्छा समय नहीं है ? आखिर इसकी पहल क्यों नहीं की जा रही ? क्यों कमलनाथ और शिवराज अथवा महाराज आगे आकर इस संकटकाल में शांतिपूर्ण चुनाव का सामूहिक निर्णय नहीं लेते बड़े दुख की बात है महामारी के इस दौर में चुनाव को सड़कों पर लाकर सोशल डिस्टनसिंग की धज्जियां उड़ाने का काम सबसे पहले सत्ताधारी दल न किया और चन्द घण्टों में ही इसका अनुसरण करने विपक्षी भी सड़कों पर आ कूदे । साफ है दर्द और बीमारी के संकट से कराहा रही जनता की न उन्हें परवाह है न इन्हें कल और आज भी शहर की सड़कों पर राजनीति करने वालों का यही बेशर्म चेहरा कभी नारे लगाते तो कभी झंडे लगाते तो कभी भीड़ के झुंड के बीच पत्रकारों से बतियाते दिखाई दे रहा है। आखिर भगवान कब इन्हें सद्बुद्धि देगा ?
आश्चर्य की बात है इस विषय पर राजनीतिक दल चुप्पी साधे हुए हैं तो दूसरी ओर चुनाव आयोग भी मुंह में गुड़ दबाये बैठा है।
यहां बताना उपयुक्त होगा की मध्यप्रदेश में 29 सीटों पर उपचुनाव होना है। सिर्फ ग्वालियर-चंबल संभाग में ही 16 सीट हैं। ऐसे में सिंधिया के गढ़ में उपचुनाव को लेकर सियासत भी गर्म है। यहां पोस्टर पॉलिटिक्स भी चरम पर है। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे के खिलाफ पोस्टर लगा रहे हैं। शुक्रवार को कमलनाथ के विरोध में भाजपा नेता सड़कों पर दिखे, तो इससे पहले कांग्रेस से भाजपा में गए मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ता नारे लगाते हुए नजर आए थे। तब मंत्री और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हाथापायी तक हो गई थी।
कमलनाथ के 7 किलोमीटर लंबे रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन के सभी नियम टूट गए। हजारों की भीड़ बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के कमलनाथ के स्वागत में सड़कों पर दिखी। इसे ग्वालियर में कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। रोड शो के बाद कमलनाथ ग्वालियर में महारानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर गए और श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद पार्टी नेताओं के साथ मुलाकात की। बता दें कि ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव के लिए पार्टी अपनी रणनीति तैयार कर रही है। कमलनाथ का शक्ति प्रदर्शन ग्वालियर में शनिवार को भी जारी है दूसरी कोरोना की मारी ग्वालियर की जनता बेचारी है।
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