मां गंगा पतित पावनी हैं। मां गंगा ने जिस दिन भगवान शिव की जटाओं से निकलकर पहली बार धरती का स्पर्श किया, वह दिन गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। यह तिथि एक प्रकार से गंगाजी का जन्मदिन है। पृथ्वी पर अवतरित होने से पहले मां गंगा स्वर्ग का हिस्सा हुआ करती थीं।
इस वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल दशमी अर्थात गंगा दशहरे का पावन पर्व 20 जून दिन रविवार को मनाया जाएगा। रविवार के दिन चित्रा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग और पद्म योग का निर्माण हो रहा है। इसलिए इस पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार राजा भगीरथ अपने साठ हजार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कठिन तपस्या करके स्वर्ग से गंगा जी को पृथ्वी पर लाए थे। स्वर्ग से आती हुई गंगा जी की तेज धारा कहीं पृथ्वी के अंदर न चली जाए इसीलिए उसको संभालने के लिए उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा जी को संभाला और ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन अपनी जटाओं की एक लट को खोलकर गंगाजी को पृथ्वी पर छोड़ दिया। गंगोत्री से गंगासागर तक सूखे मैदानों को हरा-भरा करती हुई गंगा आज भी अपने पावन जल से लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन का उद्धार करती हुई और उत्तर भारत की जीवनदायिनी गंगा अविचल रूप से निरंतर बह रही है।
मान्यता है कि इस पवित्र दिन मां गंगा में स्नान करने से जाने अनजाने में हुए दस तरह के पाप से मुक्ति मिलती है। दस पापों को नष्ट करने के कारण इस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास जीवन में जल के महत्व को बताता है। इस मास में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी पर्व आते हैं। यह दोनों पर्व जल के महत्व को बताते हैं। गंगा दशहरा के दिन भगवान शिव, माता पार्वती ,मां गंगा और भागीरथ की पूजा की जाती है।। इस दिन गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। इस पावन दिन मां गंगा में डुबकी लगाने वाले सारे पाप कर्मों का नाश होता है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन स्नान और दान विशेष रूप से करें। इस दिन शर्बत की प्याऊ लगाई जाती है। छतरी, वस्त्र, जूते-चप्पल दान में दिए जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान कर दान पुण्य करने से सभी तीर्थयात्राओं का फल प्राप्त होता है। इस दिन श्वेत वस्त्र धारण कर मां गंगा का पूजन करें। पूजा के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें। जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।