ग्वालियर 16 अप्रैल /क्या आपको पता है मध्यप्रदेश में कोरोना के दुष्परिणामों से निपटने और इससे त्रस्त जनता की हर सम्भव मदद करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश गृह मंत्रालय के निर्देश पर जिला स्तरीय संकट प्रबन्धन समूह का गठन किया गया है। इस समूह का प्रमुख कलेक्टर को बनाया गया है साथ ही इसमें राजनीतिक, प्रशासनिक, धार्मिक, सामाजिक क्षेत्रों को श्रेणीबद्ध करके तमाम नेतओं को इसमें शामिल किया गया है। इस समूह के गठन सम्बन्धी प्रदेश सरकार के आदेश से लेकर इसके विधिवत अस्तित्व में आने तक लगभग एक पखवाड़े का समय हो चुका है। फिलहाल अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कोरोना महामारी के तमाम दुष्परिणामों से जूझ रही ग्वालियर की जनता की परेशानियों को दूर करने इस सरकारी संकट प्रबंधन समूह ने क्या काम किया है और इसमें शामिल नेताओं ने किस स्तर पर सक्रीयता दिखाई है।
इस संकट प्रबंधन समूह से जुड़े सरकारी पत्र को जिला कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने 14 अप्रैल को जारी किया जिसमें स्पष्ट किया गया की मध्यप्रदेश शासन गृह विभाग मंत्रालय बल्लभ भवन भोपाल के पत्र क्रमांक 43/2020/C-2 दिनांक 3 अप्रैल 2020 के अनुसार कोरोना रोकथाम बचाव हेतु जिला स्तरीय संकट प्रबंधन समूह का गठन किया गया है।
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा गुपचुप घोषित किये इस संकट प्रबंधन समूह में किन महानुभावों को कृतार्थ किया गया है यह भी शहरवासियों को जान लेना जरूरी है। जैसा की हमने शुरुआत में ही लिखा है इस समूह का सर्वेसर्वा कलेक्टर को बनाना शासन की तरफ से ही तय था। उनके अलावा इसमें एस पी, निगम आयुक्त, जिले के स्वास्थ्य अधिकारी ,सिविल सर्जन के अलावा होमगार्ड डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट को शामिल किया गया है।
इसके पश्चात प्रथम श्रेणी में राजनीतिक सदस्यों के रूप में सांसद विवेक शेजवलकर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के अलावा ग्वालियर से जुड़े भाजपा व कांग्रेस सरकारोँ में रहे पूर्व मंत्रियों, विधायकों, भाजपा कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी के शहर व ग्रामीण जिलाध्यक्षों को शामिल किया गया है। राजनीतिक श्रेणी में शामिल इन नामों में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है की इनमें सबसे बड़े गैर राजनीतिक स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह जैसे प्रदेश स्तरीय पद पर आसीन स्वयंसेवक यशवंत इंदापुरकर को राजनीतिक श्रेणी में सबसे आखिर में स्थान दिया गया है।
इसके अलावा प्रशासनिक श्रेणी, धार्मिक सामाजिक व व्यापारिक श्रेणी में दो दर्जन से अधिक लोगों को शामिल किया गया है। पत्र में कहा गया है की समिति की संयुक्त व पृथक पृथक बैठक हेतु अलग से सूचित किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है की जिस समिति को संकट प्रबंधन समूह नाम दिया गया है उसको अस्तित्व में आए लगभग एक पखवाड़े का समय हो चुका है लेकिन इस समिति की कोई सक्रीयता दिखाई नहीं दी है। अभी तक इसकी कोई संयुक्त या पृथक से कोई बैठक भी आयोजित नहीं हुई है जबकि लॉक डाउन के दौरान जिले में रहने वाले लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल जिला स्तरीय संकट प्रबंधन समूह का गठन केवल औपचारिकता जैसा बनकर रह गया है।