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जेपीसी में वक्फ संशोधन के समर्थन में ऐसी गूंजी ग्वालियर की आवाज कि चर्चा छोड़ निकल गए ओवैसी सहित 15 मुस्लिम सांसद हुई तीखी बहस

प्रवीण दुबे

नई दिल्ली/ ग्वालियर /वक्फ बिल संशोधन विधेयक २०२४  को लेकर रायशुमारी करने वाले जेपीसी में बिल के समर्थन में ग्वालियर की आवाज ऐसी गूंजी की बिल के समर्थक तमाम सांसदों को ऐसी मिर्ची लगी कि उन्होंने उस आवाज का विरोध करते हुए बैठक से ही वॉकआउट कर दिया इन सांसदों में एआईएमएम के संसद ओवसी सहित लगभग 15 मुस्लिम सांसद शामिल थे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस संगठन की दलीलों पर ओवैसी और अन्य मुस्लिम सांसद अपना आपा खोते दिखाई दिए वह संगठन भी मुस्लिम सदस्यों का ही था और इस संगठन भारत फस्ट का नेतृत्व कर रहे थे ग्वालियर के वरिष्ठ अभिभाषक और भारत फस्ट के राष्ट्रीय संयोजक शिराज कुरैशी।

उलीखनीय है कि भारत फस्ट का नाम उन मुस्लिम संगठनों में शामिल था जिन्हें जेपीसी में वक्फ संशोधन बिल के लिए की जा रही रायशुमारी हेतु आमंत्रिन किया गया था।

“भारत फर्स्ट’ ने बिल का किया समर्थन

तीसरा संगठन जिसे बैठक में आमंत्रित गया था वो था ‘भारत फर्स्ट’. भारत फर्स्ट एक एनजीओ है जिसके सदस्यों ने भी एक प्रेजेंटेशन दिया और केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल का जोरदार समर्थन किया, जिसका नेतृत्व अधिवक्ता शीराज़ क़ुरैशी ने किया, दल में नो सदस्य क्रमशः शाहिद सईद, दीवान सैफ़ुल्लाह, सैफ़ क़ुरैशी, फ़ैज़ खान, जावेद ख़ान सैफ़, सैयद राशिद अली, फ़ज़ल डब्ल्यू ख़ान, गिरीश जुयाल थे!

सूत्रों के मुताबिक भारत फर्स्ट के तरफ से 9 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल समिति के सामने पेश हुआ. इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व एडवोकेट शीराज़ कुरैशी कर रहे थे. इन दोनों ने अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाया जा रहा ये बिल वक्फ में निष्क्रियता, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को दूर करने के उद्देश्य से पारदर्शिता, जवाबदेही और मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक उत्थान पर केंद्रित है.

समिति के सामने “भारत फर्स्ट” ने वक्फ की संपत्तियों का डिजिटलीकरण करने का सुझाव दिया। उन्होंने ये भी कहा कि एक केंद्रीकृत डिजिटल रजिस्ट्री पारदर्शिता को बढ़ाएगी और अवैध अतिक्रमणों पर अंकुश लगाएगी इससे वक्फ की संपत्ति की रियल-टाइम निगरानी हो सकेगी. भारत फर्स्ट ने सुझाव दिया कि वक्फ से आधुनिक वित्तीय उपकरणों को जोड़कर कई कल्याणकारी परियोजनाओं को समर्थन किया सकता है.

भारत फर्स्ट का सुझाव था कि वक्फ बोर्डों के स्वतंत्र सालाना ऑडिट होना चाहिए. इससे वित्तीय डेटा तक सबकी पहुंच भी हो सकेगी.भारत फर्स्ट ने केंद्रीय वक्फ न्यायाधिकरण की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इससे विवादों के निपटारे में तेजी आएगी.

भारत फर्स्ट ने बैठक में लगाए ये आरोप

भारत फर्स्ट ने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड के खातों में वित्तीय कुप्रबंधन, प्रमुख वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा, हजारों अनसुलझे वक्फ-संबंधी विवादों ने संपत्ति की वसूली और कुशल प्रबंधन में बाधा उत्पन्न करती रही है और वक्फ संपत्तियों पर एक खास विशेषकर मुस्लिम समाज के अभिजात वर्ग का नियंत्रण रहा है. इसके चलते रिसोर्स के समान वितरण में रुकावट पड़ता रहता है.

सूत्रों ने बताया कि भारत फर्स्ट ने विश्व के ने मुस्लिम देशों के मॉडलों को अपनाने का सुझाव दिया। अपने तर्क में कहा कि तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब जैसे देशों ने वक्फ प्रबंधन का आधुनिकीकरण किया है। इन देशों में वक्फ संपत्तियों को राष्ट्रीय विकास योजनाओं में एकीकृत किया गया है और सार्वजनिक कल्याण और वक्फ संपत्तियों से आय उत्पन्न करने के लिए कॉर्पोरेट मॉडल का उपयोग किया गया है.

विपक्ष के कई सदस्यों ने दर्ज किया विरोध

जेसीपी की छठे बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक पर विपक्ष के कई सदस्यों में अपना विरोध दर्ज कराया और कई प्रमुख बिंदु उठाए हैं. विपक्षी सांसदों ने वक्फ बाय यूजर का मुद्दा उठाया। विपक्ष का तर्क है कि विधेयक “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” के प्रावधान को हटा देता है, जो व्यक्तियों को उपयोग के आधार पर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की अनुमति देता रहा है.

संसद मेंमुसलमानों के बुद्धिजीवी ग्रुप “भारत फर्स्ट “ ने जब यह सुझाव देते हुए  बिल का पुरज़ोर समर्थन किया तो विरोधी  सांसदों ने टोका टोकी के साथ हो हल्ला शुरू कर दिया सूत्रों का कहना है कि  इसके बाद जेपीसी  तीखी नोकझोक हुई और ओबेसी सहित अन्य सांसद उठकर चले गए।

वक्फ बिल २०२४ पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को अब तक ईमेल के जरिए 90 लाख से भी अधिक सुझाव मिले हैं. इस बिल पर शुक्रवार को दूसरे दिन भी बैठक हुई. जेपीसी की बैठक में मुस्लिम संगठनों ने वक्फ विधेयक का समर्थन किया. आरएसएस से जुड़े राष्ट्रीय मुस्लिम मंच एवं मुस्लिम बुद्धिजीवी संगठन “भारत फर्स्ट” ने बिल का समर्थन किया.

उधर संयुक्त संसदीय समिति के सामने ऑल इंडिया सज्जादानशीन काउंसिल, अजमेर ने अपनी बात रखी. अपने प्रेजेंटेशन में सज्जादानशीन कॉउन्सिल ने दरगाहों की स्वायत्तता बरकरार रखने की मांग करते हुए बिल का समर्थन किया. मिली जानकारी के मुताबिक विपक्ष के सांसदों ने दरगाहों को मिलने वाले फंड का पूरा ब्यौरा कमेटी के सामने रखने की मांग की.

संसदीय समिति के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने सज्जादानशीन काउंसिल, अजमेर में पुश्तैनी परम्परा को अवैध ठहराते हुए कॉउन्सिल की अहमियत पर ही सवाल खड़ा कर दिया. समिति के सामने सज्जादानशीन कॉउन्सिल ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि कोर्ट से उनके हक में फैसला आया था और उन्हें वैध ठहराया गया था.

तीन मुस्लिम संगठनों ने जताया समर्थन

सूत्रों ने बताया कि एनडीए और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक के बीच आरएसएस से जुड़े एक संगठन और तीन मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को जेपीसी की बैठक मेंवक्फ कानून में प्रस्तावित संशोधनों के प्रति समर्थन जताया.

 

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