ग्वालियर। भूविज्ञान के छात्रों के के लिए फोटोग्राफी कोर्स का एक अहम हिस्सा है। छात्र जब रिसर्च व फील्डवर्क के लिए फील्ड में जाते हैं तो उन्हें चट्टानों एवं खनिज के साथ कई तरह की भू संरचनाओं, भू आकृतियों, जल सरंचनाएं जैसे नदी, झील, तालाब, नहर, बांध, , कुँए, बावड़ी, झरने व पर्यावरणीय हानियाँ, सुधार के साथ खगोलीय घटनाओं जैसे सूर्य व चंद्रग्रहण, आदि की फोटोग्राफी करनी होती है। जिसके लिए कुछ विशेष टिप्स आवश्यक होते हैं, सामान्य फोटॉग्राफरों को जिनकी आवश्यकता कई बार जरूरी नहीं होती है। यह बात जीवाजी विश्वविद्यालय के भूविज्ञान अध्ययन शाला में भूविज्ञान में अवसर एवं चुनौतियां विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में विभाग के फाउंडर बैच के छात्र भूविज्ञानी फोटोजर्नलिस्ट रविंद्र उपाध्याय ने विषय विशेषज्ञ के रूप में छात्रों को भूगर्भीय फील्ड वर्क और जियोफोटोग्राफी से जुड़ी चुनौतियों के टिप्स और ट्रिक्स के बारे में बताते हुए कही। उन्होंने बताया कि भूविज्ञान के छात्र को सबसे पहले सब्जेक्ट की दिशा, लोकेशन व स्केल का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। उसे नार्थ की दिशा के परिपेक्ष्य में दिशा पता होना चाहिए। इसके अलावा लोकेशन के लिए जीपीएस कॉर्डिनेट पता होना चाहिए। साथ ही माइक्रो व मेजर स्ट्रक्चर की फोटोग्राफी में स्केल का उपयोग करना आना चाहिए। मिनरल व रॉक को पहचानने के लिए चमक का विशेष महत्व होता है, इसलिए इनकी फोटोग्राफी करते समय कैमरे की फ्लैश का उपयोग नहीं करना चाहिए।
कार्यक्रम में जेयू एवं शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के भूविज्ञान विषय के स्नातक स्नातकोत्तर एवं शोध विद्यार्थियों ने भागीदारी की। प्राध्यापकों,विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं अतिथियों ने प्रारंभ में जेयू के पूर्व कुलपति स्वर्गीय प्रो.केके सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके कार्यकाल में 1991 में विभाग की शुरुआत हुई थी। विभागाध्यक्ष प्रो.एसएन महापात्रा ने अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में भूविज्ञान का क्षेत्र विविधतापूर्ण हैं, जहां भूविज्ञान के विद्यार्थियों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। विषय विशेषज्ञ एवं विभाग के प्रथम बैच के छात्र रहे
दीपक सक्सेना ओआईसी माइनिंग, गुना ने भूविज्ञान प्रतियोगिताओं के क्षेत्र में तैयारी करने तथा खनन क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए आवश्यकताओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्रतियोगिताओं की तैयारियों हेतु विभिन्न पुस्तकों की विशेषताएं बताईं। विशेषज्ञ एवं द्वितीय बैच के छात्र रहे डॉ.अरविंद पांडे ने अटल सुरंग और चिनाब पुल निर्माण से जुड़ी अभियांत्रिक परियोजनाओं में अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शा. विज्ञान महाविद्यालय में भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.सुयश कुमार ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां नियमित की जानी चाहिए जिससे युवा छात्र स्नातक स्तर से ही करियर एवं अध्ययन के संबंध में अपना मन बना सकें और भविष्य में अपनी पसंदीदा शाखा का चयन कर सकें। मुख्य अतिथि आरके दुबे (जियोलॉजिस्ट व रिटा बैंक मैनेजर) ने विक्रम विश्वविद्यालय में प्रो.केके सिंह के साथ अपने अनुभव साझा किये साथ ही विषय आधारित चुनौतियों के बारे में छात्रों को बताया। डॉ.पीएस कौरव ने कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर डॉ.पीके जैन, लोकेन्द्र भदोरिया, विकास पाराशर सहित एसओएस अर्थ साइंस के छात्र और कर्मचारी उपस्थित रहे।