नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली ,सोमवार शाम 5 बजे उन्हें आश्रम में ही समाधि दी जाएगी
ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। स्वामी स्वरूपानंदजी आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।
सोमवार शाम 5 बजे आश्रम में दी जाएगी समाधि
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। कुछ ही दिन पहले वह आश्रम लौटे थे। उनके निधन पर शोक की लहर है। उनके शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया कि सोमवार शाम 5 बजे उन्हें आश्रम में ही समाधि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने 98 की उम्र में अंतिम सांस ली।
गंगा कुंड स्थल ले जाई गई पार्थिव देह
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज को मणिदीप आश्रम से गंगा कुंड स्थल तक पालकी से ले जाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे। भक्त जय गुरुदेव के जयघोष लगा रहे थे। गंगा कुंड पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। सोमवार शाम करीब 4 बजे उन्हें समाधि दी जाएगी। भारी संख्या में पुलिस बल भी यहां तैनात किया गया है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए कई वीआईपी लोगों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जताया दुख
पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा- द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!
हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन होने से उनके शिष्यों में शोक की लहर है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्य प्रदेश सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम धनपति उपाध्याय और माता का नाम गिरिजा देवी था। ब्राह्मण परिवार में जन्में स्वरूपानंद सरस्वती ने कम उम्र में ही धार्मिक यात्राएं शुरू कर दी थी।
बताया जाता है कि 9 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ा था। इसके बाद वो काशी पहुंचे। काशी में उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा हासिल की। एक बात यह भी है कि महज नौ साल की उम्र में घर छोड़ने वाले स्वरूपानंद सरस्वती 19 साल की उम्र में ‘क्रांतिकारी साधु’ भी कहे जाने लगे।
दरअसल जब 1942 में देश में अंग्रेज भारत छोड़े का नारा बुलंदियों पर था तब स्वरूपानंद सरस्वती भी देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। उस वक्त उनकी उम्र महज 19 साल थी। उसी वक्त उन्हें क्रांतिकारी साधु भी कहा गया। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय स्वरूपानंद सरस्वती को उन दिनों जेल में भी जाना पड़ा था।
उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्य प्रदेश की जेल में 6 महीने की सजा भी काटी है। वो करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। सन् 1940 में वे दंडी संन्यासी बनाये गए और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने झोतेश्वर धाम में अंतिम सांस ली है। 99 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। अंतिम समय में शंकराचार्य के अनुयायी और शिष्य उनके साथ थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भक्त विदेश में भी हैं। बताया जाता है कि करीब 1300 साल पहले आदि गुरु भगवान शंकराचार्य ने हिंदुओं और धर्म के अनुयायी को संगठित करने और धर्म के उत्थान के लिए पूरे देश में 4 धार्मिक मठ बनाए थे। इन चार मठों में से एक के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती थे, जिनके पास द्वारका मठ और ज्योतिर मठ दोनों थे।
कई मुद्दों पर रखते थे बेबाकी से राय
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती अपनी बात बेबाकी से रखने के लिए भी जाने जाते थे। साल 2015 में उन्होंने आमिर खान की फिल्म पीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने मांग की थी कि सीबीआई को इस बात की जांच करनी चाहिए कि आखिर इस फिल्म को सर्टिफिकेट कैसे मिल गया जबकि सेंसर बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने मांग की थी कि इसकी समीक्षा फिर होनी चाहिए।
इसके अलावा शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने की वकालत भी की थी। उन्होंने कहा था कि आर्टिकल 370 हटने से घाटी के लोगों को काफी फायदा होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर घाटी में हिंदुओं के लौटने से राज्य की देश विरोधी ताकतें कमजोर होंगी।