प्रवीण दुबे
ग्वालियर के विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक तानसेन की याद में प्रतिवर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह आयोजित किए जाने वाले तानसेन समारोह के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई आयोजन चल रहे हैं इसमें एक कार्यक्रम वादी संवादी नाम से भी आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में तानसेन और संगीत के विविध विषयों पर संवाद होता है। इस वर्ष भी यह परंपरागत आयोजन जारी है।
महान संगीतकार तानसेन की जन्मस्थली बेहट का वह शिवमन्दिर जो तानसेन की कर्मस्थली रहा
ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रशासन से लेकर मध्यप्रदेश के कला एवं संस्कृति विभाग ने तानसेन समारोह के अंतर्गत केवल तानसेन के संगीत पक्ष को ही याद रखा और तानसेन के जीवन से जुड़े तमाम अन्य पक्षों को पूरी तरह से नजरंदाज कर दिया गया।
सबसे प्रमुख बात जिसमें कि एक बहुत बड़ा संदेश छुपा है उसे भी जैसे छुपाने की कोशिश की गई है।
यह प्रमुख बात है कि 15 वी शताब्दी के समय जब भारत में आक्रांता बनकर मुगल शासक काबिज हुए तो उन्होंने विविध तरीकों से यहां धर्मांतरण का कुचक्र चलाया और तानसेन जो कि एक ब्राह्मण कुल का था उसे भी तन्नू पांडे से मियां तानसेन बना दिया गया।
धर्मांतरण के इस कुचक्र के मुख्य सूत्रधार उस समय के झाड़ फूंक करने वाले मोहम्मद गौस को बनाया गया जिन्होंने पहले तानसेन के ब्राह्मण परिवार को झाड़ फूंक के सहारे प्रभावित किया और फिर बाद में मौके के फायदा उठाकर तानसेन जैसे उच्च प्रतिभाशाली संगीत कलाकार को जो कि कृष्ण भक्ति से प्रभावित था मुंह में झूठी सुपाड़ी डालकर धर्मांतरित करके मुसलमान बना डाला।
कुछ समय पूर्व देश में यह विषय बड़ी जोर शोर से उठा था कि भारत के मुसलमानों का डीएनए परीक्षण कराया जाय तो वह हिन्दू ही निकलेंगे यह बात भी लंबे समय से कही जाती रही है कि भारत के मुसलमानों की तीन चार पीढ़ियों पूर्व की जानकारी खंगाली जाए तो वह हिन्दू ही निकलेंगे ठीक उसी प्रकार जैसा कि तानसेन का प्रमाण हमारे सामने है।
मध्यप्रदेश के कला और संस्कृति विभाग को समझना चाहिए कि इस आयोजन के माध्यम से तानसेन का प्रमाण देकर इस बात का प्रचार किया जाए कि भारत में आए मुगल आक्रांताओं ने किस प्रकार यहां इस्लाम को फैलाने धर्मांतरण का कुचक्र चलाया और अकबर ने इसी कुचक्र में फंसाकर तानसेन को हिंदू से मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया था।
इस बारे में तानसेन समारोह आयोजित करने वाली मध्यप्रदेश की संगीत और कला अकादमी के संचालक श्री जयंत भिसे से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि तानसेन के जीवन से जुड़े विविध विषयों पर संवाद होना चाहिए । उन्होंने कहा कि अगले वर्ष तानसेन समारोह का सौवां साल है अतः इस तरह के सभी विषयों को समाविष्ट किया जाएगा।