जहां एक तरफ पंजशीर में भीषण जंग जारी है वहीं जंग के बीच अमरुल्लाह सालेह लड़ाकों के साथ बॉलीबॉल खेलते नजर हुए रिपोर्ट के अनुसार नजर आ रहे है। अगर हालिया परिस्तिथि की बात करें तो पंजशीर का ये वीडियो तालिबान पर सबसे बड़ा तमाचा है। जब तालिबानी दावा कर रहे थे, कि उन्होंने पंजशीर घाटी को चारों ओर से घेर लिया है। वीडियो साफ बताता है, कि तालिबान के लड़ाई में पंजशीर के शेरों का आत्मविश्वास आसमान पर है। भले ही दुश्मन दरवाजे पर खड़ा है, लेकिन पंजशीर के शेर बेख़ौफ़ हैं। तालिबानियों को हराने के लिए मसूद की सेना पंजशीर की घाटी में लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार है। 24 घंटे में मसूद की सेना ने तालिबान के 350 आतंकी मारे गए हैं और 20 से ज्यादा तालिबानी आतंकियों को पकड़ा है।
सालेह मोहम्मद (Saleh Mohammad) का जन्म साल 1963 में पंजशीर (Panjshir) में हुआ था। साल 1980 में महज 17 साल के सालेह मोहम्मद की मुलाकात पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद (Ahmed Shah Masood) से हुई थी, तब से अगले 21 साल तक सालेह मोहम्मद रेजिस्तानी ने अहमद शाह मसूद (Ahmed Shah Masood) के साथ काम करना शुरू कर दिया था। उस 21 साल में सालेह मोहम्मद ने मुजाहिदीन लड़ाके (Mujahideen fighter) से लेकर मसूद और अफगान सरकार के लिए खुफिया अफसर के तौर पर काम किया था। तालिबानी राज से पहले सालेह मोहम्मद रेजिस्तानी पंजशीर प्रांत के सांसद रह चुके थे।
बताया जाता है कि, अफगानिस्तान का पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) कभी-भी किसी का गुलाम नहीं रहा और इसके पीछे की बड़ी वजह अहमद शाह मसूद और सालेह मोहम्मद की जोड़ी ही थी। फिर वो चाहे 1980 के दशक में सोवियत-अफगान युद्ध (Soviet-Afghan war) हो या तालिबान के साथ गृहयुद्ध दोनों में सालेह मोहम्मद ने अहमद शाह मसूद के साथ मिलकर पंजशीर को अभेद्य किला बनाए रखा।
लेकिन अब यहां के हालात बदल चुके हैं, अफगानिस्तान की सत्ता पर एक बार फिर तालिबान का कब्जा है। ऐसे में जब पंजशीर को आजाद बनाए रखने के लिए जब उन्हे अपने सबसे वफादार सिपाही की जरूरत थी तब सालेह मोहम्मद ने एक बार फिर इस लड़ाई का मोर्चा संभाल लिया। खबरों के मुताबिक सालेह मोहम्मद पंजशीर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। ऐसे में रेजिस्तानी का साथ पाकर नॉर्दर्न एलायंस एक बार तालिबान को नेस्तानाबूद करने के लिए तैयार है।