दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर मामा माणिकचंद वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास द्वारा “पंडित दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानवदर्शन ” विषय पर ऑनलाइन प्रबोधन आयोजित
ग्वालियर /पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा एकात्म मानवदर्शन दुनिया को दी गई ऐसी देन है जो पाथेय की तरह ,यह भारतीय चिंतन का ऐसा स्वरूप है जो सम्पूर्ण मानव कल्याण का रास्ता दिखाता है। आज पूंजीवाद समाजवाद के रास्ते चलने वाले तमाम देश बिखर गए हैं सोवियत संघ इसका बड़ा उदाहरण है स्वतंत्रता के बाद पश्चिमी मॉडल पर भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने के दुष्परिणामों को सात दशक तक हमने झेला है।
दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर मामा माणिकचंद वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास द्वारा “पंडित दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानवदर्शन ” विषय पर ऑनलाइन प्रबोधन कार्यक्रम में यह बात स्वदेश ग्वालियर के समूह सम्पादक अतुल तारे ने कही।
श्री तारे ने अपने सम्बोधन में कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे अपने आपको पीछे रखकर कार्य करने का उनका स्वभाव था। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित किया । श्री तारे ने कहा कि पूंजीवाद और समाजवाद को अंगीकार कर आगे बढ़ने वाले देश बिखर गए या फिर समस्याओं से घिर गए । सत्तर के दशक में जो सोवियत संघ दुनिया की महाशक्ति कहलाता था खंड खंड हो गया,दूसरी महाशक्ति अमेरिका भी आज तमाम आंतरिक परेशानियों से दो चार है। ऐसी परिस्थितियों में दीनदयाल जी के एकात्म मानव दर्शन की जनकल्याण से जुड़ी अवधारणा को पूरी दुनिया में स्वीकार किया जा रहा है। वास्तव में दीनदयाल जी का एकात्म मानवदर्शन आत्मा से परमात्मा की ओर ले जाने की भारत की चित्ती का ही प्रगटीकरण है। श्री तारे ने कहा कि सभी ग्वालियर वासी सौभाग्य शाली हैं कि ग्वालियर की धरा ही एकात्म मानव दर्शन की भावभूमि रही है। सबसे पहले दीनदयालजी ने ग्वालियर के दौलतगंज की रामनारायण धर्मशाला में इसे व्यक्त किया था तथा बाद में जनसंघ के कालीकट अधिवेशन में इसे स्वीकार्यता मिली। आज के ऑनलाइन प्रबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख ओमप्रकाश सिसोदिया सहित सम्पूर्ण प्रांत से सत्तम्भकार लेखक, विशेष रूप से जुड़े थे।