भाजपा को झटका पूर्व विधायक रसाल सिंह बसपा में शामिल
ग्वालियर। ग्वालियर-चम्बल अंचल की सियासत में भारतीय जनता पार्टी का चर्चित चेहरा चार बार विधायक और एक बार
नगर पालिका अध्यक्ष रहे कद्दावर नेता रसाल सिंह ने अंततः सोमवार को भाजपा को बहुजन समाज पार्टी का दामन थामते हुए लहार विधान सभा सीट से चुनावी रण में उतरने का ऐलान कर दिया। उन्होंने सोमवार दोपहर लहार स्थित बांके बिहारी गार्डन में आयोजित बहुजन समाज पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में बसपा प्रदेश प्रभारी सुनील बघेल और जोन प्रभारी दिलीप बौद्ध की मौजूदगी में बसपा की सदस्यता ग्रहण की
इससे पहले रविवार को सुबह उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। आज उनके साथ उनके भाई योगेन्द्र सिंह पप्पू, भाजपा सकारिता प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष भुजबल सिंह तोमर मंडल अध्यक्ष जबर सिंह सहित अन्य पंचायत, नगरीय निकायों से जुड़े जनप्रतिनिधियों और भाजपा नेताओं ने भी बसपा की सदस्यता ग्रहण की।
रविवार को उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र देते हुए कहा था कि वे भारी मन से अपनी पितृ संस्था भाजपा को अलविदा कह रहे हैं। अपने त्यागपत्र में उन्होंने भाजपा द्वारा विधान सभा चुनाव के मद्दे नजर चुनावी रण में उतारे गए प्रत्याशी को लेकर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि जो नेता भाजपा संगठन के साथ गद्दारी कर अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए खुद दूसरे सियासी दल से चुनाव मैदान में उतरा, भाजपा संगठन ने उसी को प्रत्याशी बनाया है और उसका प्रचार करना मेरे स्वाभिमान के साथ न्याय नही होगा।
पूर्व विधायक रसाल सिंह ने भाजपा जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह नरवरिया को लिखे पत्र में कहा था कि भाजपा ने लहार विधान सभा सीट से जिस अम्बरीश शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है, उसने दो बार साल 2013 और साल 2018 में मुझे चुनाव हराने के लिए भाजपा संगठन के खिलाफ जाकर काम किया। मैंने संगठन के नीति निर्धारकों को अपनी बात विस्तार से कह दी थी, मैंने कह दिया था कि वर्तमान प्रत्याशी की जगह पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी, वह सहर्ष उसकी जीत सुनिश्चत करने के लिए प्राणपण से जुट जाएंगे। लेकिन संगठन ने अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी। तब मुझे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उस संस्था से त्यागपत्र देने का कठोर निर्णय लेना पड़ा, जिसके लिए मैंने सारी जिन्दगी संघर्ष किया।
गौरतलब है कि पूर्व विधायक रसाल सिंह तत्कालीन रौन विधानसभा सीट से चार बार विधायक और भिण्ड नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। साल 2013 और 2018 में वह भाजपा प्रत्याशी के रुप में लहार विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन अपनी पार्टी के विभीषण के चलते चुनाव हार गए। उनका लहार के अलावा भिण्ड जिले की गोहद, मेंहगांव और भिण्ड विधान सभा सीटों पर प्रभाव है। यदि वह भाजपा छोड़ने के बाद किसी अन्य सियासी पार्टी का रुख करते हैं। तो आगामी विधान सभा चुनाव में भाजपा को खतरा पैदा कर सकते हैं।