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दो दिवसीय योग शास्त्र संगम का शुभारंभ – पहले दिन 40 शोधकर्ताओं ने प्रस्तुत किए शोध पत्र

योग स्वयं को जानने का विज्ञान है: हनुमंत राव

ग्वालियर/ वर्तमान में योग का सिर्फ स्वास्थ्य की दृष्टि से ही सीमित उपयोग किया जा रहा है। घुटने में दर्द, कमर दर्द, बीपी बढ़ा हुआ है जैसी अन्य व्याधियों से छुटकारा पाने के लिए योग का सहारा लिया जा रहा है। जबकि योग तो स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुंचने का विज्ञान है। योग दर्शन अर्थात स्वयं के सच्चे अविनाशी स्वरूप का दर्शन करना। योग एक धर्म आधारित जीवन पद्धति है, जिसके कई आयाम हैं। सिर्फ योगासन एवं प्राणायाम ही योग नहीं है।
यह बात विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हनुमंत राव ने शनिवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की योग कॉन्फ्रेंस ‘योग शास्त्र संगम 2025’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी का प्रकल्प विवेकानंद नीडम ग्वालियर एवं शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.आरएस धाकड़, विशिष्ट अतिथि महेश कुमार शर्मा एवं भंवर सिंह राजपूत थे। मुख्य वक्ता श्री राव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने नि:स्वार्थ कर्म पर चलकर स्वयं का साक्षात्कार करने के मार्ग को कर्म योग कहा। शुद्ध विचार के पथ का अनुसरण करने का मार्ग ज्ञान योग है, अहम का समर्पण करने वाले मार्ग को भक्ति योग एवं महर्षि पतंजलि प्रणीत योग मार्ग को राज योग कहा जाता है। जब तक नि:स्वार्थ सेवा का जीवन में प्रवेश नहीं होता है, जब तक जीवन में धर्म का मर्म स्पष्ट नहीं होता है, जब तक ‘मैं’ के अहंकार पूर्ण भाव का समर्पण करके व्यष्टि से समष्टि की ओर गति नहीं होती है, तब तक व्यक्ति की सच्ची योग यात्रा प्रारंभ ही नहीं होती है। उन्होंने बताया कि योग शास्त्र संगम में हिंदू शास्त्रों के गहन अध्ययन से योग के गूढ़ अर्थों को सबके समक्ष प्रकाशित करने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है। मानवीय चेतना को उसकी अंतर्निहित दिव्यता से जोडऩे की प्रक्रिया को ही योग कहते हैं। पहले दिन देशभर के 40 से अधिक शोधकर्ताओं ने
स्वामी विवेकानन्द के योग दर्शन पर आधारित शोध प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रो. डॉ. केएल शर्मा, नितिन मांगलिक, दिनेश चाकणकर, सनी भार्गव ने किया। विवेकानंद केन्द्र की गतिविधियों के बारे में अजय शर्मा ने प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन मुकेश गोस्वामी ने किया।

स्वस्थ रहना है तो प्रकृति के नजदीक रहें

मुख्य अतिथि डॉ.धाकड़ ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति से जुडऩा बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ होता है। प्रकृति के सानिध्य में रहने से तनाव कम और मन प्रफुल्लित होता है।

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