त्वरित टिप्पणी :प्रवीण दुबे
एक और नए कमिश्नर साहब की आमद और स्वच्छता, सीवेज सड़क, पानी, स्ट्रीट लाइट आदि आदि को लेकर वही रटे रटाये जुमले, शहरवासियों का दुर्भाग्य कि उनकी परेशानियां कभी खत्म नहीं हुईं, हालात कितने बदतर कि ग्वालियर की स्वच्छता और सुंदरता पर इतना सम्मोहित हुए मप्र सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को बीते दिनों तत्कालीन कमिश्नर साहब वैष्णव को कहना पड़ा था कि गांव है या ग्वालियर….क्या हाल बना रखा है शहर का….
शहर के हालात तो फिर भी नहीं सुधरे वैष्णव साहब जरूर चलता कर दिए गए अब इसे पनिशमेंट कहा जाए या सामान्य प्रशासनिक सर्जरी थोड़ा कठिन है,
लेकिन वैष्णव साहब की खाली कुर्सी को नए कमिश्नर साहब संघ प्रिय ने आज विधिवत ग्रहण कर लिया
जैसा की हमेशा होता है अखबार नवीसों को परिचय आत्मक बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया और हमने जिसका पहले ही जिक्र किया वही बातें और दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की औपचारिकता के साथ संघ प्रिय ने काम शुरू कर दिया।
यहां लिखने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए की ग्वालियर के पास सबकुछ है यदि कुछ नहीं है तो वह है ईमानदारी से ग्वालियर को सुव्यवस्थित करने की लगन और जज्बे की कमी
निश्चित ही यह अफ़सोसजनक है कि पिछली बार ग्वालियर देशभर में स्वच्छता सर्वेक्षण में 16वें स्थान पर आया आखिर क्यों ?
ग्वालियर में चोड़ी सड़कें हैं लगभग हर प्रमुख सड़क के साथ सपोर्टिंग रोड भी है परन्तु न यातायात व्यस्थित है न सड़कें घेरने वाले ठेलों और आवारा घूमते जानवरों पर कोई कार्यवाही है
परिणाम वही जो मंत्री जी ने कहा यह सुंदर शहर कसबों की तरह ठेला सिटी का स्वरुप धारण कर चुका है
जब तक ठेले, आवारा जानवर नहीं हटाए जाएंगे न तो शहर में स्वच्छता आएगी, न ठीक प्रकार से सड़कें क्लीन व धूल रहित होंगी और बीच सड़कों पर खड़े ठेलों के कारण ही यातायात बाधित रहेगा।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्य सड़कों से लगी सपोर्टिंग रोड को अतिक्रमण मुक्त करके मुख्य सड़कों के यातायात दबाव को कम करने में इनका ठीक प्रकार इस्तेमाल किया जाए जिससे शहर मछली बाजार की जगह सुंदर स्वरुप धारण करेगा यह तभी संभव है जब सरकारी मशीनरी पूरे मन और लगन से इस काम को अंजाम दे।
अच्छी बात है कि ग्वालियर के नवागत नगर निगम आयुक्त संघप्रिय ने पत्रकारों के समक्ष अपनी प्राथमिकतायें गिनाकर स्पष्ट कहा कि ग्वालियर को स्वच्छता रेटिंग में टाप फाइव में लाने का उनका प्रयास रहेगा। वहीं वाटर प्लस में जो रैंकिंग पिछले वर्ष निगम को मिली थी उसको बरकरार रखने का प्रयास करेंगे।इसके साथ ही सड़कों की बेहतरी, स्ट्रीट लाइट, सीवेज व्यवस्था सुधारने के लिये उनका प्रयास रहेगा। वहीं वह नगर निगम की संपत्तिकर व अन्य करों की वसूली का जो 242 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है, उसे भी प्राप्त करने के लिये हरसंभव प्रयास करेंगे। लेकिन पत्रकारों के सामने कह देने भर से काम नहीं चलने वाला नहीं भूलना चाहिए कि ग्वालियर उसी मध्यप्रदेश का हिस्सा है जहां के दो शहर इन सभी मामलों में पूरे देश में पहले दूसरे स्थान पर हैं फिर ग्वालियर क्यों पिछड़ा है जबकि ग्वालियर का इतिहास इस बात का प्रमाण रहा है कि हम कभी पूरे देश के सबसे स्वच्छ और सुंदर शहरों में शुमार थे लेकिन आज हम बीमार हैं और इस बीमारी का ठीक उपचार आपके पास है।