ग्वालियर में झांसी की रानी के समाधि- स्थल पर बनी विश्वप्रसिद्ध अश्वारोही प्रतिमा सहित देश में विविध स्थानों पर लगी महापुरुषों की अनेक भव्य प्रतिमाओं को अपने कलाकौशल से गढ़ने वाले सदाशिव साठे आज पंचानवे साल के होकर हम सबसे विदा हुए।
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इन प्रतिमाओं को मुग्ध होकर न निहारा होगा ।
रानी का घोड़ा दो पैरों पर खड़ा है। हवा में प्रतिमा तभी रहेगी जब संतुलन के लिए पूंछ को मजबूत छड़ से गाड़ दिया जाए, यह बात सदाशिव साठे जैसे कलाकार ही समझ सकते थे। सदाशिव साठे आज पंचानवे साल के होकर हम सबसे विदा हुए।
साठे ने देश के महापुरुषों की अनेक प्रतिमाएँ बनाईं । जितनी देश में, उतनी ही विदेश में। महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष, छत्रपति शिवाजी, जस्टिस एम सी छागला, विनोवा भावे आदि की प्रतिमाएँ इनमें प्रमुख हैं।
सदाशिव साठे अश्वारोही प्रतिमाएँ गढ़ने में सिद्धहस्त थे।धार रियासत के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार फड़के साहब का अश्वारोही प्रतिमाएँ बनाने में कोई मुकाबला नहीं था। पर उनकी कला में यूरोपीय कला का प्रभाव साफ दिखता था। ग्वालियर के माधव संगीत महाविद्यालय के पहले प्रिन्सिपल राजा भैया पूछवाले की आवक्ष प्रतिमा फड़के साहब की ही बनाई हुई है ।लेकिन सदाशिव साठे की कला में एक देशज ठाठ दिखाई देता है । देश के नायकों की ‘ लार्जर दैन लाइफ ‘ फौलादी प्रतिमाओं को चट्टान या पहाड़ के शीर्ष पर खड़ा देखना उन्हें बहुत अच्छा लगता था बनिस्बत किसी चारदीवारी के अंदर बनी इमारत में। अटल विहारी वाजपेयी उनके अनन्य प्रशंसको में थे ।ग्वालियर उन्हें झांसी की रानी की जीवंतप्राय प्रतिमा के माध्यम से याद करता रहेगा ।