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जब नाकारा नोकरशाही के कारण केंद्रीय मंत्री को जनता के सामने देखना पड़ा नीचा, बाद में अधिकारियों पर हुए आगबबूला

भोपाल / सरकारें कितना ही अच्छा काम करें लेकिन नोकरशाही यदि नाकारा हो तो उसका खामियाजा सरकार व उसके मंत्रियों व जिम्मेदार नेतृत्व को भुगतना पड़ता है । अधिकारियों के इसी नाकारापन के कारण आज मध्यप्रदेश के एक गांव में केन्द्रीय मंत्री डॉ वीरेन्द्र कुमार को उस वक़्त अजीबो गरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ा जब वह शनिवार को बिजावर अनुभाग के ग्राम पिपट में लोगों की समस्याएं सुनने के लिए पहुंचे, केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार जैसे ही गांव में पहुंचे मौके पर भीड़ ने उन्हे घेर लिया, इसी दौरान गांव की युवती भी मंत्री के करीब पहुंची बेटी ने खरी-खरी सुनाई, जिससे केन्द्रीय मंत्री नि:शब्द रह गए। केंद्रीय मंत्री उसका एक भी जवाब भी नहीं दे सके। युवती ने मंत्री के साथ साथ उनके साथ मौके पर गए अफसरों को भी खरी खोटी सुनाई। दरअसल युवती गांव में कोई भी काम न होने से नाराज थी, युवती की माने तो ना तो अधिकारी ग्रामीणों की समस्या सुनते है और न ही उनकी सहायता, बल्कि योजनाओं के लिए सिर्फ कागजी दस्तावेजों में ही उलझा कर रखते है।

दरअसल अधिकारियों के चक्कर लगा लगा कर थक चुकी युवती को जैसे ही पता चला कि केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार उसके गांव पिपट आए हैं, तो वह अपनी मां और गांव वालों को साथ लेकर मंत्री के पास पहुंच गई। समस्याओं का समाधान न होने से नाराज युवती ने केन्द्रीय मंत्री को गांव की समस्याएं गिनाते हुए सवाल किया कि जनता की परेशानी दूर करना आपका फर्ज है या नहीं, गरीब क्या चक्कर काटने के लिए हैं। युवती ने बड़ी साफगोई से मंत्री को बताया कि हमारे पापा 15 साल से मजदूरी के लिए दिल्ली तो कभी दूसरे शहरों में रहते हैं। वह, मां और दो छोटे भाई साथ गांव में रहती है। परिवार की माली हालत खराब होने के बावजूद राशनकार्ड से अनाज नहीं मिलता। डेढ़ साल से पंचायत, तहसील, कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं, कोई सुनने वाला नहीं है। खुद खेत में तालाब खुदवाया, इसका भी एक पैसा अब तक नहीं मिला। साहब कहते हैं कि डॉक्यूमेंट्स लाकर दो, आखिर कितनी बार दें वो तो कई बार जमा कर चुके हैं। हम लोग क्या खाएंगे, क्या करें, गरीब आदमी की कोई नहीं सुनता। युवती ने मंत्री के सामने ही ग्राम पंचायत सचिव राजेश पांडे को भी खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि मैं इनसे व्यक्तिगत कई बार मिल चुकी हूं, ये कोई भी काम नहीं करते। युवती की बात सुनकर अधिकारी भी अगल बगल झाँकने लगे, उन्हे उम्मीद नहीं थी की इस तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ जाएगा, युवती के इस साहस ने अधिकारियों की सही तस्वीर मंत्री के सामने रख दी।

गांव के एक बेटी की पीड़ा भरी नाराजगी देखकर मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार सन्न होकर नि:शब्द रह गए, जब युवती नाकारा नोकरशाही ने अपनी बात पूरी कर ली तो केन्द्रीय मंत्री ने  मौके पर ही एसडीएम राहुल सिलाड़िया व तहसीलदार को बुलवाकर समस्या का समाधन करके तुरंत अवगत भी कराएं। उन्होंने कहा जब दोबारा गांव आऊं तो किसी भी ग्रामीण के मुंह से इस प्रकार की समस्याएं सुनने को नहीं मिलें। यदि ऐसा फिर हुआ तो जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी। बाद में जब मंत्री मौके से क्ले गए तो अधिकारी लक्ष्मी और गांव वालों की समस्या सुलझाने में जुट गए।

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