आर्थिक संकट से बेहाल भीख का कटोरा लेकर पूरी दुनिया में भटक रहे पाकिस्तान की भारत से आर्थिक राजनीतिक संबंध तोड़ने की दस साल पुरानी हेकड़ी धरी की धरी रह गई है।जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने कहा है कि उसके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी अगले महीने गोवा में होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेंशन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने भारत आएंगे.
एससीओ क्षेत्र के विकास और सुरक्षा को लेकर बनाया गया विभिन्न देशों का एक ब्लॉक है. इसका गठन जून 2001 में शंघाई में हुआ था. रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य देशों में शामिल हैं.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक ट्विट में कहा कि चार और पांच मई को गोवा में विदेश मंत्री का बैठक में हिस्सा लेना एससीओ चार्टर और उसके तरीकों में पाकिस्तान की निरंतर प्रतिबद्धता और किस तरह पाकिस्तान इलाके को विदेश नीति को प्राथमिकता देता है, उसे दर्शाता है.
साल 2014 में उस वक्त के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की भारत यात्रा के बाद ये किसी पाकिस्तानी नेता की पहली भारत यात्रा होगी.
भारत और पाकिस्तान के संबंध लंबे समय से ख़राब रहे हैं. 2019 के पुलवामा हमले में 40 भारतीय जवानों की मौत के बाद भारत की तरफ़ से बालाकोट पर कथित चरमपंथी कैंपों पर हमला किया गया था.
अगस्त 2019 में मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा लिए जाने के कदम का पाकिस्तान ने तीखा विरोध किया था और भारत से व्यापार बंद कर दिया था.
याद रहे कि दिसंबर 2022 में न्यूयॉर्क में बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात को लेकर विवादित टिप्पणी की थी जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था.
बिलावल भुट्टो और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने लगातार प्रधानमंत्री मोदी के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है, हालांकि हाल ही में एक इंटरव्यू में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने बातचीत से सभी विषयों को सुलझाने की बात की थी.
इस प्रस्तावित यात्रा पर एक प्रेसवार्ता में भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि “एससीओ प्रेसिडेंसी के तहत हमने सारे एससीओ मेंबर राज्यों को आने के लिए न्योता दिया था. 4-5 मई को गोवा में ये बैठक है, और हम अपेक्षा करते हैं कि ये बैठक बहुत कामयाब रहेगी पर किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उचित नहीं होगा.”
बिलावल भुट्टो की प्रस्तावित भारत यात्रा ऐसे वक्त होगी जब पाकिस्तान आर्थिक संकट, आंतरिक राजनीतिक मुश्किलों से जूझ रहा है.