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निर्जला एकादशी : चिलचिलाती गर्मी में आज निर्जल रहकर व्रत धारण करते हैं भगवान विष्णु के भक्त

जरा विचार करिए इस चिलचिलाती गर्मी में जब कोई भी व्यक्ति कुछ देर भी बिना पानी पिए नहीं रह सकता लेकिन जप तप व्रत को महत्व देने वाले सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति में आज जो तिथि पड़ने वाली है उसमें भगवान विष्णु की पूजा करने वाले श्रद्धालुजन निर्जल व्रत रखकर पूजा अर्चना दान करते हैं

एकादशी तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। एकादशी की तिथि को व्रत रखकर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। ज्येष्ठ माह में वर्ष की सबसे कठिन मानी जाने वाली निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। मान्यता है कि पांडव भाइयों में से भीम ने ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बगैर जल ग्रहण किए एकादशी का व्रत किया था। इस व्रत को करने के कारण भीम को मोक्ष और लंबी आयु का वरदान प्राप्त हुआ था। निर्जला एकादशी को एकादशी व्रतों में विशेष माना जाता है ओर इससे वर्ष भर के एकादशी व्रत के बराकर माना जाता है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि 17 जून को प्रात: 4 बजकर 43 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन 18 जून को सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून मंगलवार को रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी व्रत को लेकर इस बार संशय की स्थिति-

 निर्जला एकादशी व्रत को लेकर इस बार संशय बना हुआ है। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा ने स्पष्ट किया है कि शास्त्रों के अनुसार स्मार्त यानि गृहस्थ लोग 17 जून सोमवार को व्रत रखेंगे और अगले दिन सुबह 6 बजकर 25 के बाद पारण करेंगे। सभी शुभ फल प्राप्त होगा। जबकि वैष्णव यानि साधु सन्यासी समाज के लोग 18 जून को व्रत करेंगे

निर्जला एकादशी पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

 

निर्जला एकादशी महत्व

इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट

श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति

पुष्प

नारियल

सुपारी

फल

लौंग

धूप

दीप

घी

पंचामृत

अक्षत

तुलसी दल

चंदन

मिष्ठान

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