उन्होंने आईआईटी मंडी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. नीतेश कुमार बचपन से फुटबॉल खेलते थे, लेकिन विशाखापट्टनम में 2009 में हुए कार एक्सीडेंट में उनका पैर स्थायी रूप से विकलांग हो गया था.
इसके बाद भी नीतेश कुमार ने हार नहीं मानी और बैडमिंटन खेलना शुरू किया. वो 2016 में फरीदाबाद में हुए पैरा नेशनल गेम में हरियाणा की ओर से खेले. उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता.
फिर नीतेश कुमार ने 2017 में बेंगलुरु में हुए इवेंट में मेंस सिंगल्स में सिल्वर और डबल इवेंट में ब्रॉन्ज हासिल किया.
उधर कथुनिया ने 42.22 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो दर्ज किया और रजत जीता.
वहीं, ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने 46.86 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया. ब्रॉन्ज मेडल कोंस्टैंटिनोस त्ज़ोनिस ने हासिल किया.
योगेश कथुनिया ने कितने मीटर के थ्रो किए
योगेश कथुनिया ने 41.50 मीटर, 41.55 मीटर, 40.33 मीटर, 40.89 मीटर और 39.68 मीटर की दूरी तक थ्रो किया.
आज ही पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी नीतेश कुमार ने गोल्ड मेडल हासिल कर लिया है.
उन्होंने सोमवार को बैडमिंटन मेंस सिंग्लस एसएल3 स्पर्धा के फ़ाइनल में ब्रिटेन के बेथेल डैनियल को हराकर मेडल जीता है