प्रवीण दुबे
रूपसिंह स्टेडियम को कब्जामुक्त करना दो दूर प्रतिमा भी तोड़ी
महान हॉकी खिलाड़ी रूपसिंह के जन्मदिन पर बड़ा सवाल आखिर उनके नाम पर बना स्टेडियम कब होगा क्रिकेट की जकड़न से मुक्त, प्रतिमा टूटने से भी आहत हैं हॉकी प्रेमी



रूपसिंह स्टेडियम के बाहर महान हॉकी खिलाड़ी के समाधि स्थल पर लगाई गई हॉकी खेलते हुए उनकी प्रतिमा टूटी पड़ी,ऊपर रूपसिंह स्टेडियम जहां अब हॉकी खेलना प्रतिबंधित है।
जिस खिलाड़ी ने ग्वालियर को अपनी कर्मभूमि बनाकर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया और इसी ग्वालियर की धरा पर अंतिम सांस ली ऐसे महान हॉकी खिलाड़ी कैप्टन रूपसिंह का आज जन्मदिन है। शर्म आती है यह लिखते कि जिस खिलाड़ी को भारत ही नहीं पूरी दुनिया में महान कहा जाता है जिसके नाम पर जर्मनी और अमेरिका में सड़कों का नाम रखा गया है उसी महान हॉकी खिलाड़ी रूपसिंह की कर्मस्थली ग्वालियर में समाधि स्थल पर स्थापित उनकी प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी गई और कई दिनों तक इसकी सुध किसी ने नहीं ली। इतना ही नहीं उनके नाम पर बनाए गए भव्य हॉकी स्टेडियम पर भी क्रिकेट के कर्णधारों ने कब्जा करके हॉकी प्रतिबंधित कर रखी गई है।
यूं तो ग्वालियर में उनकी स्मृति को चिरस्थाई बनाने हमारे पूर्वजों ने प्रतिष्ठित खेल मैदान का निर्माण कराकर उसे रूपसिंह के नाम पर शहर को समर्पित किया था लेकिन इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि उस मैदान को हमारे शहर के कर्णधार हॉकी के अत्याधुनिक मैदान के रूप में विकसित नहीं करा सके। वहां आयोजित होने वाला सिंधिया गोल्डकप हॉकी टूर्नामेंट को भी इस स्टेडियम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और इस वर्ष तो यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट भी पैसे की कमी का रोना रोते हुए नगरनिगम ने टाल दिया।
इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि उस मैदान पर जहां कभी देश के नामी गिरामी हॉकी खिलाड़ी शिरकत करने आया करते थे उस मैदान को क्रिकेट के लिए अधिग्रहित कर लिया गया और हॉकी प्रतिबंधित कर दी गई।
केवल और केवल नाम रूपसिंह स्टेडियम रह गया। और तो और इसके बदले निर्मित कराए गए हॉकी स्टेडियम को भी रेलवे हॉकी स्टेडियम नाम दे दिया गया न रूपसिंह और न ध्यानचंद सबको भुला दिया गया।
हद तो तब हो गई जब महान हॉकी खिलाड़ी रूपसिंह के समाधि स्थल पर नगर निगम द्वारा स्थापित कराई गई उनकी हॉकी खेलती हुई प्रतिमा को किसी ने क्षतिग्रस्त करके गिरा दिया ।
कई दिनों तक इसकी किसी ने कोई सुध नहीं ली जब मीडिया को इसकी भनक लगी तब यह बात उजागर हुई। खबर है कि नगर निगम द्वारा प्रतिमा तोड़े जाने संबंधी रिपोर्ट पुलिस में की गई है लेकिन अभी तक यह सामने नहीं आया है कि इस कृत्य को किसने अंजाम दिया था। उस स्थान पर पुनः प्रतिमा लगाने की भी जानकारी नहीं है।
अब जब रूपसिंह स्टेडियम बूढ़ा हो चला और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच ग्वालियर की जगह इंदौर को मिलने लगे तो ग्वालियर के क्रिकेट से जुड़े रहनुमाओं ने बड़ी तत्परता से शंकरपुर में लगभग 210 करोड़ की लागत से नया क्रिकेट स्टेडियम तड़ाक फड़ाक बना डाला है।
लेकिन अफसोस इस बात का है कि अब भी हॉकी के बड़े खिलाड़ियों की कर्मस्थली रहे स्टेडियम को क्रिकेट के रहनुमा मुक्त नहीं करना चाहते हैं।
आज तमाम हॉकी प्रेमी जब महान हॉकी खिलाड़ी की प्रतिमा पर उनके जन्मदिन पर पहुंचे थे तब उनका यही दर्द था कि रूपसिंह स्टेडियम को हॉकी के लिए मुक्त किया जाए और वहां महान हॉकी खिलाड़ी रूपसिंह के साथ हॉकी के जादूगर ध्यानचंद,अशोककुमार जैसे तमाम खिलाड़ियों की स्मृति में बड़े केन्द्र के रूप में विकसित किया जाए । यही उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।