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पता चला कारण इस वजह से बाढ़ में ताश के पत्तों की तरह ढह गए थे करोड़ों के नए नवेले पुल पुलिया और मकान

ग्वालियर /ग्वालियर अंचल में हाल ही में आई बाढ़ में तमाम नए नवेले पुल पुलिया ताश के पत्तों की तरह ढहते दिखाई दिए थे यह बात भी जोर शोर से उठ रही है कि जहां इसी अंचल के पुराने पुल पुलिया मकान आदि जस के तस  मजबूती से खड़े हैं वहीं पिछले एक डेढ़ दशक के पुल पुलिया क्यो  ढह गए ?  इसका जवाब आज ग्वालियर अंचल में ही उस समय सामने आया जब प्रशासन ने ग्वालियर में एक नकली सीमेंट बनाने वाली फेक्ट्री पर छापा मारकर मायसेम सीमेंट, अल्ट्राटेक, अंबुजा सीमेंट, केजेएस सीमेंट जैसे तमाम बड़ी कम्पनियों का नकली सीमेंट बनते पकड़ा। यहां पानी एवं अन्य वजहों  से बेदम होकर ढेले में तब्दील हो चुके तमाम ब्रांडेड कम्पनियों का एक्सपायरी सीमेंट को पुनः पीसककर विभिन्न ब्रांड की बोरियों में रीसाइक्लिंग करने का गोरखधंधा करने का काम किया जा रहा था।

प्रशासन की टीम ने आज सुबह माेतीझील स्थित साड़ा बायपास पर संचालित हाे रही नकली सीमेंट फैक्ट्री पर छापामार कार्रवाई काे अंजाम दिया। यहां पर खाका से ब्रांडेड कंपनियाें की सीमेंट तैयार की जा रही थी। प्रशासन काे यहां पर ब्रांडेड कंपनियाें के सीमेंट के खाली बाेरे भी मिले हैं। प्रशासनिक अफसराें की सूचना पर थाना पुलिस भी माैके पर पहुंच गई

दरअसल प्रशासन काे लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि बदनापुरा माेतीझील स्थित साड़ा बायपास पर एक मकान में ब्रांडेड कंपनियाें की सीमेंट बनाई जा रही है। पहले गाेपनीय रूप से इसकी पड़ताल की गई ताे सूचना सही पाई गई। इसके बाद आज सुबह एसडीएम प्रदीप ताेमर, तहसीलदार शिवदयाल धाकड़ एवं आरआइ संजय अगरैया ने इस नकली सीमेंट फैक्ट्री पर छापा मारा। इस फैक्ट्री का संचालन विष्णु राठाैर के द्वारा किया जा रहा था। इसे राठाैर सीमेंट गाेल पहाड़िया के नाम से जाना जाता है। इस फैक्ट्री में प्रशासन की टीम काे पांच साै सीमेंट की भरी बाेरियां मिली है, साथ ही भारी संख्या में ब्रांडेड कंपनियाें की खाली बाेरियां भी मिली हैं। यहां पर खाका से नकली सीमेंट तैयार की जा रही थी। फैक्ट्री में मायसेम सीमेंट, अल्ट्राटेक, अंबुजा सीमेंट, केजेएस सीमेंट आदि कंपनियों के खाली बोरे मिले हैं। प्रशासन की टीम ने पूरे माल काे जब्त कर लिया है।

नकली सीमेंट बनाने वाले सरकार काे टैक्स की चपत ताे लगा ही रहे थे, साथ ही ब्रांडेड कंपनियाें काे भी खासा नुकसान पहुंचा रहे थे। सबसे ज्यादा नुकसान ताे उन लाेगाें काे हाे रहा था, जाे गाढ़ी कमाई से अपने सपनाें का घर बना रहे थे। इस सीमेंट के प्रयाेग से मकान निर्माण की क्वालिटी का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।

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