
हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में अपनी घर वापसी करने वाले स्व माधवराव सिंधिया के बालसखा रहे बालेन्दु शुक्ल ने वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्वमंत्री जयभान सिंह पवैया के कुछ दिन पूर्व जारी बहुचर्चित ट्वीट पर की गई व्यंगात्मक टिप्पणी का श्रीपवैया के छोटे भाई व भाजपा नेता उदयभान सिंह ने करारा जवाब दिया है। उनका जवाब हम यहां जस का तस प्रस्तुत कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा है आदरणीय बालेन्दु शुक्ला जी आपकी पीड़ा हम समझ सकते हैं ..
आपके पास कमर झुकाने का बहुत लंबा अनुभव है । आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा “दरवारों” के समक्ष कमर झुकाने में ही तो खर्च हुआ है उसी के फलस्वरूप आप “कॉपरेटिव बैंक” के एक जिला प्रवन्धक के पद से प्रदेश सरकार में मंत्री पद तक पहुंच गये । कमर नहीं झुकाने बालों को कुचलना भी अपने उन्हीं “दरवारों” में सीखा होगा ।
आपको पनिहार के स्वाभिमानी नेता ठाकुर कप्तान सिंह जी सोलंकी तो याद होंगे न, अगर याद न हों तो आपको याद करा सकता हूँ ..! परन्तु आपके सम्मान का ध्यान रखते हुये ज्यादा गहराई में नहीं जाना चाहूंगा
आप उस समय काँग्रेस सरकार में मंत्री थे और मैं गिर्द विधानसभा के आंतरी मंडल का भाजपा अध्यक्ष था, आप गिर्द के दौरे पर थे, पनिहार की उस दुर्भाग्यशाली घटना के विरोध में पूरे 8 घंटे तक आपको चीनौर में नहीं घुसने दिया हमने, घरसौन्धी के एक घर में “जाम” के सहारे बिताए थे आपने पूरे 8 घंटे । कमर झुकाना हमारे रक्त में होता तो एक “दरवार” के “दरवारी” के आगे हम भी औरों की तरह झुक गये होते ।
रही बात मेरे अग्रज आदरणीय श्री जयभान सिंह जी पवैया की तो ध्यान से सुनें “महाराणा प्रताप” को अपना आदर्श मानने बाला “घास” की रोटी खाना स्वीकार कर सकता है परन्तु अपना मष्तक और अपनी कमर किसी “अकबर” के समक्ष नहीं झुका सकता । “पवैया” की कमर पहले भी कड़क थी, आज भी कड़क है और आगे भी कड़क रहेगी । “पवैया” के लोटे की तरी बहुत मजबूत है आपके लोटे की तरह वेपेंदी का तो कतई नहीं ।
मैं समझता हूँ मर्यादा पूर्ण इन शब्दों के द्वारा आपकी बात का जबाब मिल गया होगा …
धन्यवाद ।